शादी में मेरे लंड का भाग्य खुला

श्री निवास

11-06-2023

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देसी विलेज चूत का मजा मुझे मिला जब मैं एक गाँव में शादी में गया था. वहां मैंने दो लड़कियां चोदी. एक तो खाई खेली थी, दूसरी कुंवारी थी, वह हमारी चुदाई देख कर गर्म हो गयी थी.


दोस्तो, मैं अपनी दीदी की ननद की शादी में उनके गांव गया हुआ था. वहां उनके बहुत से रिश्तेदार आए हुए थे.


उन रिश्तेदारों में एक अंकल आंटी भी आए थे और उनके साथ स्वर्ग की अप्सरा जैसी उनकी दो बेटियां भी आई थीं. उन दोनों को देख कर मेरे लंड पर चीटियां रेंगने लगी थीं.


उन दोनों की तरफ जब भी मेरी निगाह जाती तो देख कर सोचने लगता कि काश एक बार इनको चोदने का मौका मिल जाए तो तरन्नुम आ जाए.


हालांकि ये तो अभी सपना जैसा था लेकिन होनी को कौन टाल सकता है. मुझे वहां देसी विलेज चूत का मजा मिला.


शादी को एक दिन बचा हुआ था, सब लोग सामान सजाने में लगे हुए थे. सब अपने अपने हिस्से का काम करने में व्यस्त थे.


सारा दिन काम कर करके मैं भी थक गया था इसलिए नहा कर छत पर चला गया और उधर बने कमरों में से एक रूम में पंखा चालू कर सोने के लिए बिस्तर पर लेट गया और मोबाइल चलाते चलाने लगा. मैं सोने की तैयारी करने लगा था लेकिन गर्मी की वजह से मेरे लंड में पसीना आ रहा था तो मैं हाथ डाल कर लंड को पौंछ रहा था.


कमरे में कोई अन्य नहीं था जिस वजह से मैं बिंदास अपने लौड़े को हिला कर उससे मज़े ले रहा था.


मैंने लौड़े को हाथ लगाया तो वह दोनों लौंडियां दिमाग की मां चोदने लगीं और लंड ने फन उठाना शुरू कर दिया.


उन्हीं दोनों की कातिल जवानी और उनकी मस्त चूचियों की याद करते करते मेरा लंड बहुत ही ज्यादा सख्त हो गया था.


तभी अचानक दरवाज़े पर आवाज़ आई तो मैंने आंख बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा.


रात को काफी गहरा गई थी. वह शादी का घर था तो कोई सोया नहीं था, सब नीचे थे. वरना इतनी रात में तो आदमी सो ही जाता है.


मेरा लंड अभी भी खड़ा था. कुछ पल बाद रूम में छोटी वाली अप्सरा का प्रवेश हुआ. उस वक्त कमरे में मेरे सिवाय और कोई नहीं था.


वह मुझे देख कर बोली- आप सो गए हैं क्या? मैंने कोई जवाब नहीं दिया.


उसने लाइट जला दी. जैसे ही उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी, वह हरत से खड़ा लौड़ा देखने लगी. हालांकि लंड पजामे के अन्दर था, पर खड़ा था तो लौड़े की पहाड़ी मस्त लग रही थी.


मैं कनखियों से उसे देख रहा था.


थोड़ी देर तक मेरे लौड़े को देखने के बाद उसने लाइट बन्द कर दी. उसके बाद वह बाहर चली गई.


मैंने सोचा शायद वह शर्मा कर चली गई लेकिन वह बाहर से पड़ोस की लड़की को लेकर कमरे में वापस आ गई.


इस लड़की की गांड बहुत बड़ी थी और साली की चूचियों का साइज भी बहुत मस्त था. वह उसको लेकर जब रूम में आ गई, तो मैं वैसे ही सोने की नाटक करते हुए उसे देखने लगा और सोचने लगा कि क्या आज मेरा सपना पूरा हो जाएगा? उसी समय वह बड़ी गांड वाली लड़की ने फोन निकाला और फोन की लाइट से वह मेरे खड़े लंड को देखने लगी.


एक ही मिनट बाद वह मेरे लंड का फोटो लेने लगी. उसी समय मैं झटके से उठा और बोला- ये क्या कर रही हो? डिलीट करो जल्दी से!


मैं उसके फोन की तरफ लपका. वह हंसती हुई भागने की कोशिश में थी लेकिन मैंने उस बड़ी गांड वाली को गोद में कसके पकड़ लिया और उसे अपने काबू में करके बेड पर ले गया. अपने पलंग पर उसे पटक कर मैं उसके ऊपर चढ़ गया.


मेरा मुँह उसके होंठों के पास था. मैं बोला- फोन दो! वह बोली- नहीं दूंगी.


उसकी गर्म सांसें मुझे महसूस हो रही थीं. मेरा लंड और टाइट हो गया और वह उसकी चूत पर तन कर लग रहा था. मेरा भी हाल खराब हो गया था.


मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और काटना शुरू कर दिया. अब वह आह ऊह करने लगी थी.


मैंने बिना देरी किए उसके लोवर में हाथ डाल दिया और उसकी बुर में उंगली डाल दी. वह एकदम से चिहुंक गई और उसने एक मादक आह भरी.


मैं उसकी बुर में उंगली अन्दर बाहर करने लगा. उसने अपना पूरा शरीर ढीला छोड़ दिया था.


मैंने उसका लोवर नीचे सरका दिया और अपना मूसल जैसा लंड उसकी बुर पर रख दिया.


वह लौड़े का अहसास करके अपनी कमर मटकाने लगी. मैंने धीरे से लंड रगड़ कर उसकी चूत के छेद पर सैट कर दिया.


उसकी चूत बहुत ही ज्यादा गीली हो चुकी थी. वह चुदने को मचलने लगी थी और बार बार अपनी कमर उठा कर लंड अन्दर लेने की कोशिश कर रही थी.


मैंने धीरे से झटका दे दिया. उसका छेद खुला था तो आधा लंड उसकी बुर में चला गया. उसके मुँह से आह निकल गई.


मैंने उसके होंठ काटना शुरू कर दिए ताकि वह और ज्यादा आह ऊंह न कर पाए. अब मैंने उसके ऊपर अपनी पकड़ बना ली थी और उसी समय एक जोरदार झटका मार दिया. मेरा पूरा लंड उसकी बुर में समा गया.


वह कसमसाने लगी और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी थी. मगर ना तो वह मुझसे छूट पा रही थी और ना ही अपने मुँह से कोई आवाज निकाल पा रही थी.


इधर अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेलने के बाद मैं यूं ही रुका रहा और उसके मुँह को अपने मुँह से चूमता रहा.


कुछ पल बाद मैंने उसके मुँह पर से अपना मुँह हटा लिया, तो वह शांत हो गई थी. चूंकि लंड अभी चूत में फंसा था, पर मैं हिल नहीं रहा था तो उसका कसमसाना बंद हो गया था.


अब मैंने उसके ऊपर लेटे हुए ही उसकी टी-शर्ट को ऊपर किया और उसकी चूचियों को चूसना और काटना शुरू कर दिया. वह मस्त हो गई और मुझसे अपनी चूचियां चुसवाने का मजा लेने लगी; उसी के साथ वह अपनी गांड मटकाने लगी.


मैं समझ गया कि अब इसके चूल्हे में आग सुलगने लगी है तो मुझे चुदाई शुरू कर देनी चाहिए. तो मैं धकापेल में लग गया.


कुछ बीस मिनट की चुदाई के बाद वह बिल्कुल सुस्त हो गई. शायद वह झड़ चुकी थी.


मैंने भी उसकी पूरी बुर को अपने माल से लबालब भर दिया और टॉवल से लंड पौंछ कर उठ गया.


उसने भी अपनी चूत को साफ किया और लोवर ऊपर करके चली गई.


शादी खत्म हो गई. सब लोग वापस जाने लगे.


मेरी ट्रेन एक दिन बाद होने के कारण मुझे रुकना पड़ा था. उन अप्सराओं की ट्रेन भी सुबह में थी.


शाम को सभी लोगों के जाने के बाद घर पूरा खाली हो गया था इसलिए मैं अकेले ही रूम में बैठ कर टीवी देख रहा था.


उसी समय वही छोटी वाली अप्सरा कमरे में आई और मुझ देख कर शर्माने लगी.


मैंने उसे अपने पास बुलाया तो वह भागने की कोशिश करने लगी.


मैंने कहा- सुनो इधर आओ जरा! वह बोली- नहीं, मैं नहीं आऊंगी!


मैंने बोला- सुनो न, मुझे तुमसे एक काम है! वह मुस्कुराती हुई आई- बोलो क्या काम है?


मैंने कहा- हंस क्यों रही हो? वह बोली- कुछ नहीं … ऐसे ही!


मैंने बोला- बताओ न क्यों हंस रही हो? वह सर नीचे करके बोली- मैंने देखा था, जो तुमने उसके साथ किया था


मुझे पहले थोड़ा सा तो डर लगा कि साला कहीं बवाल न हो जाए. लेकिन उसके मनोभाव देख कर पूरा विश्वास था कि आज ये भी चुदे बिना नहीं मानेगी.


मैंने कहा- जो देखा था, वह किसी से बताया तो नहीं है न! वह बोली- नहीं.


मैंने बोला- वह फोटो डिलीट कर दो! वह बोली- कौन सी फोटो?


मैं खुलना चाहता था इसलिए मैंने कहा- मेरे लंड की फोटो. वह हंस कर बोली- वह तो उसी के फोन में है.


मैंने बोला- अपना फोन दिखाओ! वह मेरे पास आई और फोन मुझे दे दिया. मेरी हिम्मत बढ़ चुकी थी, तो मैंने उसकी कलाई पकड़ी और कहा- आओ बैठो यहां डर क्यों रही हो?


