गांव में पड़ोसन भाभी की पहली चुदाई

कर्ण पाटिल

25-07-2024

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विलेज भाभी हॉट सेक्स कहानी में मैं अपनी पड़ोसन भाभी को चोदना चाहता था. मैंने उसे रोज खेत में मूतते हगते देखता था. एक दिन मैंने उसे अपने मन की बात कह दी.


दोस्तो, कैसे हैं आप सब! मेरी पिछली सेक्स कहानी गांव वाली लड़की की खेतों में चुदाई पर बहुत सारे मेल आए … उसके लिए आप सबका धन्यवाद.


मेल भेजने वाली दो तीन भाभियों से भी बात हुई, उनमें से एक पास वाले शहर की ही थी. कुछ दिन तक उनसे बात करने के बाद हम दोनों मिले भी और चुदाई भी की.


उस चुदाई से वह भाभी बहुत खुश हुई. हमारी अभी तक बातें होती रहती हैं … और वह जल्दी ही फिर से चुदाई के लिए कहने लगी है.


यह विलेज भाभी हॉट सेक्स कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाली सविता भाभी की है जो बहुत ही कामुक है. उसे देख कर मर्द अपने लंड को सहला कर सोचते होंगे कि एक बार मिल जाए, तो साली को निचोड़ कर रख दूं. मैं दूसरों की क्या कहूँ, मैं खुद भी यही सोचता था कि किसी दिन पटक कर साली को रंडी की तरह चोद दूं.


अब सविता भाभी के बारे में आप भी जान लीजिए. उसकी हाइट पाँच फुट चार इंच थी और फिगर 36-32-38 की रही होगी.


सविता भाभी की गांड बाहर को निकली हुई थी तो देखते ही पकड़ कर गांड चोदने का मन करने लगता था. आप लोगों को पता ही है कि मैं फिटनेस के लिए काफी कसरत करता हूँ. इसके अलावा गांव का होने से मेरा बदन गठीला है.


एक दिन सुबह उठ कर कसरत करने जा रहा था, उसी वक्त भाभी के घर के बाहर की लाइट जल उठी. सुबह का समय होने के कारण सड़क पर कोई नहीं था. उस वक्त मैं अकेला ही था.


उनके घर की बिजली जलने का अर्थ था कि भाभी उठ चुकी है. मैं न जाने क्या सोच कर थोड़ी देर के लिए रुक गया और उधर एक तरफ कोना पकड़ कर छिप कर खड़ा रहा.


भाभी बाहर आई. उसे देख कर मैं बहुत खुश हो गया.


वह जैसे ही बाहर आई तो ठंड की वजह से उसने दरवाजा खींच कर बंद किया.


दरवाजा चिपका कर बन्द करने का सबब यह था कि घर में और भी लोग सो रहे थे. ताकि उन सबको बाहर की ठंडी हवा न लगे.


दरवाजा बंद करने के बाद भाभी ने एक मस्त अंगड़ाई ली … उसके दोनों दूध मेरे सीने को मानो चाक कर गए. सोचो दोस्तो, सुबह का वक्त था … ठंड भी थी, पर उतनी ठंड में भी मेरा लंड पैंट में हलचल करने लगा था.


जब भाभी ने अंगड़ाई ली … तो मैं जैसे तैसे खुद पर कंट्रोल करते हुए उसको छुप कर देखता रहा. उसके बाद भाभी सड़क पर आ गई और खेतों की तरफ को चलने लगी.


वह थोड़ी दूर चलती हुई एक खेत में आ गई. आपको तो पता ही होगा दोस्तो … कि गांव में अधिकांश घरों में सुबह फ्रेश होने के लिए खेतों में ही जाते हैं.


जैसे ही वह खेत में आई, उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट उठा दिया और अपनी पैंटी को नीचे खिसका कर पेशाब करने के लिए बैठ गई. वह मेरी तरफ पीठ करके बैठी थी … इस वजह से उसकी गोरी गांड मेरी तरफ थी.


भाभी के और मेरे बीच में करीब 30 फीट का फासला था. ये सब मैं सड़क पर खड़े रहकर बाजू में उगी हुई छोटी झाड़ी की आड़ से देख रहा था.


मैंने अपना लोअर को अपने अंडरवियर के साथ नीचे किया और उस मस्त नजारे को अपनी आंखों से देखते हुए मजा लेने लगा.


भाभी की गांड व मूत की धार का मजा लेते हुए मैं अपने लंड को भी हिला रहा था. मन तो कर रहा था कि वहीं पर भाभी को पकड़ कर पटक दूं और चोद चोद कर चूत का भर्ता बना दूं.


