पड़ोस की दीदी के साथ पहला सेक्स- 1

रॉकी गुड्डी

15-05-2024

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देसी न्यूड न्यूड सेक्स कहानी में मैं और गुड्डी पड़ोस में रहते थे, हम अच्छे दोस्त थे। मैं गुड्डी को दीदी मानता था। पर बाद में कैसे हम दोनों का प्यार बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड वाला हो गया।


दोस्तो, मेरा नाम राकेश है पर लोग मुझे प्यार से रॉकी बुलाते हैं।


यह मेरी पहली देसी न्यूड न्यूड सेक्स कहानी है, अगर कहानी लिखने में कोई भी गलती हो जाए तो उसे नजरंदाज कर देना और कहानी का मजा लेना।


दोस्तो, बात तब शुरू होती है जब मैं 12वीं में पढ़ता था तब हमारे पड़ोस में गुड्डी दीदी अपने परिवार के साथ वहां रहने आई थी। गुड्डी दीदी मुझसे 2 वर्ष बड़ी थी।


दीदी दिखने में एकदम परी की तरह दिखती थी, 21 वर्ष की उम्र में ही वे किसी फिल्म की हीरोइन की तरह दिखती थी। इसलिए हमारे मोहल्ले में उनके आते ही उनके चर्चे होने शुरू हो गए थे।


गुड्डी दीदी का शरीर एकदम सुडौल था. उनका फिगर उनकी उम्र के हिसाब से काफी अच्छा था। दीदी की हाईट 5′ 7″ थी उनके स्तन 38″ के थे.


उनकी कमर एकदम नागिन जैसी चिकनी और पतली थी जिसका साइज 32″ था. उनके शरीर में उनकी कमर और स्तन को कोई टक्कर दे सकता था तो वो थे उनके दो गोल गोल नितम्ब!


जब वे चलती थी तो मोहल्ले के जवान लड़कों के साथ साथ और बुजुर्ग का भी दिल डोल उठता था।


गुड्डी दीदी के पापा एक वी आई पी थे इसलिए उनके घर के ठाठ-बाट काफी अच्छे थे।


वे हमारे बगल वाले घर में ही आई थी इसलिए उनकी मम्मी ने आते ही मेरी मम्मी के साथ दोस्ती कर ली थी. जिसका सबसे ज्यादा फायदा मुझे हुआ था।


आगे चलकर मैं बताऊंगा कि कैसे मुझे मेरी मम्मी की गुड्डी दीदी की मम्मी की दोस्ती से फायदा हुआ।


इन बातों में मैं अपने बारे में बताना ही भूल गया. जब गुड्डी दीदी आईं थी तब मेरी हाईट गुड्डी दीदी के बराबर ही थी और मुझे दोस्तों की वजह से जिम जाने का भी शौक हो गया था जिससे मेरे मसल्स थोड़े थोड़े उभरने लगे थे।


गुड्डी दीदी का साथ मुझे काफी अच्छा लगता था क्योंकि एक तो दीदी का फिगर भी बहुत कमाल था और ऊपर से उनका रंग भी गोरा था।


वे मुझसे उम्र में बड़ी थी और ऊपर से वे मेरे साथ दिखती थी तो मोहल्ले के लड़कों को मुझसे जलन भी होती थी।


जिससे मुझे बहुत ही अच्छा लगता था इसलिए मैं गुड्डी दीदी के साथ रहने के बहाने ढूंढता था कभी कोई बहाना कभी कोई!


मेरा जिम जाने का मन भी नहीं करता था क्योंकि वहां भी मुझे गुड्डी दीदी की याद आती थी।


ऐसे ही करते करते साल निकल गया मैंने कॉलेज ज्वाइन कर लिया था और क्योंकि गुड्डी दीदी भी कॉलेज जाती थी तो मैंने भी उनके कॉलेज में ही एडमिशन लिया था ताकि मुझे उनका साथ ज्यादा से ज्यादा मिल सके.


और गुड्डी दीदी ने कॉलेज में साइंस लिया था तो मैंने भी उनके साथ रहने के लिए साइंस ले लिया ताकि मैं उनके घर ज्यादा से ज्यादा जा सकूं।


अब तो मेरा पूरा समय दीदी के साथ ही बीतने लगा था. मैं कॉलेज भी दीदी के साथ जाता था और आता भी उन्ही के साथ था.


जिससे कॉलेज के लड़कों को मुझसे जलन होती थी क्योंकि गुड्डी दीदी का फिगर और ज्यादा निखर आया था।


मेरे कॉलेज के नए दोस्तों के बीच भी मेरा इंप्रेशन ज्यादा अच्छा था क्योंकि जब भी वे मुझे दीदी के साथ देखते थे तो उन्हें लगता था कि शायद मेरे और दीदी के बीच कुछ है. पर मैं हमेशा मना करता था क्योंकि दीदी और मेरे बीच में कुछ नहीं था।


एक दिन जब मैं और दीदी कॉलेज से वापिस आ रहे थे तो कुछ लड़कों ने उन्हें छेड़ना शुरू कर दिया था. और मैं उनके साथ ही था तो मुझे उन पर गुस्सा आया कि मेरे होते हुए उन्होंने गुड्डी दीदी को कैसे छेड़ा।


मैं जिम जाता था इसलिए मुझे डर कम ही लगता था तो मैं उनसे भिड़ गया। मैंने उन्हें बहुत मारा. वो 4 लड़के थे इसलिए थोड़ी चोट मुझे भी लग गई थी।


वे लड़के तो पीटने के बाद भाग गए थे लेकिन दीदी बहुत घबरा गई थी क्योंकि एक लड़के ने मेरी जांघ पर बेसबॉल का बैट मार दिया था।


आज पहली बार मुझे दीदी की आंखों में मेरे लिए एक अलग भाव दिखा था. क्योंकि उनकी आंखों में आंसू आए हुए थे.


