मुहल्ले के रंडीबाज़ के बड़े लौड़े से चुदवाया

नीलिमा एक्का

24-07-2023

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पोर्न सेक्सी गर्ल की अन्तर्वासना ने उसे गली के एक बदनाम लड़की बाज आदमी के लंड से चूत चुदाई के लिए मजबूर कर दिया. लड़की ने गली में उसका लंड मूतते हुए देख लिया था.


मित्रो, मेरा नाम नीलिमा इक्कन है. मैं 26 साल की हूँ और मैं रांची की रहने वाली हूँ.


दिखने में मैं हल्की सांवली सलोनी होने के साथ सुडौल और आकर्षित करने वाली माल जैसी लड़की हूँ. मेरा कद 5 फुट 6 इंच है और मेरी फिगर 36-32-38 की है.


ये पोर्न सेक्सी गर्ल की अन्तर्वासना पिछले साल से शुरू हुई जब मैं कोलकाता से अपनी ग्रेजुएशन पूरी करके घर आई हुई थी और घर पर ही घुसी रहती थी.


इसका एक कारण यह भी था कि मेरी सहेलियां दूसरे शहरों में थीं और मैं अपने शहर में ही थी. जिन लड़कों के साथ मेरा चक्कर चलता था, वे सब भी बाहर चले गए थे. कोई था ही नहीं मुझसे खेलने वाला.


बस एक था … पर मैं उससे पहले से ही बहुत ज्यादा घृणा करती थी. उस साले ने मेरे साथ बहुत गंदा काम किया था.


आज मैं आपको उसी की सेक्स कहानी सुना रही हूँ. उस आदमी का नाम प्रभाकर था.


प्रभाकर 35 साल का आदमी था और मेरे मुहल्ले का रंडीबाज था. वह बहुत ही कमीना किस्म का आदमी भी था.


जब मैं 12वीं में थी, यह तब की बात है.


जब मैं शाम में दूध लेने जाती थी, तो प्रभाकर को पता था कि मैं उसी की गली से आना जाना करती हूँ.


एक शाम मैं दूध लेकर आ रही थी तो उसी समय मैं प्रभाकर से टकरा गई थी. मैंने उसके लिए उससे क्षमा भी मांगी.


लेकिन वह प्रभाकर कमीना कुछ और ही फिराक में था, उसने सीधा मेरी चूचियों को दबोच लिया और पूरी ताकत से दबा कर मसलने लगा.


मैं दूध की केन पकड़ी हुई थी, तो मैं एक हाथ से उसे रोकने में असमर्थ थी. लेकिन उसने मुझे छोड़ दिया.


हालांकि मैं उन दिनों दो लड़कों से अपनी चूचियां दबवाती थी और उनके दबाने से मुझे बहुत मज़ा भी आता था. पोर्न सेक्सी गर्ल की अन्तर्वासना इस उम्र में सब कुछ करवा सकती है. मगर इस कमीने ने तो मेरी चूचियों का हलवा ही बना दिया था. मैंने प्रभाकर की घटना को घर में बताना ठीक नहीं समझा.


वैसे प्रभाकर मेरे घर के पीछे वाले घर में ही रहता था. उसके घर के सामने वाली गली में पूरे में अश्लीलता का वातावरण फैला हुआ था. जगह जगह पर इस्तेमाल किया हुआ कंडोम पड़ा मिल जाएगा.


मैं पहले भी उस गली से गुज़र चुकी थी, तो मुझे ये सब पता था.


लोगों ने तो उस गली का नाम तक रख दिया था … कंडोम गली.


एक बार उधर से निकलने के बाद मैंने भी उस गली से जाना ही छोड़ दिया था.


बहुत दिनों बाद अचानक से मेरी गली के नाले का काम शुरू हो गया. अब नाले का काम कब खत्म होने वाला था, ये कोई नहीं जानता था.


नाले का काम होने से बहुत गंदी बदबू आती थी. इतनी गंदी कि बाहर निकलने की इच्छा नहीं होती थी.


जब मज़बूरन कोई काम होता था तो मैं कंडोम गली से निकल जाती थी.


वो दिसंबर का महीना था और क्रिसमस आने वाला था. मैं शाम में केक बनाने का सामान लेने और कुछ खरीदारी करने के लिए निकली थी.


