मेरे आशिक ने मेरी मम्मी की चूत गांड मारी

अंजलि शाह

20-08-2024

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Xxx मॅाम सेक्स स्टोरी में मैंने अपने आशिक को मेरे ही घर में मेरी मम्मी की गांड मारते देखा तो मैं सन्न रह गयी. फिर वो मेरे पास मुझे चोदने आया तो …


यह कहानी सुनें.


दोस्तो, एक बार फिर से मैं पिछली कहानी का अगला भाग लेकर उपस्थित हूं.


पिछली सेक्स कहानी पड़ोसी लड़के से बुर की सील तुड़वा ली मैंने में सपना ने बताया कि कैसे विपुल ने उसकी चूत फाड़ी.


अब आगे Xxx मॅाम सेक्स स्टोरी:


अब तक मैंने बताया था कि कैसे मैं अपने बॉयफ्रेंड विपुल से चुदी और हमने अपने जीवन में एक नई शुरूआत की थी.


चुदाई के बाद हम दोनों ही एक दूसरे से खुल चुके थे और दोनों को खुश करने की कोशिश करते थे. वह मेरी पसंद नापसंद को समझना चाहता था.


कई बार वह मेरी पसंद का सामान लाता रहता था. मेरे साथ वह हमेशा खुश रहता और मुझे भी खुश रखता था.


मैं भी उसे रिझाने में पीछे नहीं रहती थी. पर हमारी इन हरकतों को कोई और भी देख रहा था और उसे ये अच्छा नहीं लग रहा था.


यह बात मुझे बाद में पता चली.


विपुल अब कभी भी कहीं भी मुझे बांहों में ले लेता या मेरे चूचे दबा देता था, कभी मेरे गाल पकड़ लेता.


कई बार तो ऐसा हुआ कि मेरी मां भी वहीं रहतीं और वह मेरी गांड सहलाने लगता या उस पर चमाट मार देता.


मैं अकेले में उससे कहती थी- थोड़ा तो सब्र रखो, मां के सामने ही तुम्हारे हाथ हरकत में आ जाते हैं. इस पर वह कहता था- तेरी मां से मैंने तुझे मांग लिया है, वह कुछ भी नहीं कहेगी.


अब वह अक्सर ही मुझे चोदने लगा था. मुझे भी मजा आता था लेकिन डरती भी थी.


एक दिन जब वह पढ़ा रहा था तो मां उसके लिए चाय लेकर आईं. उसने तुरंत अपना हाथ मेरी सलवार से बाहर निकाला और ठीक से बैठ गया.


फिर मां से इधर उधर की बात करते हुए चाय खत्म की और जब मां बाहर जाने लगीं, तो वह बेझिझक बोला- कमरे का दरवाजा बंद कर दीजिए. मां ने भी दरवाजा बंद किया और चली गईं.


वह फिर से मेरे शरीर से खेलने लगा और उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया.


मैंने हाथ हटाना चाहा लेकिन उसने पकड़े रखा.


मुझे डर था कि फिर कहीं मां वापस आ न जाएं इसलिए मैंने कहा- यहां नहीं, बाद में पकड़ लूंगी. तभी वह उठा और उसने दरवाजे की कुंडी लगा दी और पर्दा भी डाल दिया.


मैं- ये क्या करने जा रहे हो? विपुल- अब तुम्हारी मां नहीं आएगी.


यह कहते हुए उसने अपनी पैंट उतार दी. मैं- पागल हो गए हो क्या, पैंट ठीक करो अपनी!


उसने मुझे खड़ा किया और कसकर अपनी बांहों में दबा लिया. मैं भी सिमटने लगी, आखिर उसके लंड की दीवानी जो हो गई थी.


विपुल- आज तो तुझे यहीं पर ठोकने का इरादा है मेरी जान! मैं- पागल तो नहीं हो गए, अगर मां आ गईं … तो दोनों की खैर नहीं.


यह कहती हुई मैं उससे अलग हुई.


विपुल- तेरी मां कुछ नहीं बोलेंगी, अगर मैं उनके सामने तुझे चोद भी दूं तो भी वे कुछ नहीं कहेंगी. इतना कहकर उसने मुझे बांहों में लेकर चूमना शुरू कर दिया और मैं भी मदहोश होने लगी.


एक एक करके उसने सारे कपड़े उतार दिए और चूमने से लेकर चोदने तक सब कर दिया. मैं काफी चीखी थी और वह भी गालियां दे रहा था.


