ऑफिस में सहकर्मी से गांड मरवाई

जवानी का जोश

05-09-2024

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Xxx गे गे सेक्स कहानी में मेरी नई जॉब लगी. वहां कैंटीन में एक लड़का मुझे अच्छा लगा. वह भी मुझे देखने लगा. एक दिन वह बाथरूम गया तो मैं भी पीछे चला गया.


मेरा नाम आशीष है, मैं 22 साल का लड़का हूँ. मेरा कॉलेज कैंपस में चयन हो गया था और मैं बंगलोर की एक कंपनी में भर्ती हो गया.


उधर मैं पीजी में रहता था और उधर से रोज अपनी कंपनी के ऑफिस जाता था.


चूंकि मैंने कंपनी को अभी नया नया ही जॉइन किया था, तो मेरी ट्रेनिंग चल रही थी. इसी वजह से मुझे ज़्यादा काम नहीं करना पड़ता था.


यह Xxx गे गे सेक्स कहानी इसी ऑफिस में बनी थी.


मैं रोज दोपहर में 3 बजे कॉफी पीने कंपनी की कैंटीन के काउंटर पर जाता था.


वहीं काउंटर पर कंपनी के मैनेजमेंट डिपार्टमेंट में से एक मेरी उम्र का 22 साल का लड़का भी आता था. उसका नाम रवि था और दिखने में वह काफ़ी आकर्षक था.


मैं कॉफी पीने के बहाने रोज उसे ही देखने जाने लगा था. वह भी उसी वक़्त वहां मौजूद रहने लगा था जबकि उसका काम व्यस्तता भरा था और समय की कोई निश्चितता नहीं थी, पर वह उसी समय कॉफी पीने के लिए आने लगा था.


उसकी यही बात मुझको कुछ कुछ उत्तेजित करने लगी थी कि शायद इसके मन में भी मेरे लिए कुछ है.


एक दिन मैं कॉफी पीकर बाथरूम में चला गया. उस समय बाथरूम में और कोई नहीं था.


तभी रवि भी मेरे पीछे पीछे बाथरूम में आया और मेरे बाजू के बाथरूम में मूतने लगा.


चूंकि मर्दाना बाथरूम में पेशाब वाले कमोड के ऊपर से खुले हुए रहते हैं, तो उसने अचानक से मेरी तरफ झाँका और मेरे लंड को देखने लगा.


मैं उसे अपना लंड देखते हुए देख रहा था तो मुझे सनसनी होने लगी और उस सनसनी के चलते मेरे लंड ने एक झटका दे दिया. लंड में फुरफुरी देख कर उसने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुरा दिया.


मैं भी उसको देखकर मुस्कुरा दिया.


फिर उसने अपने लंड को झटकार कर पेशाब से मुक्ति पाई और मुझे इशारा करके अपने पीछे चलने का कहा.


पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि बंदा क्या कहना या करना चाहता है. तब भी वह मुझे पसंद था इसी लिए मैं उसके पीछे चल पड़ा.


उसने बाथरूम के बाहर आकर मेरा हाथ पकड़ा और एक निर्माणाधीन कमरे की तरफ ले जाने लगा.


कुछ ही पलों बाद वह मुझे एक अलग कमरे में ले आया. यह कमरा अभी बन रहा था तो अभी तक वहां किसी तरह के कैमरे आदि नहीं लगे थे.


मैंने भी उसे कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचा. पर रवि ने मुझे नीचे घुटनों पर बिठाते हुए अपने लंड की ओर इशारा किया.


मैंने भी उसकी पैंट व चड्डी एक साथ नीचे खींचते हुए उतारी और उसका लंड बाहर निकाल लिया.


उसका 7 इंच लंबा लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल आया.


एकदम मोटा और कसा हुआ लंड देख कर मेरी आंखें चुंधिया गईं. ऐसा लंड तो मैंने अब तक सिर्फ पॉर्न फिल्मों में ही देखा था.


उसका लंड फुल टाइट हो चुका था. मैंने अपने दोनों हाथों से उसके लंड को पकड़ा और सहलाना शुरू कर दिया.


कुछ देर बाद रवि ने मुझे मुँह में लेने को कहा. तो मैंने भी मना नहीं किया और उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया.


मैं उसका लंड चूसने लगा.


पर रवि को ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था. तो उसने मेरे मुँह को पकड़ा और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए मेरे मुँह को चोदने की स्पीड बढ़ा दी.


अब उसका पूरा लंड मेरे गले तक जाने लगा था. सच में उसका लंड मेरे मुँह की जबरदस्त चुदाई कर रहा था.


मेरी लार बह कर मेरे मुँह से बाहर टपकने लगी थी तो मैं अपनी उस लार से उसके टट्टों की मसाज करने लगा था.