वे मुझे चोट लगने के कारण बहुत घबरा गई थी. तो मैंने उनको कहा- मैं ठीक हूं! पर वे मानने के लिए तैयार नहीं थी।


दीदी और मैं उनकी स्कूटी पर घर वापिस आए तो पता चला कि मेरी मम्मी और दीदी की मम्मी कहीं बाहर गई हुई थी. तो दीदी मुझे अपने घर पर ले गई थी।


मैं जाकर सोफे पर लेट गया.


लेकिन दीदी ने देखा कि मेरे पैर से खून निकल रहा था. तो दीदी ने कहा- तुम पैंट निकाल दो, मैं खून साफ कर देती हूं.


मैंने कहा- दीदी मैं खुद कर लूंगा! तो उन्होंने कहा- नहीं, मैं कर देती हूं तुमने मेरे लिए झगड़ा किया तो मेरा फर्ज है ये! इस बात पर मैंने कहा- आपको कोई भी कुछ भी गलत कहेगा तो उसे मैं छोडूंगा नहीं।


तब दीदी ने पूछा- ऐसा क्यों? तो मैंने कुछ जवाब नहीं दिया बस उन्हें देखता रहा क्योंकि दीदी बड़े आराम से खून साफ कर रही थी.


पर इन सब में मुझे यह ध्यान नहीं रहा कि मैं दीदी के सामने केवल अंडरवीयर और टीशर्ट में बैठा हूं और दीदी के कोमल हाथ लगने से मेरा लंड खड़ा हो गया था.


दीदी जब खून साफ कर रही थी तो उनका हाथ बार बार मेरे लंड पर टच हो रहा था जिससे वो टाइट होता जा रहा था।


मैंने ध्यान से देखा तो दीदी का ध्यान बार बार मेरे लंड पर जा रहा था. और मुझे भी अच्छा लग रहा था।


आज मुझे पहली बार गुड्डी दीदी में दीदी की जगह एक हसीन और सुंदर लड़की दिखाई दे रही थी जो मेरे उत्तेजित हुए लंड को बार बार देख रही थी।


खून साफ करने के बाद दीदी बाथरूम में चली गई हाथ धोने! और मैं पैंट पहनने जा रहा था तो दीदी ने कहा- इसे मैं धो दूंगी क्योंकि इस पर खून लगा हुआ है। मैंने कहा- ठीक है दीदी, तो अब मैं क्या पहनूं?


तो उन्होंने अपनी एक प्लाजो दे दी. उन्होंने कहा- मम्मी जब तक आएगी तब तक पैंट सूख जायेगी तो तुम तब तक यहीं रहो।


मैंने प्लाजो पहना लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था और उसने प्लाजो में तम्बू बना लिया था. यह देख कर दीदी ने कहा- अरे यह तो अभी तक खड़ा है! और इतना कहते कहते वे मेरे पास आ गई थी.


दीदी की आंखों में हवस की आग थी जो मेरे लंड के खड़े होने से और ज्यादा बढ़ गई थी। उन्होंने पास आके मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया और उसे दबाने लगी और साथ में सिसकारियां भी लेने लगीं।


ऐसा लग रहा था कि आज दीदी अलग मूड में हैं.


इससे पहले मैं कुछ कहता, दीदी ने मेरे होंठों को अपने होंठों से पकड़ लिया था जिससे मुझे अच्छा लग रहा था।


दीदी लगातार मेरे होंठों को चूस रही थी और मेरे लंड को दबा रही थी. मैंने भी दीदी को अपनी बांहों में भर लिया और उनका साथ देने लगा।


लगातार 15 मिनट चूसने के बाद दीदी ने प्लाजो को नीचे किया और मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया. वे मेरे लंड को चूसने लगी थी।


दीदी मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी क्योंकि ये मेरे लिए पहली बार था तो मैं केवल 5 मिनट में ही झड़ गया।


मैं दीदी के मुंह में ही झड़ गया था और दीदी ने मेरा वीर्य पी लिया था जो मुझे अजीब लगा था क्योंकि मुझे इन सब बातों के बारे में पता ही नहीं था. क्योंकि मैंने दीदी के अलावा किसी और बातों पर ध्यान ही नहीं दिया था।


मेरे वीर्य को पीने के बाद दीदी मुझे एक अलग ही नजर से देख रही थी.