मुझे डर भी था इसलिए अपनी आवाज को दबाने की कोशिश करती, पर वह उतना ही जोर से बोलता या मेरी गांड पर चांटे मारता.


हम दोनों के झड़ जाने के बाद वह खड़ा हुआ.


विपुल- देखा मेरी जान, तेरी मां ने इधर एक बार भी नहीं झांका क्योंकि उसे पता है कि मैं तेरी जवानी के मजे लेकर तेरी चूत का भोसड़ा बना रहा हूं. यह कह कर वह हंसने लगा.


आश्चर्य तो मुझे भी हुआ कि इतनी आवाज सुनकर भी मां नहीं आईं.


फिर तो ये अक्सर होने लगा. मैं जब कॉलेज से आती तो वह वहीं बैठा रहता था. कभी अपने घर ले जाता तो कभी हमारे घर पर ही चोद देता.


उसे अपने काम से कभी कभी शहर से बाहर जाना पड़ता था और वह दस बारह दिनों बाद आता.


मेरी मां विमला उर्फ वेमो तब बयालीस वर्ष की थी पर उन्होंने खुद को काफी संभाल कर रखा था. उस समय उनका फिगर 34D-30-36 का था.


मां देखने में पैंतीस साल की भी नहीं लगती थीं.


हां बाद में विपुल ने उनका भी सारा फिगर ही बदल डाला.


एक दिन कॉलेज से जल्दी छुट्टी हो गई और मैं घर आ गई.


जब मैंने दरवाजे को खुला देखा तो लगा कि शायद मां बंद करना भूल गई हैं.


जैसे अन्दर पहुंची तो ड्राइंग रूम में से आवाज़ आई. मैं उसी ओर बढ़ी, दरवाजा बन्द पाया … सिर्फ खिड़की खुली थी, वह भी आधी.


मैंने वहीं से देखने की कोशिश की. तभी विपुल की आवाज आई- चल बहन की लौड़ी कुतिया बन जा! उसकी आवाज सुनकर यकीन हो गया कि ये विपुल ही है क्योंकि वह सेक्स के समय गालियां देता है.


इसका मतलब वह वापस आ गया है, पर उसके साथ कौन है? तभी मां की आवाज आई- जरा आराम से करना … आह आराम से बोला न! विपुल- ठहर जा मादरचोद … अन्दर तो जाने दे पहले!


मैंने खिड़की से देखा तो दंग रह गई. सच में मां कुतिया बनी थीं और विपुल उनकी गांड चोद रहा था.


मां की बस आवाज निकल रही थी- आह … आह ओ…..ह धीरे आह मर गई आराम से चोद न! विपुल- हां बस ऐसे ही रह साली रण्डी … अब तो तेरी गांड फाड़ने का ही मन है … बस ऐसे ही मेरी कुतिया बनी रह!


मां- आह आगे से किया … मैंने नहीं रोका … उधर से ही करो ना … य…हां पीछे से बहुत दर्द होता है … आह. विपुल- चुप साली रण्डी, चूत में जो मजा तेरी बेटी देती है … वह तेरी गांड में ही आता है. छिनाल साली … तेरी चूत में मजा सुहागरात को आया था!


मां- अभी भी आएगा लेकिन तुम आह आगे पेलते ही नहीं … आह!


विपुल- वेमो (वह मेरी मां को इसी नाम से बुलाता था) चुपचाप एक रांड की तरह गांड फड़वा ले अपनी … मादरचोद तेरी चूत में लौड़ा पेलूँ!


कुछ देर बाद मां भी उसके लंड को धक्का देने लगीं और अब सिसकती हुई मजा लेने लगी थीं- ओह … आह … हां ऐसे ही … चोदो मुझे बस … तुम्हारे लंड की प्यासी हूं … आह और तेज … आह फाड़ दो … आज … और तेज चोदो मुझे!


यह सब देखते हुए कब मेरा हाथ मेरी सलवार में चला गया, मुझे पता ही नहीं चला.


विपुल जोर जोर से मेरी मां चोद रहा था और तेज तेज झटके मार रहा था. वह आह आह कर रहा था और कहते हुए ही शायद उसका काम हो गया था क्योंकि वह मां की पीठ पर ही लेट गया था.


दोनों की सांसें तेज चल रही थीं. फिर उसने मां को सीधा किया और लेटा रहा.


मां ने पहले उसके लंड को साफ किया, फिर उसकी बांहों में चली गईं.


विपुल- वेमो मेरी जान, मेरे साथ मजा आया कि नहीं? मां- हां बहुत … तुम्हारे साथ ही तो मजा आता है वरना ये मुंशी तो सिर्फ नाम का पति है.