वह बैठ गई. उसके फोन में फिंगर प्रिंट वाला लॉक लगा हुआ था.


मैंने बोला- उंगली डालो. वह चिढ़ा कर बोली- किधर? मैंने मुस्कुरा कर कहा- अरे यार फोन खोलो.


उसने फोन खोल दिया.


मैं झूठ-मूट का फोन चलाने लगा और बोला- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है? वह बोली- नहीं.


मैं बोला- कल जो हुआ, वह पूरा देखा था! वह शर्मा कर बोली- हां.


मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा और बोला- तुम्हारा भी गीला हो गया था न! वह कुछ नहीं बोल रही थी.


मैंने लोवर के ऊपर से ही उसकी बुर पर हाथ रख कर कहा- अभी भी गीला हो रहा है ना! वह बिना विरोध किए स … स्सी … करने लगी और उसने अपनी सांस को अन्दर की तरफ खींच लिया.


उसकी बुर भी पूरी गीली हो गई थी. पानी ऊपर तक आ गया था.


मैंने उसकी चूत को रगड़ते रगड़ते हाथ अन्दर कर दिया.


आआहह … छेद पर एक भी बाल नहीं था. साली मक्खन जैसी चिकनी चूत थी; मेरी उंगली उसकी गीली बुर पर फिसल रही थी.


मैंने उसको किस करना शुरू कर दिया और उसकी चूचियों को दबाना भी चालू कर दिया. उसकी चूचियों की साइज छोटी थी.


फिर टी-शर्ट को ऊपर करके उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया. वह आंखें बंद कर आह आह कर रही थी. उसकी चूत से पानी लगातार निकल रहा था.


मैंने उसकी बुर में उंगली डालने की कोशिश की तो वह पूरी तरह कुंवारी माल थी. वह चिल्लाने लगी और कराहती हुई बोली- उई नहीं करो … दर्द कर रहा है.


मैंने उसका पूरा लोवर खोल दिया. उसकी बुर इतनी ज्यादा क्यों कसी हुई थी, समझ ही नहीं आ रहा था.


मेरा मन कर रहा था कि बस इसकी चूत को खा जाऊं. मैंने उसकी बुर पर किस कर लिया और अपना भी लोवर खोल दिया.


अच्छे से उसे लेटा कर चूचियों में मुँह लगा कर काटना चूसना शुरू कर दिया, साथ ही उसके होंठों को भी चूसना शुरू कर दिया. उसी दौरान मैं उसके ऊपर चढ़ गया और वह भी मुझसे अपने जिस्म को रगड़ने लगी थी.


तभी धीरे से मैंने अपने लंड को उसकी देसी विलेज चूत के द्वार पर रख दिया और उसके मुँह को अपने होंठों से पूरी तरह बंद कर दिया. वह कुछ समझ पाती कि उसी समय मैंने एक जोर से धक्का दे मारा.


मेरा पूरा लंड उसकी बुर में घुसता चला गया. वह छटपटा कर रह गई.


मैं वैसे ही पूरा लंड उसकी बुर में पेल कर थोड़ी देर के लिए रुक गया और उसके मम्मों को सहलाने लगा.


कुछ पल बाद मैंने उसके होंठों को धीरे से छोड़ा, तो वह हाँफती हुई बोली- आंह … जल्दी से बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी … आह बहुत दर्द कर रहा है.


मैंने उसे समझाया कि बस रुक जाओ, और दर्द नहीं करेगा अब बस मज़े आएंगे.


ये सब बातें करते करते मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.


धीरे धीरे उसका दर्द मज़े में बदलना शुरू हो गया. वह भी शांत हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी.


तभी मैंने नीचे देखा, पूरा चादर खून से भीग गया था.


उसे बिना बताए मैंने चुदाई चालू रखी. शायद वह इतनी देर में दूसरी बार भी गिर चुकी थी.


कुछ देर बाद मैंने भी उसकी चूत में ही पूरा माल छोड़ दिया. थोड़ी देर तक उसकी बुर में लंड पड़ा रहा फिर सिकुड़ कर बाहर आ गया. मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा.


वह बोली- चलो, अब कोई आ जाएगा. मैं हटा तो वह उठ कर खड़ी हो गई. बिस्तर पर खून देख कर वह डर गई.


मैंने बहुत समझाया कि कुछ नहीं हुआ … तुम जाओ. मैं सब ठीक कर दूंगा.


वह बोली- मेरे नीचे दर्द कर रहा है. मैंने कहा- हां वह पहली बार में होता है. सब ठीक हो जाएगा. तुम मुझे अपना नंबर दे देना.


वह ओके बोल कर चली गई. मैं बाथरूम में चादर ले गया और धोकर सूखने डाल दी. मैं सो गया.


वह सुबह नंबर देकर चली गई. अब उसके बाद उसकी बड़ी बहन को भी पेलने का मन है, देखो कब चोदने मिलती है.


आपको मेरी देसी विलेज चूत कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे बताएं. [email protected]


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