वे मुझे अपने बेडरूम में ले गई और उन्होंने दरवाजा बंद करके अपने कपड़े निकाल दिए. मैंने पहली बार दीदी को उस दिन बिना कपड़ों के देखा. बिल्कुल सफेद गोरा बदन जिस पर एक भी बाल नहीं … यहां तक उनकी चूत भी बिल्कुल साफ थी.


गुड्डी दीदी की चूत का रंग गुलाबी था, उनके निप्पल भी गुलाबी थे। दीदी के निप्पल बिल्कुल टाइट हो चुके थे, उनके स्तन वैसे भी बड़े थे तो इसलिए निप्पल चूसने का मजा आने वाला था.


दीदी ने मुझे घूरा और पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो? पहले कभी बिना कपड़ों के लड़की नहीं देखी क्या?


मैंने ना में सिर हिला दिया और दीदी को कहा- दीदी, आपको ही देखा है पहली बार! तो इस पर उन्होंने कहा- दीदी नहीं, मुझे गुड्डी बोलो रॉकी!


और इतना कहते हुए मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर मुझसे लिपट गई और मेरे होंठों को चूमने लगी, उन्हें काटने लगी।


दीदी लगातार अपने शरीर को मेरे शरीर पर रगड़ रही थी।


हम दोनों की सांसें तेज हो चुकी थी, दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी. और मेरा लंड फिर से तन चुका था.


मैंने प्लाजो निकल दिया था तो मेरा लंड सीधा गुड्डी की चूत पर जाकर लगा। मेरे लंड के गुड्डी की चूत पर लगते ही हम दोनों की एक साथ आह हहहह … निकली।


देसी न्यूड न्यूड सेक्स के ख्याल से हम दोनों के बदन में करंट दौड़ गया।


दीदी तो मानो पागल ही हो गई थी. वे अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी और मुझे चूमने लगी.


तब तक मुझे भी जोश आ गया और मैंने दीदी के दोनों स्तनों को अपने मजबूत हाथों से पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा।


मेरे इस अचानक पकड़ने से दीदी की चीख निकल गई क्योंकि मैंने बहुत जोर से उन्हें पकड़ लिया था. चीख निकलते ही मैंने दीदी के होंठों को अपने होंठों से दबा लिया जिससे उनकी आवाज बाहर तक न जा सके।


मैंने दीदी के स्तनों को चूसना शुरू किया. यह न्यूड न्यूड अहसास बहुत ही यादगार था.


मोटे मोटे 38″ के स्तन जिनके निप्पल गुलाबी थे, वो आज मैं चूस रहा था. मुझे मजा आ रहा था. मुझसे भी ज्यादा मजा गुड्डी को आ रहा था, वे बार बार मुझे जोर से दबाने और चूसने के लिए कह रही थी और मैं उनकी बात को मान रहा था।


दीदी सिसकारने लगी थी, वे अपने होंठों को काट रही थी. मेरे बालों को उन्होंने कस कर पकड़ रखा था।


वे बार बार ‘आई लव यू रॉकी’ कह रही थी।


मेरे मुंह को उन्होंने अपने स्तनों में घुसा दिया था जिससे मैं अच्छे से चूस पाऊं और दबा पाऊं।


गुड्डी दीदी की सिसकारियों से मेरा जोश भी बढ़ गया था। मैं भी पूरे जोश के साथ गुड्डी के स्तनों को दबा और चूस रहा था।


पूरे कमरे में बस दो ही आवाजें गूंज रही थी, एक तो गुड्डी की सीत्कारों की और दूसरी मेरे चूसने की!


लगातार 20 मिनट तक दबाने और चूसने के बाद दीदी एकदम से शांत हो गई और मेरे ऊपर लेट गई.


हम दोनों की सांसें तेज हो चुकी थी.


मैंने महसूस किया कि मेरे लंड के और मेरे पेट के ऊपर कहीं से गर्म पानी आ पड़ा था।


तब मैंने दीदी को ऊपर से हटाया तो देखा कि मेरा नीचे का हिस्सा भीगा हुआ था. बेड भी भीगा हुआ था. तब गुड्डी दीदी ने बताया कि जब लड़की अपने चरम पर होती है तो वह चूत से पानी छोड़ देती है जिससे उसे मजा आता है।


तो मैंने कहा- मैंने तो अभी तक कुछ किया ही नहीं … तो पानी कैसे छोड़ दिया? दीदी ने कहा- मैं अपनी चूत को तुम्हारे लंड पर रगड़ रही थी … इसलिए!


तभी दीदी ने यहां तक बताया कि लड़कियों को ऑर्गेज्म केवल रगड़ने से ही मिल जाता है.


तो मैंने कहा- क्या मैं आपकी चूत को छूकर देख लूं? दीदी ने कहा- पागल पूछ मत … जो भी करना है, कर ले … आज मैं तुम्हारी ही हूं।


तो दीदी ने कहा- क्यों ना हम 69 पोजिशन में एक दूसरे को ओरल सेक्स का मजा दें। मैंने पूछा- दीदी 69 क्या होता है?


तब दीदी ने मोबाइल में पोर्न वीडियो दिखाई और मुझे समझाया।


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