फिर मैं वहां से हट कर अपने कमरे में आ गई. मेरा एक हाथ अभी भी चूत पर ही था.


मैं यही सोच रही थी कि वह मेरा बॉयफ्रेंड है … और मेरी मां की चूत और गांड में पेलता है.


मां भी उसके साथ बिना कपड़ों के सेक्स का मजा लेती हैं. पर ये सुहागरात वाली बात कब की है और कैसे हुई थी?


मैं इन्हीं सब सवालों में सोच रही थी कि तभी मेरे कमरे का दरवाजा बंद हुआ और विपुल बिस्तर पर आ गया. वह मेरे शरीर से खेलने लगा.


मैंने उसे हटा दिया और दूसरी तरफ मुड़ कर सो गई.


उसने एक बार फिर से मेरी गांड सहलाते हुए मुझे अपनी तरफ खींचा. पर मैं आज उसके पास जाना नहीं चाह रही थी या क्या था … कुछ समझ नहीं आ रहा था.


लेकिन उसने उठाकर अपनी बांहों में ले लिया और होंठों को सहलाते हुए पूछा- क्यों आज मन नहीं है क्या … या कोई और बात है? मुझे कोई जवाब सूझ नहीं रहा था कि क्या कहूं?


उसने कहा- कोई बात नहीं वैसे भी आज तुम्हारी मां को बहुत रगड़ दिया है, मजे ले ले कर! मैं दंग रह गई कि ये खुलकर खुद ही बता रहा है!


तो उसने कहा- मैंने और वेमो ने तुम्हें शीशे में देख लिया था. मैं- ये वेमो का खेल कब से चल रहा है?


उसने बताया कि जब पहली बार मैं तुम्हारे घर आया था, तभी से तेरी मां वेमो मुझसे बात करने के लिए बहाने ढूंढती थी. फिर बाजार में मुझसे बिना किसी वजह के चिपक जाती. मैं भी खूब मजे लेता था. अक्सर कुछ सेक्सी कपड़े की तस्वीर दिखा कर मैं तेरी मां से कहता कि आप पर अच्छा लगेगा.


इतना कह कर विपुल चुप हो गया.


मैंने विपुल की तरफ देखा और आंखों से ही पूछा- फिर?


वह- फिर एक दिन हम दोनों कार से बाजार जा रहे थे और बातों बातों में मैंने तेरी मां के बूब्स पर हाथ मार दिया. पहले तो मैं खुद ही घबरा गया था कि ये कुछ ज्यादा हो गया, पर तभी वेमो ने मेरा हाथ वापस अपनी चूचियों पर रखवा कर कहा कि पहली बार तो सही जगह पर रखा है, कोई बात नहीं ऐसे ही रखो न!


मैं विपुल की बात सुनकर हैरान हो गई थी कि मेरी मां अभी भी चुदासी रहती हैं.


तभी विपुल ने आगे Xxx मॅाम सेक्स के बारे में बताया- फिर मैं तेरी मां के दूध सहलाने और दबाने लगा. तभी उसने मेरा लंड निकाल कर फेंटना चालू कर दिया. मैं कार को शहर से बाहर लेकर गया और वहां मैंने उसे खूब दबाया और चूसा. उसने भी लंड चूसने का काम किया. फिर मैंने उसे चोदने की कोशिश की, तो वेमो ने मना कर दिया और कहा कि वह खुद समय और स्थान दोनों बताएंगी, तब चोदना.


यह कह कर विपुल हंसने लगा और एक पल रुक कर वापस बताने लगा- फिर हमारी सुहागरात वाली रात भी आई, जहां मैंने पहली बार तेरी मां की चूत और गांड दोनों को पेला. मैं- मतलब हर रोज तुम अपनी वेमो के लिए ही यहां आते थे … न कि मेरे लिए?? विपुल- हां मेरी जान, तुम्हारे आने से पहले मैं एक बार उसकी गांड मारता हूं. लेकिन सिर्फ उसके लिए नहीं बल्कि तुम्हारे लिए ही. लेकिन इससे पहले कि तुम कुछ समझो, तेरी मां ने मेरे लिए अपनी चूत खोल दी.


मैं- मतलब वह सुहागरात? कब और कैसे … सब बताओ मुझे! विपुल- वह पार्टी वाली रात याद है न … जब मैं तुम्हें अपनी बांहों में लेना चाह रहा था. तब वेमो ने मुझे चलने के लिए कहा और अपने घर में ले गई थीं. वहां जाते ही उन्होंने दरवाजा बंद किया और कहा कि आज से वे सिर्फ मेरी हैं.