पर ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि गांव में बवाल बहुत जल्दी फैल जाता है … और इज्जत की मां चुदने में जरा भी देर नहीं लगती है.


जैसे तैसे करके मैं बस अपनी वासना को संयमित करके लंड ही सहलाता रहा. लंड भी एकदम से कड़क हो गया था तो मुठ मारने लगा.


काफी देर तक लंड हिलाने से भी मेरा पानी नहीं निकला तो मैं झुँझलाने लगा था.


तभी मुझे सड़क पर किसी के आने की आहट सुनाई दी तो मैंने लोअर को चड्डी समेत ऊपर कर लिया और वहां से वापस घर आ गया.


हालांकि वहां से जाने के लिए मेरा मन नहीं कर रहा था. तब भी सड़क पर लंड सहलाने से कुछ नहीं होना था.


अब तक वह भाभी भी मेरे सामने से निकल कर अपने घर की तरफ चल दी थी. उसने शायद शौच का काम निबटा लिया था.


कुछ देर बाद वह घर के अन्दर चली गई थी … और मैं बस उसकी गांड को निहारता हुआ अपने घर में आ गया.


अब वह सुबह वाला दृश्य मेरी आंखों के सामने से हट ही नहीं रहा था … बार बार भाभी की गोरी गांड दिख रही थी.


मैं दिन भर बस वही सब सोचता रहा कि साली को कैसे चोदूं!


उसके बाद मेरा रोजाना का नियम यही हो गया. सुबह भाभी के उठने के समय उनके पीछे पीछे चलना और उनकी 38 इंच की नंगी गांड को देखने के लिए झाड़ी के पास खड़ा हो जाना.


मैं बस देख ही रहा था पर कुछ कर नहीं पा रहा था.


भाभी को चोदने को कैसे मिले, अपने दिमाग में बस यही प्लानिंग करता रहा.


ऐसे ही कुछ दिन बाद उन्हें व उनकी गांड देख कर मैं कसरत करने आगे निकल गया.


थोड़ी दूर आगे तक दौड़ कर मैं जब वापस आया और अपनी हमेशा की जगह पर रुक कर कसरत करने लगा था. तभी मुझे सविता भाभी आती हुई दिखाई दी.


आज पहली बार वह व्यायाम करने वाली जगह पर आई थी और अकेली थी.


मैंने ठान लिया कि आज चाहे कुछ भी हो जाए, इससे बात करके ही रहूँगा.


पर अन्दर से मेरी फटी पड़ी थी क्योंकि उसने यदि इस बात पर बवंडर मचा दिया तो बहुत बदनामी होगी.


मैंने जैसे तैसे करके मन को मना लिया और पक्का कर लिया.


वह मुझसे थोड़ी आगे जा चुकी थी तो मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया.


भाभी के करीब आकर भी मेरे मुँह से आवाज नहीं निकल पा रही थी. वह मुझे आता देख कर आगे को चलने लगी थी.


जैसे ही मैं उसके करीब हुआ, तो उसने मुझे देखा और सवालिया नजरों से अपनी आंखों से कुछ इशारा किया मानो वह कह रही हो कि ‘हां बताओ क्या बात है?’


अब मैंने राम राम करके कुछ इधर उधर की बात की और उसके साथ चलता रहा. तभी अचानक से वह वापस मुड़ी … और वापस पीछे को जाने लगी.


उसके मुड़ते ही मैं भी पलट गया और मैंने धीरे से कहा- भाभी, आप मुझे पसंद हो, मैं आपको बहुत लाईक करता हूँ! शायद उसको यह बात पता थी. मेरी बात सुनकर भी वह कुछ नहीं बोली.


फिर कुछ दूर आगे जाकर वह बोली- यह गलत है! तभी सामने से मुझे उसके ससुर आते हुए नजर आए.


तो मैं वहीं रुक गया और पास की झाड़ियों में होकर मैंने खुद को उसके ससुर की नजरों से आने से बचाया.


वह मुझे बिना देखे आगे चली गई.


उस दिन मेरी गांड फटी पड़ी थी कि उसने यह बात किसी को बोल ना दी हो … या मेरे घर वालों को ना बता दी हो.


मतलब ऐसी गांड फटी कि दो दिन तक तो मैं घर से ही नहीं निकला और उसकी तरफ देखना भी बन्द कर दिया.


इस घटना के बाद एक महीना तक ऐसे ही मैं उसकी नजरों से दूर रहा.


फिर एक दिन उसकी सास और ससुर उनकी बेटी और पोती के पास चले गए थे. उनकी पोती यानि भाभी की बेटी अपनी बुआ के पास ही रहती थी.