जाने के समय तो मैं अपनी गली से ही गई थी. शायद मेरे मन में ये देखते हुए जाने की इच्छा थी कि नाले का काम चल रहा है या नहीं. काम बहुत ही मंथर गति से चल रहा था और जैसे का तैसा पड़ा था.


उधर से निकलने में काफी दिक्कत हुई थी तो मैं आते समय उसी कंडोम गली से आ रही थी. उसी समय प्रभाकर अपने घर के बाहर नाले में पेशाब कर रहा था.


मैं ऐसी परिस्थिति में थी जहां से मैं पीछे मुड़ ही नहीं सकती थी.


प्रभाकर ने मुझे देख लिया था और वह कमीना ज़रा भी नहीं शर्माया. बल्कि उसने तो मुझे लंड हिलाते हुए मूतना जारी रखा और मेरे तरफ करके लौड़ा दिखाने लगा.


मुझे करीब आते देख कर वह कहने लगा- एकदम गदरा गई हो, आओ कभी अकेले में … पेलने में मज़ा आ जाएगा.


मैं इतना बड़ा और मोटा लंड भी मैं पहली बार देख रही थी, वह भी किसी आदमी का. तो वहां से मैं एकदम से डर कर भागी.


मैं घर पहुंची, पर उस घटना के बारे में घर में कुछ नहीं बताया, लेकिन प्रभाकर का लंड भुलाने लायक नहीं था.


मतलब प्रभाकर का लंड इतना आकर्षक था कि मैं भुला ही नहीं पा रही थी. लटकी हुई अवस्था में ही प्रभाकर का लंड करीब 6 इंच का लग रहा था.


ऊपर से प्रभाकर के लंड का वह चमकदार गुलाबी टोपा मुझे अपनी चूत सहलाने पर मज़बूर कर रहा था. मेरे मन में बहुत गंदे गंदे ख्याल उमड़ रहे थे.


रात के समय फोन से बात करने के लिए मैं छत पर गई थी. तब मैंने छत से ही प्रभाकर को बाइक से कहीं जाते हुए देखा.


वह ऊंची सीट वाली बाइक होती है ना … उसी बाइक से उसे जाता हुआ देखा. वैसी बाइक पर बैठे मुझे बहुत समय हो गया था तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.


दो दिन बाद दोपहर को मैं शॉपिंग के निकली और उसी कंडोम गली की तरफ जाने लगी.


मैंने न जाने क्या सोचा और ठीक प्रभाकर के दरवाजे पर दस्तक दे दी. प्रभाकर दरवाज़ा खोला और मुझे देख कर बोला- अरे वाह … आखिर तुम आ ही गई, आओ खड़ी क्यों हो?


मैं प्रभाकर से बोली- वो मैं शॉपिंग मॉल जा रही थी, मुझे अपनी बाइक से उधर तक लिफ्ट दे देंगे क्या?


प्रभाकर मुझसे बोला- अच्छा तो लिफ्ट चाहिए, ठीक है अन्दर आ जाओ. मैं तैयार होता हूँ, फिर चलते हैं.


मैं प्रभाकर से बोली- नहीं, मैं आगे गली में आपका इंतज़ार करती हूँ, आप उधर आ जाओ. प्रभाकर भी बोला- ठीक है.


मैं आगे गली में इंतज़ार करने लगी.


फिर प्रभाकर आया और मुझे शॉपिंग मॉल लेकर गया.


शॉपिंग के दौरान प्रभाकर ने मुझसे पूछा- शॉपिंग के बाद कहां जाने का प्लान है? मैं प्रभाकर से बोली- मैं चिकन परांठा खाने की सोच रही हूँ, आप खाओगे? तो प्रभाकर बोला- हां, अगर तुम खिलाओगी तो क्यों नहीं!


शॉपिंग के बाद मैं और प्रभाकर चिकन परांठा खाने गए और पैसे भी मैंने ही दिए. फिर हम घर के लिए रवाना हो गए.


घर जाते समय प्रभाकर ने एक मेडिकल स्टोर पर बाइक को रोका. मैंने प्रभाकर को कंडोम लेते हुए देखा, मैं समझ गई कि प्रभाकर को इतनी जल्दी क्यों है.