दोस्तो, विपुल ने मेरी मां की चुदाई जिस तरह से की थी, उसको आप फ्लैश बैक में ही सुनो.


वेमो- देखो आज बिल्कुल दुल्हन की तरह आई हूं, अब तुम ही मेरे सब कुछ हो. विपुल- ये प्रेम सिर्फ एक रात के लिए है क्या?


वेमो- नहीं जानू, आज से सिर्फ तुम्हीं मेरे मालिक हो … शरीर से भी और मन से भी. मैं तुम्हारे लंड की प्यासी हूं बस! विपुल- लेकिन मैं अगर कुछ और मांगू तो? वेमो- मैं सब कुछ दूंगी, बस एक बार मेरी आग को ठंडी कर दो.


मैंने उसकी साड़ी उतार दी और बूब्स दबाने लगा और वे सिसकारियां लेने लगीं. उन्होंने मुझे उतने ही जोर से पकड़ रखा था, जितना मैंने उन्हें.


हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए अपने कपड़े उतारने लगे. सारे कपड़े कब उतर गए और हम दोनों नंगे हो गए, पता ही नहीं चला.


वेमो मेरा लंड फेट रही थीं.


कभी मैं उनकी जीभ को अपने होंठों में दबा लेता तो कभी वे मेरी जीभ को चूसने लगतीं. फिर मैंने अपनी दो उंगलियां उनकी चूत में घुसा दीं और चोदने लगा.


उनकी चूत काफी टाइट लग रही थी.


मैंने इशारे से पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें चुदे हुए एक साल से ऊपर हो गया है.


तभी वेमो को बिस्तर पर लिटाकर मैं उनके दूध चूसने लगा और वे बस मस्त मस्त आवाजों से मेरे लौड़े को कड़क कर रही थीं.


वे ‘ओह आह और जोर से … हां आह.’ कर रही थीं.


तभी मैं उनकी नाभि को किस करते हुए उनकी चूत को सहलाने लगा और वह गर्म हो गई थीं.


अब बस वे यही बोल रही थीं- जल्दी से लंड डाल दो. तभी मैंने कहा- मैं गालियां दूंगा, तो बुरा मत मानना!


वेमो- तुमसे चुदने के लिए तो सब कुछ सहन कर लूंगी.


तभी मैं उनकी चूत में जीभ फिराने लगा और वे बिस्तर पर हाथ पटकने लगीं. उन्होंने अपने दोनों मुट्ठियों में चादर को भींच कर पकड़ रखा था.


तभी अचानक से मैंने कहा- रहने दो, ये नहीं हो सकता और अलग हट गया.


वेमो ने झल्लाते हुए कहा- क्या हुआ, क्यों नहीं हो सकता?


विपुल- मुझे जो चाहिए, वह तुम दोगी नहीं … फिर क्या फायदा तुम्हें खुश करके! वेमो- मैं सब कुछ दूंगी … ऐसा क्यों बोलते हो?


विपुल- मुझे तुम्हारी दोनों लौंडियां अपने लंड के नीचे चाहिए … दोगी बताओ! वेमो- हां ले लेना … लेकिन पहले मुझे संतुष्ट करोगे तब!


तभी अचानक मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया- ले चूस साली रण्डी … आह अच्छे से … और तेज आह ऐसे ही बहनचोद … तेरी चूत में भी डालूंगा … ले मादरचोद. मैं उनके मुँह को ही चोदने लगा.


फिर उन्हें लिटा कर मैंने उनके पैरों को फैला दिया और उनकी चूत में एक तेज झटका दे मारा. मेरा आधा लंड उनकी चूत में चला गया. वे काफी तेज चीख उठीं- आह आराम से … यहीं हूं.


तभी मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर एक बार फिर से जोर का धक्का मारा और अबकी बार पूरा लवड़ा अन्दर तक घुस गया.


वेमो- आह निकालो तुम बहुत बेदर्द हो … आह मुझे दर्द हो रहा है. आ..ह … आह ऐसे थोड़ी ना करते हैं आह. विपुल- चुप साली रण्डी … ऐसे ही चोदने में मज़ा आता है … बस ऐसे ही लंड लेती रह … फिर खुद ही कहेगी कि और करो.


वेमो- आह बहुत ब.…ड़ा है … तेरा … फ़ाड़ … कर रख दिया … थोड़ा आ…राम से! विपुल- साली छिनाल आज से मेरी रखैल है तू … और वैसे ही चुदेगी जैसे मेरी मर्जी होगी … ले साली और ले तेरी लौंडियां भी चुदेंगी ऐसे ही!


