पड़ोसन भाभी की चूत चोदने की ललक

तुषार कुमार 1

24-07-2024

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भाभी सेक्स हिंदी में कहानी में मैंने कभी सेक्स नहीं किया था लेकिन पड़ोस की भाभी पर मेरी गंदी नज़र थी। एक दिन जब वह दोपहर में सो रही थी तो मैं चुपके से उसके घर में घुस गया और …


दोस्तो, मेरा नाम तुषार है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 23 साल है और मेरे लिंग का साइज 6.5 इंच है।


वैसे तो मैंने कभी सेक्स नहीं किया था लेकिन चुदाई की बहुत इच्छा होती थी।


मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती है, जिसका नाम रंजना है। रंजना भाभी दिखने में मस्त है। हालांकि फिगर इतना खास नहीं है लेकिन चूचियां एकदम मस्त हैं। गांड भी बड़ी और फूली हुई है।


उसकी उम्र 27 साल है। उसके तीन बच्चे भी हैं- दो लड़की और एक लड़का। तीनों बच्चे अभी दस साल से भी कम उम्र के हैं।


भाभी की चुदाई मेरी दो साल से फैंटेसी थी।


एक दिन उसने मेरी ये फैंटेसी पूरी कर ही दी और भाभी सेक्स हिंदी में कहानी बन गई.


वैसे हम दोनों एक दूसरे का साथ काफी खुलकर रहते थे और काफी दोस्ताना व्यवहार था।


मैं हमेशा मज़ाक-मज़ाक में कभी उसके बूब्स दबा देता था तो कभी उसकी गांड पर थप्पड़ मार दिया करता था।


दो साल में मेरी उसके लिए ठरक धीरे-धीरे इतनी बढ़ गई थी कि मैं चुपचाप से उसकी ब्रा चुरा लेता था और उसमें मुट्ठी पेल देता था।


मज़ाक-मज़ाक में उसको अपना लंड तक दिखा दिया करता था।


मैंने उसको दो बार चोदा है और दोनों बार एक चीज़ नोटिस की है कि वह पैंटी नहीं पहनती है।


जब मैं उससे पूछता हूं कि पैंटी क्यों नहीं पहनती, तो बोलती है ‘उसमें मुझे बहुत गर्मी लगती है।’ खैर मुझे इस बात से क्या, मुझे तो बस चोदने से मतलब है।


तो पहली चुदाई पर वापस आता हूं।


मैंने भाभी को चुदाई के लिए कई बार बोला लेकिन वह कहती थी कि उसे ये सब अच्छा नहीं लगता।


फिर मैंने उसका मूड बनाने के लिए उसको बीच-बीच में पोर्न दिखाना शुरू कर दिया। वह हमेशा पोर्न देख के थोड़ी सी शर्मा जाती थी।


एक बार वह पोर्न बहुत ध्यान से देख रही थी.


मैंने पूछा- कैसा लगा? तो वह शर्माकर हंसने लगी।


मैंने कहा- आज तो बड़े ध्यान से देख रही थी, मज़ा आ रहा था क्या? तो बोली- नहीं ऐसा कुछ नहीं है।


अब उस दिन की बात बताता हूं जब मैंने पहली दफा भाभी की चूत मारी।


यह बात जनवरी महीने की है। दोपहर बाद लगभग 4 बजे का समय हो रहा होगा।


मैं जानता था कि भाभी रोज़ अपनी दोनों लड़कियों- अनाया और स्वीटी को ट्यूशन भेज के सो जाती है।


उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ।


तो मैं ऑफिस से आया और बैग घर में रखकर फ्रेश होने चला गया।


हमारा वॉशरूम ज्वॉइंट है।


तो जब मैं वॉशरूम में था, वह एकदम से आकर वॉशरूम का दरवाज़ा खोलने लगी।


उसने पूछा- कौन है अंदर? तो मैंने बोला- मैं हूं। बोली- जल्दी बाहर आओ, मुझे वॉशरूम जाना है। तो मैंने जल्दी से हाथ धोकर कपड़े पहन लिए और वॉशरूम से बाहर आ गया।


वह अंदर चली गई। फिर थोड़ी देर बाद वह वॉशरूम से बाहर आई और अपने घर जाकर सो गई।


लेकिन उसने भीतर से दरवाज़ा बंद नहीं किया था। इसी बात का फायदा उठाते हुए मैं भी उसके पीछे-पीछे घर में घुस गया।


मैं घर में भीतर जाकर खड़ा-खड़ा सोच रहा था कि क्या करूं-क्या करूं?


उसका सबसे छोटा बेटा आयुष बेड पर बैठे-बैटे कार्टून देख रहा था।


वह बाथरूम जाने के लिए आया तो उसने मुझे देखते ही बोला- मम्मी सो रही है। मैंने बोला- ठीक है तू जा!