जब प्रभाकर बाइक पर बैठा तो उसने मुझसे पूछा- तो अभी सीधा घर जाना है ना? और तो कहीं नहीं? मैं प्रभाकर से बोली- हां! घर ही जाना है और कहां जाऊंगी?


प्रभाकर मुझसे बोला- मेरे घर चलोगी ना … अब मेरे बाइक से लिफ्ट ले ही ली हो, तो मेरे घर भी आ जाओ!


अब जब प्रभाकर इतना ज़ोर दे ही रहा था तो मैं प्रभाकर को कैसे ना बोलती! और ये भी जानते हुए मैंने हामी भरी कि प्रभाकर किस तरह का आदमी है. अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि मेरे मन में उसका लौड़ा कहां तक बस गया था.


मैं प्रभाकर से बोली- अच्छा ठीक है, पर मैं पहले अपने घर जाकर आऊंगी. उसके बाद आपके घर आऊंगी. प्रभाकर मुझसे बोला- हां, कोई बात नहीं आराम से आ जाना, मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ.


उसके बाद प्रभाकर ने मुझे अपने घर के पास उतारा, वहां से मैं अपने घर पैदल चलते हुए गई.


मेरे मन में हज़ारों सवाल उठ रहे थे. मन भी सोच कर घबरा रहा था कि प्रभाकर पता नहीं क्या क्या करेगा या करवाएगा?


लिफ्ट तो मैंने जोश जोश में मांग ली और सही सलामत पहुंच भी गई.


मैं घर आने के बाद सबसे पहले तरो-ताज़ा होने गई. जाने से पहले मैंने मां से कहा- मुझे अभी जाना है. मेरी मां ने मुझसे पूछा- अब कहां जा रही हो?


अब मैं क्या बोलूं. मैं ये सोचने लगी.


तब मैं बोली- मेरी एक सहेली आई हुई है, उसी के घर जा रही हूँ. मेरी मां बोली- तो केक कब बनाएँगे? मैंने सोचा था कि अब बस शुरू करते हैं!


मैंने मां से कहा- कल दिन से बनाना शुरू कर देंगे, आज मन नहीं है. मेरी मां भी बोली- ठीक है.


मैंने तरो-ताज़ा होने के बाद कपड़े बदले और लैगिंग्स व शर्ट पहन कर घर से निकल कर प्रभाकर के घर जाने लगी.


आज मैंने ज्यादा कुछ सोचा ही नहीं, बस सीधा प्रभाकर के दरवाज़े पर दस्तक दे दी.


प्रभाकर तो जैसे मेरे आने का इंतजार ही कर रहा था, उसने फट से दरवाज़ा खोल दिया.


वह उस समय तौलिया और बनियान में था. उसकी तौलिया आगे से कुछ फूली हुई थी.


प्रभाकर मुझे देख कर बोला- अन्दर आओ … मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था.


फिर मैं प्रभाकर के घर में घुसी और उसने फटाक से दरवाज़ा बंद कर दिया.


दरवाज़ा बंद करते ही प्रभाकर ने एकदम से मुझे पीछे से दबोच लिया.


उसने दबोचा भी तो सीधे मेरी चूचियों को. मैं तो सिहर उठी- इस्स … अअआह … आराम से … कमरे में तो जाने देते यार!


प्रभाकर बोलने लगा- अरे रहा ही नहीं जा रहा, इतने दिनों बाद आज मिल ही गई तुम … चलो फिर कमरे में.


प्रभाकर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने कमरे में लेकर गया और एकदम से मुझे अपनी बांहों में भर कर अपने मुँह को मेरे मुँह से लगा दिया. सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि मुझे सोचने का समय भी नहीं मिला. प्रभाकर मुझे चूम रहा था और साथ ही मेरी गांड को मसल रहा था.


चूमते हुए ही प्रभाकर पीछे से मेरी लैगिंग्स में हाथ डालते हुए मेरे चूतड़ों की दरार में हाथ लगा दिया और सहलाने लगा.


मैं तो प्रभाकर की उस हरकत से मचली जा रही थी. बड़ी गुदगुदी लग रही थी. आज इतने दिनों बाद कोई ने ऐसा किया था.


फिर प्रभाकर मेरी लैगिंग्स को थोड़ा सा सरका दिया और सामने से मेरी जांघों के बीच हाथ लगा कर मेरी चूत को सहलाने लगा.