यह बात मुझे आसानी से मालूम चल गई थी क्योंकि गांव में इस तरह की बातें सभी को पता चल जाती हैं.


भाभी के सास ससुर अपनी बेटी के पास दो दिन के लिए गए थे. जबकि भाभी के पति अपनी सब्जी की फसल के काम से बाहर गांव जा रहे थे.


वे शहर जाते वक्त मुझे दिखे तो मैंने उनसे पूछा कि मुझे सीढ़ी चाहिए. तो उन्होंने बोला- आज मैं काम से बाहर जा रहा हूँ. तुम घर जाकर सविता से ले लेना.


अब मैं भाभी के घर बिंदास चला गया. उस वक्त भाभी घर के अन्दर कुछ काम कर रही थी.


मैंने आवाज लगाई. भाभी बाहर आई तो मेरी नजर सीधी उसकी चूचियों पर जा अटकी.


तब भाभी ने मुझे आवाज लगा कर कहा- क्या चाहिए? मेरे मुँह से निकल गया- वह ..!


मेरी नजर ताड़ती हुई भाभी ने वापस कहा- क्या चाहिए? इस बार वह अपनी आवाज को कुछ जोर देकर बोली.


मैंने कहा- भाभी मुझे सीढ़ी चाहिए थी!


तब मैंने अन्दर झांकते हुए कहा- दादा और चाची नहीं दिखाई दे रहे हैं? भाभी- वे दोनों मेरी ननद अर्चना के पास गए हैं!


उसके यह बोलते ही मैं सोच में पड़ गया कि यही सही मौका है, चौका मार देना चाहिए. फिर जो होगा सो देखा जाएगा … वह कहते हैं न कि डर के आगे जीत है.


मैंने फिर से वही बात दोहराई- आप मुझे पसंद हो … और मुझे आपको पाना है. दोस्तो, एक बात सदैव ध्यान में रखना चाहिए कि शहर की भाभी जल्दी पट जाती है, पर गांव वाली लाज लज्जा के कारण मन में होने पर भी कुछ बोल या कर नहीं पाती है.


मेरी बात सुनकर भाभी चुप हो गई. मेरी नजर अभी तक उसके सीने पर ही टिकी थी.


कुछ पल बाद में वह बोली- ये सब बंद कर दे, नहीं तो तेरी मम्मी को बता दूंगी!


अब तक मैं गर्मा गया था और चुदाई का भूत मुझ पर सवार हो गया था.


मैंने इधर उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है, जब कोई नहीं दिखा तो मैंने भाभी को धक्का दिया, भाभी घर के अन्दर को चली गई.


भाभी कुछ बोलती, उससे पहले ही मैंने उसको दीवार से सटा दिया … और उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक करके किस करने लगा. मैंने जोश में उसको अच्छे से पकड़ रखा था.


मैं उसको जबर्दस्त तरीके से किस कर रहा था. वह भी ढीली पड़ गई थी. अब मैंने अपना एक हाथ भाभी के मम्मों पर रखा और दबाने लगा.


भाभी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया. फिर भी मैं रुका नहीं, मैं उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर चूत की जगह पर मसलने लगा.


मैं उसे गर्म कर देना चाहता था. मैं हाथ को ऊपर लेकर कभी भाभी के मम्मों को मसल दे रहा था, तो कभी नीचे चूत को सहला दे रहा था.


इस बीच मैंने सविता भाभी का ब्लाउज के दो हुक भी खोल दिए. भाभी गांव से होने की वजह से ब्रा नहीं पहनती थी.


मैंने भाभी के मुँह से अपना मुँह हटा कर उसके बूब्स पर रख दिया. भाभी की आंखें बंद थीं और उसका विरोध भी थोड़ा कम हो गया था.


हालांकि वह अभी भी धीरे धीरे बोल रही थी- छोड़ दो मुझे आह छोड़ दो मुझे! मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और उसके बूब्स चूसता रहा. साथ ही मेरा एक हाथ उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाने लगा था.


भाभी का विरोध धीरे धीरे खत्म होता जा रहा था. मैंने धीरे धीरे उसकी साड़ी व पेटीकोट को उठाया और कमर तक आने के बाद सीधा पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया.


जैसे ही मैंने पैंटी में हाथ डाला, भाभी के मुँह से मीठी सी ‘आह …’ निकल गई.


मैं धीरे धीरे भाभी के एक दूध को चूसते हुए उसकी चूत को रगड़ रहा था.