वह बाथरूम करके अंदर चला गया, उसके पीछे-पीछे मैं भी अंदर चला गया। भाभी सो रही थी।


मैंने प्यार से उसके गालों पर उंगली फेरी तो वह एकदम से उठ गई, बोली- तू यहां क्या कर रहा है? तो मैंने कहा- चुपचाप लेटी रह और जो कर रहा हूं करने दे। वह बोली- यहां से जा यार, बच्चे ट्यूशन से आने वाले हैं।


मैं बोला- वह 5 बजे आते हैं, अभी 4:30 बजे हैं। आधा घंटा है अभी उनके आने में! तो वह बोली- इनके दादा आने वाले हैं। मैंने कहा- वह तब आते हैं जब सारे बच्चे घर होते हैं।


तो बोली- फिर भी तू जा यार, कोई देख लेगा तो बदनामी हो जाएगी। मैंने कहा- कोई नहीं देखेगा, मैं दरवाज़ा बंद करके आता हूं। बोली- फिर भी तू जा यहां से!


मैं दरवाज़े की तरफ़ गया और दरवाज़ा बंद करके आ गया।


मुझे देख कर वह बोली- तू फिर आ गया, यार समझता क्यों नहीं है तू, किसी ने देख लिया तो बदनामी हो जाएगी। मैंने कहा- अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं है, बिना कुछ किए ही तुम ऐसे बोल रही हो, अगर मैं प्यार करूंगा तो तुम कुछ कर भी नहीं पाओगी।


वह बोली- तू जा यहां से, सोने दे मुझे। मैं नहीं गया और फिर उसके सिर को थपकी देने लगा। वह बोली- मैं खुद सो जाऊंगी. तू जा!


मैं फिर भी नहीं माना और रज़ाई के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा। वह मुझे देख कर हंसते हुए शर्माने लगी और बोली- कोई आ जाएगा यार!


मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, चुप बैठ और मैं जो कर रहा हूं मुझे करने दे। फिर मैंने उसकी रज़ाई के अंदर हाथ डाला। अपना हाथ उसकी ऐड़ी से लेकर जांघों तक फिराने लगा।


हाथ फिराते-फिराते उंगलियां उसकी चूत पर जा टिकीं और सलवार के ऊपर से ही मैं उसकी चूत मसलने लग गया।


वह धीरे-धीरे गर्म होने लगी तो मैंने उसकी सलवार में हाथ डालने की कोशिश की लेकिन उसने सलवार बहुत ही टाईट बांध रखी थी।


मैंने फिर सलवार में हाथ ना डाल कर, उसके कुर्ते में हाथ डाल दिया।


कुर्ते में हाथ डालते ही उसकी बाईं चूची मेरे हाथ में आ गई। मैंने उसके बोबे को ब्रा से बाहर खींच लिया।


उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी।


मैंने उसका चूचा दबाना शुरू किया और उसके निप्पल मसलने लगा। फिर मैं चूची को चूसने लगा।


वह बोली- आयुष देख लेगा। मैंने बोला- वह तीन साल का बच्चा है, उसको घंटा कुछ समझ नहीं आएगा। तुम मुझे करने दो जो मैं कर रहा हूं।


मैंने ऐसे ही 4-5 मिनट तक उसका मीठा और गर्म दूध पिया। उसके बूब्स मेरी चुसाई से एकदम लाल हो चुके थे।


अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा।


उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए बोला- रुक रसोई में चल! मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। मैं रसोई में चला गया।


जैसे ही वह उठकर रसोई में आने लगी, उसका बेटा बोला- मम्मी कहां जा रही हो? वह बोली- बेटा रुक जा, बाथरूम होके आ रही हूं। तो वह बोला- ठीक है, जल्दी आना।


यह कह कर वह रसोई में आई और मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। नाड़ा खोलते ही उसकी सलवार नीचे गिर गई।


मैंने उसको ऊपर शेल्फ पर बैठने के लिए बोला तो उसने कहा- नहीं बैठ पाऊंगी, शेल्फ ऊंचा है। तब मैंने उसे उठाया और शेल्फ पर बैठा दिया।


वह बोली- तेरे घर वाले कहां हैं? मैंने बताया कि पापा और भाई ड्यूटी गए हुए हैं और मम्मी भी कहीं गई हुई है।


वह ऊपर शेल्फ पर बैठी हुई थी, मैं नीचे घुटनों के बल बैठा और उसकी दोनों टांगें फैला दी।


उसकी चूत के आस-पास काफ़ी बाल थे। मैंने उसकी चूत पर अपना मुंह टिका दिया और अपनी जीभ निकाल कर उसको चूमने-चाटने लगा।