तब मैं अपनी भावना को संभल नहीं पा रही थी और आह आह करती जा रही थी ‘ईई … उउउहह …’


प्रभाकर ने एकदम से नीचे चूत को सहलाना छोड़ा और झुकते हुए मेरी लैगिंग्स को सरका कर खींचते हुए निकाल दिया. अब उसने मेरी चूत में अपनी एक उंगली को घुसाया और अन्दर बाहर करने लगा.


प्रभाकर के उंगली करने से मेरी बदन में सनसनी की लहर उठ गई. मैं सिसकने लगी- ईईईह … अअआह … नहीं प्लीज इस्स … अअआह.


प्रभाकर कहने लगा- साली बड़ी मस्त चूत है तेरी नीलिमा … एकदम झांटों वाली … इस्स इसे चाटना तो बनता है मेरी जान!


यह कह कर प्रभाकर ने मेरी एक टांग को अपने कंधे पर लाद लिया और मेरी चूत को चूसने लगा. आय हाय मज़ा तो मानो मेरी चूत के रास्ते से आ जा रहा था.


प्रभाकर मेरी चूत चूस तो रहा ही था, पर साथ ही जब जब वह अपनी जीभ को मेरी चूत में लगा कर लबलबाता … मैं सिसक कर प्रभाकर से सर के बाल कसके पकड़ लेती.


उसने मेरी चूत को चूस चाट कर अपने थूक से पूरा लथपथ कर दिया था.


फिर प्रभाकर मेरे सामने खड़ा हुआ और उसने अपने तौलिया को खोल दिया. तौलिया नीचे गिरते ही प्रभाकर का बड़ा, मोटा और काला लंड मेरे सामने आ गया. बाप रे … प्रभाकर का क्या जबरदस्त लंड था. एकदम भारी भरकम लंड था.


प्रभाकर मुझसे कुछ बोलता, उससे पहले ही मैं घुटनों पर आ गई. घुटनों पर आते ही प्रभाकर अपने लंड को मेरे होंठों के पास लाया.


मैं भी मुँह खोलते हुए प्रभाकर के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.


अब प्रभाकर भी पूरा बिंदास हो गया और सिसकते हुए बोलने लगा- आह नीलिमा … चूस ले लवड़ा … साली बहुत तड़पाई है मुझे तू … अअआह.


मैं प्रभाकर के लंड को किसी चोकोबार की तरह चूस रही थी और प्रभाकर मेरे बाल पकड़ कर आहिस्ता आहिस्ता से मेरे मुँह में लौड़ा पेल भी रहा था.


प्रभाकर के लंड को मैं काफी देर तक चूसती रही थी … और इतनी देर तक चूसने के कारण मेरा मुँह भी दर्द देने लगा था. इसलिए मैं रुक गई.


उसी समय प्रभाकर ने मेरी शर्ट को निकाल दिया. मैं खड़ी हुई, तब प्रभाकर भी अपनी बनियान को उतार फेंका.


अब उसने मुझे बांहों में भर कर बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाते हुए चूचियों को बाहर निकाल कर चूसने लगा. मैं तो पूरी मदमस्त हो गई थी, प्रभाकर का बालदार बदन मेरे बदन से रगड़ रहा था.


वह मेरी चूचियों को पूरा चूस चाट रहा था. माहौल पूरा गर्म हो चुका था और मुझे मज़ा आने लगा था.


तभी प्रभाकर बोला- जी तो कर रहा है कि तेरी नंगी देह को चाटता ही रहूँ, लेकिन तुझे चोदना भी है. ये कहते हुए प्रभाकर उठ गया और उसने पास के ड्रॉवर से कंडोम निकाला.


अपने लंड में वह कंडोम पहनाने लगा. तब तक मैंने अपनी ब्रा उतार फेंकी.


फिर प्रभाकर अपने लंड में कंडोम पहन कर बिस्तर पर आया और मेरी दोनों टांगों को फैला दिया.


अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत में रगड़ते हुए उसने सैट कर दिया. इस्स … मज़ा ही आ गया था!


प्रभाकर ने मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया. उफ्फ्फ … सरसराता हुआ उसका लौड़ा अन्दर घुसता चला गया था. मैं कसमसा कर रह गई थी.