उस वजह से भाभी को मजा आने लगा था और उसके मुँह से उम्म आह निकल रहा था. शायद अब उसको मजा आ रहा था.


इस सब में कम से कम 20 से 25 मिनट हो गए होंगे. इस बीच मैंने ध्यान दिया कि दरवाजा खुला था. यह दोपहर का टाइम था और तकरीबन 1:30 का समय हो रहा था.


अमूमन गांव में इस समय कोई भी घर से नहीं निकलता था. यही सोच कर मैंने खुले दरवाजे पर ध्यान नहीं दिया.


मैंने भाभी की पैंटी को नीचे खिसका दिया और वह उनके जांघों से नीचे जाकर अटक गई थी. उधर धीरे धीरे भाभी भी अपने पैरों को ढीला छोड़ रही थी.


मैं उसकी चूत में उंगली डालने लगा. जैसे ही मैंने भाभी की चूत में उंगली डाली, उसके मुँह से पुनः एक मस्त आह निकल गई.


मैंने देखा कि भाभी की चूत से रस निकलने लगा था और उसमें चिकनाई आने लगी थी.


तब मैंने उंगली निकाल कर अपने मुँह में डाल ली. भाभी के रस का टेस्ट गजब का था.


फिर मैंने अपनी लोअर और अंडरवियर को थोड़ा नीचे किया क्योंकि लंड लोअर में अकड़ कर दर्द भी करने लगा था और टोपे पर कुछ रस आने लगा था.


मैंने लंड को बाहर निकाला और भाभी को देखा तो वह भी लंड को देख रही थी. इस सब में मेरी पकड़ अब तक ढीली पड़ चुकी थी.


तभी भाभी ने मुझे धक्का दिया और बोली- दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा! मैं खुश हो गया कि अब भाभी खुद से चुदने के लिए राजी है.


मैंने जल्दी से दरवाजा और खिड़की बन्द कर दी और भाभी से आकर सट गया.


पर भाभी मुझे अभी भी पीछे को धकेल रही थी.


मैंने उसे फिर से दबोच लिया. वह अभी भी ब्लाउज लटकाए हुई थी. मतलब जैसे छोड़ा था, वैसी ही थी … उसने अपनी तरफ से कुछ भी नहीं किया था.


मैंने आगे बढ़ कर फिर से भाभी की साड़ी के अन्दर हाथ डाला और चूत के दाने को सहलाने लगा.


कभी मैं उंगली चूत में डालता तो कभी चूत के ऊपर दाने पर चिकोटी काटता. इससे भाभी की आह आह निकल जा रही थी.


अब मैं सीधा हुआ और अपने लोअर व चड्डी को पूरा निकाल दिया. मैं नीचे से पूरा नंगा हो गया.


मैंने भाभी की एक टांग उठाई और पैर फैलाने की कोशिश की. तो देखा कि उनकी पैंटी पैरों में अटकी थी. मैंने अपने पैर को पैंटी के ऊपर रखा और उसे नीचे को खींच दिया.


यह सब अब तक खड़े खड़े ही हो रहा था. पैंटी के निकल जाने के बाद मैंने भाभी की टांग को हवा में उठाया और उसको किस करने लगा.


साथ ही अपने लंड को भाभी की नंगी चूत पर रगड़ने लगा था. मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं आसमान में उड़ रहा हूँ.


तभी भाभी की चूत से पानी बहने लगा था. मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा, इससे मेरा लंड जोर जोर से चूत पर रगड़ खाने लगा था.


चूत भी भभक रही थी और लंड चूत के अन्दर घुसने की कोशिश कर रहा था.


मैंने भाभी की टांग को थोड़ा उठा कर अपनी कमर को थोड़ा नीचे किया और एक झटका दे दिया.


इससे मेरा लंड भाभी की चूत में घुस गया और भाभी झटका लगने से एकदम से उचक गई.


वह जोर से आह आह करने वाली थी कि मैंने जल्दी से उसके मुँह को बन्द कर दिया. भाभी की चीख निकलते निकलते रह गई.


जिन लोगों ने स्टैंडिंग पोजीशन में सेक्स किया होगा, उनको ये पता होगा कि इसमें लंड का प्रहार कितनी तेज गति से चूत में लगता है.


कुछ ही देर में भाभी अपनी दोनों टांगें मेरी कमर से लपेटे हुई थी और उसकी चूत में मेरा लंड धकापेल चल रहा था.


मेरे मजबूत शरीर से चुदती हुई भाभी मेरे होंठों का रस पी रही थी और अपनी चूचियां मेरे सीने से रगड़ रही थी. मेरे दोनों हाथ भाभी की गांड को पकड़ कर उसे अपने लंड पर झूला झुलाने में लगे थे.