इस वक्त मेरी हवस इतनी बढ़ गई थी कि मुझे उसकी चूत के बालों से भी फर्क नहीं पड़ रहा था।


मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाट रहा था। मैंने जीभ उसकी चूत के अंदर डाल दी और ज़ोर-ज़ोर से जीभ चलाने लगा।


मैं अपनी जीभ से ही उसकी चूत चोद रहा था। उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था। वह भी कामवासना में डूबी हुई सिसकारियां ले रही थी- आह हह हहह … ओह हहहह … अम्म्म … आह्ह। वह मेरा सिर ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूत में दबा रही थी।


4-5 मिनट मैंने उसकी चूत चाटी। फिर मैं खड़ा हो गया और अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा।


थोड़ी देर उंगली से उसकी चूत चोदने के बाद वह बोली- अब तू जा, बच्चे ट्यूशन से आने वाले हैं।


मैंने दोबारा उसकी चूची पी और उससे एक किस ली। और उसे ये बोल कर कि आगे वाला काम फिर कभी करेंगे, मैं अपने घर चला गया।


फिर घर जाने के बाद मेरा लंड मुझे चैन से टिकने नहीं दे रहा था। जो-जो हुआ उसके बारे में सोचकर मैं मुठ मारकर सो गया।


मैं बाद में उसके पास गया तो वह मुझसे बात नहीं कर रही थी।


बस इतना बोली- आज हमने जो किया वह गलत था, हमें वह सब नहीं करना चाहिए था। उसने दो दिन तक मुझसे बात नहीं की।


दो दिन बाद दोबारा मैं ऑफिस से आकर फ्रेश होने गया हुआ था। उसके घर का दरवाज़ा खुला हुआ था।


मेरा आज भी बहुत मूड हो रहा था। तो मैं उसकी रसोई में जाकर खड़ा हो गया।


जब वह बाहर की तरफ आई तो मुझे एकदम से देख कर चौंक गई। बोली- तू यहां क्या कर रहा है? बाहर जा … मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी।


मैंने दरवाज़ा बंद करके कुंडी लगा दी।


वह बोली- ये क्या बदतमीजी कर रहा है?


दोस्तो, आज मेरी मम्मी भी घर पर सो रही थी और उसके भी तीनों बच्चे घर में सो रहे थे।


मेरे लिए आज ज्यादा अच्छा मौका था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे रसोई में खींच लिया।


उसे प्यार से पकड़ कर पहले किस किया और फिर पूछा- मैंने उस दिन कुछ ज़ोर-जबरदस्ती से किया था? जो कुछ भी हुआ दोनों की मर्ज़ी से हुआ और दोनों ने बराबर किया था। वह बोली- हां, लेकिन मुझे अब उस बारे में कोई बात नहीं करनी।


मैंने उसको पल्टा और पीछे से कस कर पकड़ लिया। उसको मैंने खुद से चिपका लिया और उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिये।


वह बोली- क्या कर रहा है? बच्चे घर में ही हैं। मैंने कहा- बच्चे सो रहे हैं। मैं बोला- तेरे-मेरे बीच जो भी होगा किसी को पता नहीं चलेगा।


यह कहते ही मैंने दोबारा उसकी सलवार खोल दी और नीचे बैठकर उसकी चूत चाटने लगा। साथ ही साथ लौड़ा बाहर निकालकर नीचे ही नीचे हिलाने लगा। चूत के साथ-साथ मैं उसके बूब्स भी चूस रहा था।


फिर मैंने उसको नीचे बैठने के लिए बोला तो वह बैठ गई। मैंने उसे लौड़ा मुंह में लेने के लिए बोला लेकिन उसने मना कर दिया।


बोली- मुझे ये सब करना अच्छा नहीं लगता। मैंने कहा- ठीक है, खड़ी हो जाओ और मेरी गोद में आ जाओ। वह उठी और मेरी गोदी में चढ़ गई।


मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया और अंदर घुसा दिया।


तीन बच्चे होने की वज़ह से उसकी चूत बिल्कुल ढीली हो चुकी थी, लौड़ा आसानी से अंदर घुस गया।


मैंने फिर गोद में ही उसको ऊपर-नीचे करना शुरू किया। मैं उसको गोद में उठाए-उठाए ही उछालने लगा।


अब उसको भी मज़ा आने लगा था, उसकी भी सिसकारियां निकलने लगीं।


उसकी पकड़ मेरी कमर पर टाईट होने लगी थी और मैं उसके नाखून पीठ पर रगड़ते हुए महसूस कर रहा था।


1-2 मिनट मैंने उसे ऐसे ही गोदी में उठाए हुए चोदा, फिर उसे किचन की शेल्फ पर बैठा दिया। शेल्फ पर बैठा कर मैंने उसे टांगें फैलाने के लिए बोला। उसने अपनी टांगें फैलाते हुए एक टांग दीवार पर रख दी।