कुछ पल बाद प्रभाकर ने मेरी चूत को आहिस्ता आहिस्ता चोदना शुरू कर दिया था. मैं ‘इस्स … अअआह …’ करती हुई सिसकने लगी.


कुछ ही देर बाद प्रभाकर मेरी चूत में अपना लंड पूरा अन्दर तक धकेलता और थोड़ा निकालता … और फिर से धकेल देता. इससे मैं सिसक उठती- अअअईईई … ईईई …


अब प्रभाकर आहिस्ता आहिस्ता से मेरी चूत में थोड़ा ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा. मैं प्रभाकर से कहने लगी- अअआह … थोड़ा आराम से … अअआह … दर्द हो रहा है … इस्स.


प्रभाकर बोला- थोड़ा बर्दाश्त करो, तुझे भी पूरा मज़ा आएगा. यह कहते हुए प्रभाकर मुझे उसी पोजीशन में देर तक पेलता रहा और मैं ‘अअआह … अअआह … उउउहह …’ करती रही.


प्रभाकर ने तो चोद-चोद कर सर्दी में भी मेरा पसीना निकाल दिया था.


तभी उसने एकदम से मेरी चूत में अपने लंड को ज़ोर से धकेला. मैं ‘अअअईईई … इस्स …’ करती हुई सिसक उठी थी. यह वही पल था, जब मुझे चरमसुख की अनुभूति हुई थी.


मेरे झड़ने से क्या होना था क्योंकि प्रभाकर को तो अभी और चोदना था. इसी लिए प्रभाकर ने मुझे उल्टा लेटा दिया और मेरे पेट के नीचे उसने तकिया घुसा दिया.


मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारते हुए पहले तो मेरी गांड को फैलाया और जी भर के चाटा. चाटने के बाद प्रभाकर अपने लंड को मेरी चूत में लगा दिया.


अगले ही पल उसने फिर से मेरी चूत में लंड धकेल दिया. ‘अअआह… इस्स …’ मैं कराही.


वह मेरे ऊपर लेट गया और उसने पेलना शुरू कर दिया. मेरी चूचियां प्रभाकर के हाथों में थीं. प्रभाकर पूरी ताकत से उन्हें दबाए जा रहा था और मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदे जा रहा था.


मैं ‘अअआह … अअआह …’ करती हुई सीत्कारती जा रही थी.


तब प्रभाकर भी बौखला गया था और वह मुझे चोदते हुए कहने लगा- इस्स … अअआह … भैनचोदी आज तो तुझे चोद चोद कर मुतवा दूंगा … अअआह … लवड़ी.


प्रभाकर ने मुझे पेल पेल कर मेरी हालात ख़राब कर दी थी. मैंने तब चादर को अपने दांतों से चबा ली थी ताकि दर्द बर्दाश्त कर सकूं.


कम से कम 20 मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद प्रभाकर ने एक बहुत ज़ोर का धक्का दिया. वह इतना ज़ोर का धक्का था कि मैं प्रभाकर को अपने ऊपर से दूसरे तरफ गिरा कर सीधी शौचालय के लिए भागी … पेशाब करने के लिए.


जब मैं वापस आई तो प्रभाकर बोला- अरे तुम तो सच में मूतने वाली थी! मैं प्रभाकर से बोली- तुम बहुत गंदे हो, इतना गंदी गंदी गालियां देते हो. मैं दुबारा नहीं आऊंगी.


प्रभाकर बोला- अरे यार, मुझे सच में मज़ा आने लगा था इसलिए तो मेरे मुँह से निकल गया था. उसकी तुम्हें भी आदत हो जाएगी.


फिर प्रभाकर ने मुझे अपने पास खींचा और मुझे मनाने लगा. प्रभाकर ने मुझे कुछ इस तरह से मनाया कि मैं उसकी बातों में आ गई.


लेकिन यह तो चुदाई की शुरूआत हुई थी, बहुत कुछ होने वाला था.


बड़े दिन को … मेरा मतलब क्रिसमस की रात में कुछ ऐसा हुआ, जो वाकयी बड़ा ही रोमांचित कर देने वाला था. उसे मैं अगली बार बताऊंगी.


मेरी पोर्न सेक्सी गर्ल की अन्तर्वासना की कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे ईमेल करके जरूर बताएं. [email protected]


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