कुछ ही देर में वेमो थोड़ी सामान्य हो गईं और नीचे से झटके देने लगीं. मैं भी चोदने में मज़ा ले रहा था.


उन्होंने अपने पैरों में मुझे फंसा लिया और साथ देने लगीं- हां ऐ…से ही … और जो..र से आ…ज फाड़ … दो मेरी चूत और ते…ज चो…दो मुझे … आह ऐसे ही!


करीब बीस मिनट से ऊपर हो गया था और अब मैं झड़ने वाला था. इस बीच वे दो बार झड़ चुकी थीं.


मैंने कहा कि अब आने वाला है मेरा … कहां निकालूँ? तो वेमो बोलीं- अन्दर ही निकालो.


उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया. हम दोनों एक साथ खाली हुए.


फिर उन्होंने मेरा लंड साफ किया अपने ब्लाउज से … हम दोनों ही हांफ रहे थे. वे बाथरूम में गईं और जाते वक्त मेरी नज़र उनकी मटकती गांड पर टिक गई.


उनके बाद मैं भी बाथरूम गया और वापस आकर उनसे क्रीम मांगी, जो उन्होंने दे दी और पूछा- ये किसलिए? मैंने कहा- बताऊंगा अभी!


मैं उनको फिर से किस करने लगा. वे भी साथ देने लगीं.


तभी मैंने उनकी गांड में अपनी दो उंगलियां घुसा दीं और अन्दर बाहर करने लगा. वह आह… ओह… करने लगीं.


तभी मैंने क्रीम लगाना शुरू कर दिया. वे भी समझ गईं.


वेमो- सब आज ही चाहिए तुम्हें? विपुल- चुप साली रण्डी!


मैंने उनके बाल खींचते हुए कहा- तेरा काम सिर्फ देना है समझी!


मैं उनसे लंड चूसने को कहा. जैसे ही मेरा लंड कड़क हुआ, मैंने उन्हें बिस्तर पर झुका दिया और अपने लंड पर भी क्रीम को लगा लिया.


मैं उनकी गांड में लंड घुसाने लगा. दो बार तो फिसल गया, फिर मैंने उनके दोनों चूतड़ों को खोलते हुए कहा कि अपने चूतड़ों को पकड़ो. उन्होंने पकड़ लिए.


मैंने फिर से प्रयास किया तो अबकी बार एक ही झटके में चला गया. वे जोर से चीखने लगीं, पर मैं बिना परवाह किए उन्हें पकड़े रहा.


अब मैं धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा. जब थोड़ा आराम हुआ तो मैंने जोर से धक्का लगा दिया.


अबकी बार पूरा लंड अन्दर हो गया था और उनकी चीख बाहर आ गई थी.


तभी मैंने उनकी गांड पर दो चांटे मारे और वैसे ही धकाधक चोदने लगा.


इस बार जल्दी तो होना नहीं था, तो मजा आ रहा था. वे ‘बस करो … आह और नहीं’ बोल रही थीं और हर बार मैं चांटे उनकी गांड पर मार रहा था.


फिर मैंने उनके दूध पकड़ लिए और गांड मारते हुए जोर जोर से दबाने व मसलने लगा. अब वे भी गांड चुदाई के मजे ले रही थीं.


वे कहने लगीं- हां ऐसे … ही चोदो अपनी रण्डी को आह और तेज … आह फाड़ … दो आज .… मेरी गांड! करीब आधा घंटा तक मैंने उन्हें ऐसे ही चोदा और मेरे चांटों से उसकी गांड लाल हो गई.


फिर मैं उनकी गांड में ही झड़ गया. तब तक वेमो भी तीन बार झड़ चुकी थीं.


मैं कुछ देर तक उनके साथ नंगा लेटा रहा. अचानक बाहर की लाइट जली तो हम समझ गए कि अब पार्टी खत्म होने को है.


मैंने जल्दी से कपड़े पहने और वहां से निकल आया.


विपुल मुझसे बोला- ऐसे ही मनाई थी सुहागरात … समझी!


इसके बाद विपुल ने मेरे साथ क्या किया, वह मैं अगली कहानी में बताऊंगी.


इस Xxx मॅाम सेक्स स्टोरी पर अपनी राय जरूर दें; जरूर बताना कि सेक्स कहानी कैसी लगी. आपकी अंजलि [email protected]


Xxx मॅाम सेक्स स्टोरी से आगे की कहानी:


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