तब तक मेरा लंड थोड़ा ढीला पड़ने लगा था। मैंने उसे लौड़ा हिलाने के लिए बोला तो वह मेरी मुठ मारने लगी। उसके नर्म हाथों की छुअन और गर्माहट से मेरा लौड़ा फिर से पूरा टाईट होकर सालामी देने लगा।


उससे भी अब रहा नहीं गया और बोली- अब डाल दे। मैंने लौड़ा उसकी चूत पर टिका दिया और एक धक्का मारा। पहले धक्के में लंड काफी अंदर घुस गया।


फिर मैंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत में उतर गया।


मैंने धक्के लगाने शुरू किए।


दो-तीन मिनट चोदने के बाद उसने मुझे रूकने के लिए कहा और बोली- अब तू जा, बच्चे उठने वाले हैं, और तेरी मम्मी भी उठ गई होगी।


लेकिन मुझे इतना मजा आ रहा था कि रुकना मुश्किल था। मैं एक हाथ उसके मुंह पर रखकर तेजी से धक्के मारने लगा। वह दबे मुंह से ऊं-ऊं … करती रही और मैं चूत में लंड पेलता चला गया।


मेरा छूटने को हो गया और एकदम से बदन में झटके लगने लगे। माल उसकी चूत में निकाल कर ही मैं रुक सका। वह भी हांफ रही थी।


फिर मैं जल्दी से वहां से निकल गया।


उसके अगले दिन इसको पिज्जा खाने का मन हुआ। मैंने तीन पिज्जा ऑर्डर किए और हमने मज़े से साथ में खाये।


उस दिन मैंने उसको चूत के बाल साफ करने के लिए भी बोल दिया। बोली- सब तेरे कहने से थोड़ा ही होगा? मेरी मर्ज‍ी, मैं करूं या नहीं। मैंने कहा- ठीक है, जैसा तुझे सही लगे।


एक हफ्ते बाद भाभी की चुदाई का दोबारा मौका लगा।


उसके घर कोई नहीं था और इसका बेटा सो रहा था। मैंने दरवाज़ा बंद करके इसको पकड़ लिया।


भाभी बोली- क्या कर रहा है? मैंने बोला- कुछ नहीं, प्यार कर रहा हूं बस!


फिर मैं उसके बदन को सहलाने लगा और गर्दन और कंधों पर किस करने लगा। वह भी गर्म होने लगी।


फिर मैंने उसे बेड पर चलने के लिए कहा। वह बेड पर जाकर लेट गई।


मैंने उसको सलवार उतारने के लिए बोला तो उसने सलवार उतार दी। अब वह मेरे सामने नंगी पड़ी थी।


जैसे ही उसने टांगें फैलाईं, मेरी नज़रों ने जो सामने देखा, मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। एकदम क्लीनशेव चूत मेरे सामने चुदने के लिए तैयार थी।


मैंने भी बिना देर लगाए अपना लंड बाहर निकाला और उसकी क्लीनशेव चूत पर सेट कर दिया।


धक्का देकर लंड को चूत में प्रवेश करवा दिया।


फिर दो धक्कों में पूरा लौड़ा उसकी चूत में उतार दिया और झटके मारने शुरू कर दिए।


चोदने के साथ ही अपने अंगूठे से मैं उसकी चूत सहलाने लगा।


वह सिसकारियां लेने लगी- आह्ह … आह्ह … ईईई … अम्म … आह! मुझे चोदते हुए कुछ ही देर हुई थी कि किसी ने दरवाजा खटखटा दिया।


उसने मुझे एकदम से अपने ऊपर से हटाया और कपड़े पहन कर बाहर की ओर चली। मैं रसोई में जाकर छुप गया। घर में कोई आया था।


मैंने मौका देखा और नजर बचाकर बाहर निकल गया। चुदाई अधूरी रह गई लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारने वाला था।


मैं देख चुका था कि उसका पति उसे चुदाई में संतुष्ट नहीं कर पाता है।


मुझे कुछ दिन बाद फिर मौका मिला और मैंने जमकर उसकी चूत मारी। उसके बाद तो वह मुझसे अक्सर चुदने लगी।


अभी भी मैं भाभी की खूब चुदाई करता हूं और वह भी तबियत से चुदवाती है।


कुछ दिनों में मैं यहां से शिफ्ट कर जाऊंगा, फिर पता नहीं कब ऐसी चूत चोदने को मिलेगी।


आपको यह भाभी सेक्स हिंदी में कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताना। आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा। आप मुझे ईमेल भी कर सकते हैं। मेरी ईमेल आईडी है [email protected]


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