कुछ ही देर बाद भाभी का शरीर कांपने लगा और वह आह आह कहती हुई मेरी गर्दन से लटक गई.


शायद भाभी झड़ गई थी. मगर मैं अभी भी सांड की तरह उसकी चूत को भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था.


इससे भाभी जल्द ही वापस गर्म हो गई और हम दोनों मस्ती से चुदाई का झूला झूलते रहे.


इस तरह से हमारा यह सेशन लंड चूत की मस्त रगड़ की वजह से चलता रहा.


मैंने अब लंड को सुपारे तक चूत से बाहर खींचा और एक जोरदार झटका लगा दिया. भाभी ने फिर से उम्म्म किया और लंड लेने लगी.


मैंने भी धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया. चूत की चिकनाई की वजह से मेरा लंड आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था. अब मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.


इस बीच मेरा लंड चूत से बार बार बाहर निकल जा रहा था. मैं बार बार लंड पेल कर चुदाई में लगा रहा, भाभी के बूब्स को भी अपने मुँह से दबा कर खींचता रहा.


भाभी अब फिर से आने वाली थी, तभी वह बोली- अब जोर जोर से कर! मैंने भी जोर से शॉट लगाना शुरू कर दिया.


इस बीच मेरा लंड चूत से निकल गया तो भाभी ने जल्दी से अपने हाथों से लंड को चूत में सैट कर दिया. फिर जैसे ही करीब 25 धक्के के बाद भाभी का रस छूटा और उसके रस की गर्मी से मेरे लंड को गर्माहट लगी, मैं भी उसकी चूत में छूट गया.


मैंने 4-5 धक्के लगाए और ढेर हो गया. मैं भाभी को अपने ऊपर लेकर बिस्तर पर गिर गया. जिस पोजीशन में हम दोनों चुदाई करते हुए नीचे गिरे थे, उस दशा में अभी भी मेरा लंड भाभी की चूत में फंसा था और ढीला पड़ गया था.


कुछ देर बाद जैसे ही आंख खुली, तो भाभी के नंगे दूध देख कर मेरा फिर से खड़ा होने लगा. यह अहसास भाभी को भी तब हुआ, जब मैंने उससे कहा- मेरा एक और बार करने का मन है!


अब भाभी झट से खड़ी हो गई और पैंटी से अपनी चूत को साफ करके कपड़े पहनने लगी. वह बोली- ये अच्छा नहीं हुआ … अब तू जल्दी से इधर से निकल जा!


मैं भी भाभी के बदले हुए अंदाज से डर गया. मैंने कपड़े पहने, तो भाभी ने दरवाजा कर कहा- जल्दी जा यहां से.


विलेज भाभी हॉट सेक्स का मजा लेकर मैं अपने घर आ गया. अब मुझे डर लगने लगा था कि चुदाई की हवस में ये हो तो गया था, पर अब रायता न फैल जाए.


मैं उसी दिन अपने घर से कुछ दिन के लिए शहर निकल गया क्योंकि मुझे लगा था कि कहीं भाभी लफड़ा न कर दे. जब एक हफ्ते तक कोई खबर नहीं मिली, तो मैं गांव वापस आया.


दूसरे दिन सुबह भाभी उसी रास्ते पर मिली तो मैं उससे नजर नहीं मिला पा रहा था. तभी वह बोली- क्या हुआ, उस दिन तो बहुत शेर बन रहे थे, अब चूहा बन गए हो क्या? और तुम्हारा वह मोटा वाला चूहा अपना बिल छोड़ कर एक हफ्ते से कहां गायब हो गया था?


मुझे थोड़ी देर में समझ में आया. मैं भाभी को देख कर मुस्कुराया और भाभी भी मुस्कुरा दी.


वह बोली- कल सुबह जल्दी उठना, मुझे तुमसे कुछ काम है! उसके बाद मैं 5 बजे की वजह 4:30 बजे उठने लगा.


अब हम दोनों रोजाना खेत में चुदाई करते हैं. एक घंटा में हमारे दो राउंड हो जाते हैं. मेरा मन और करने का होता है, पर किसी के देख लेने के डर से हम दोनों बस उतना ही कर पाते हैं.


अब तक मैंने खेतों में ही भाभी की गांड भी मार ली है, वह आगे की सेक्स कहानी में बताऊंगा कि कैसे क्या हुआ था. आपको विलेज भाभी हॉट सेक्स कहानी कैसी लगी, जरूर बताएं.


मेरी मेल आईडी है [email protected]


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