करीब दस मिनट तक उसने मेरे मुँह की चुदाई की. अब तक मेरी आंखों से आंसू टपकने लगे थे.


मैंने उसकी आंखों में देख कर कातर भाव से मुँह से लौड़े को निकाल लेने का इशारा किया.


उसने कहा- बस कुछ देर और चूसो … मेरा रस निकलने ही वाला है. तुमको मेरा पूरा रस पीना होगा.


यह कहते ही उसने अपने लौड़े को मेरे मुँह में पेलने की रफ्तार बढ़ा दी और एक मिनट बाद वह मेरे मुँह में ही झड़ने लगा.


उसने लंड झाड़ते वक़्त मेरे मुँह को कस कर पकड़ लिया था और उसका लंड मेरे गले तक चला गया था.


उसके लौड़े का सारा माल सीधा मेरे गले में आता हुआ मैं महसूस कर सकता था. उसका रस गर्म, गाढ़ा और बहुत सारा था.


मैं अपने दोनों हाथों को उसकी नंगी गांड पर रख कर उसके लंड रस का मज़ा ले रहा था. उस दिन हम दोनों इससे ज्यादा कुछ नहीं कर पाए लेकिन हमारे संबंध दिशा पा चुके थे.


दो तीन दिन बाद हम वापस वहीं उसी कमरे में आ गए.


उस दिन उसने कहा कि वह मेरी गांड मारना चाहता है. मैं कुछ नहीं बोला. मुझे भी कोई आपत्ति नहीं थी.


उसने अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया. मैंने भी अपने कपड़े उतारे और मैं भी नंगा हो गया.


हमारे पास ज़्यादा वक़्त नहीं था इसलिए उसने झट से मुझे उल्टा होकर झुकने के लिए कह दिया. मैं टेबल के सहारे उसके सामने अपनी गांड करके झुक गया.


उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और मुझसे कहा- दर्द होगा तो चिल्लाना मत! मैंने हां में सिर हिलाया.


उसने मेरी कमर को दोनों तरफ से कस कर पकड़ा और लंड को छेद में सटा कर एक करारा झटका दे दिया. एक ही झटके में उसका टोपा मेरी गांड के अन्दर चला गया.


मुझे बेहद दर्द हुआ और मुँह से थोड़ी से चीख भी निकल गयी.


रवि ने कहा- साले भोसड़ी के … चिल्ला मत मादरचोद … मैंने मना किया था न!


पर मैं क्या करता … मेरी गांड में मोटा गर्म लंड एकदम से घुसा था, तो मैं अपने आपको रोक ही नहीं पाया और मेरी चीख निकल गई. मैं जैसे तैसे अपने दर्द को सहन करता हुआ चुप हुआ ही था कि उस बेदर्दी ने एक और झटके के साथ अपना आधा लंड मेरी गांड में घुसेड़ दिया.


मैं दर्द से अपनी गांड को हिलाते हुए तड़प उठा और उससे छूटने की कोशिश करने लगा. पर रवि ने मेरी कमर को कसके पकड़ रखा था और उसका लंड मेरी गांड में अन्दर तक पिला हुआ था तो मैं हिल ही न सका.


तभी उसने एक और धक्का दिया और अपना पूरा लंड मेरी गांड में ठांस दिया. इस बार मैं अपनी गांड में लोहे की गर्म रॉड घुसा हो, ऐसा महसूस कर रहा था.


मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे थे. आख़िर ऐसा क्यूँ ना हो, पहली बार मेरी सील पैक गांड को कोई चोद रहा था.


मैं दर्द से चिल्ला भी नहीं पा रहा था.


रवि- मादरचोद साले, बड़ी कसी हुई गांड है तेरी … आज तुझे छोड़ूँगा नहीं … आज तो तेरी ऐसी गांड मारूँगा कि तू चल कर अपने घर भी नहीं जा पाएगा! मैं- यार बहुत दर्द हो रहा है, निकाल ले इसे!


रवि- अबे निकालने के लिए थोड़ी पेला है, दर्द तो अब तुझे रोज होगा … आदत डाल ले मेरे लंड की … बहन के लौड़े! तुझे तो आज मैं अपनी रंडी बना कर छोड़ूँगा!


अब मेरी चुदाई शुरू हो गई. मुझे दर्द तो हो रहा था पर बीच बीच में मज़ा भी आ रहा था.


रवि ने मेरी गांड चुदाई की और अपनी स्पीड को बुलेट ट्रेन की तरह कर दी.


मैं कुछ समझ सकूँ इससे पहले मेरी गांड में उसका लंड पूरी रफ्तार में अन्दर बाहर होने लगा था.


मेरी गांड चुदाई 20 मिनट तक चली. मैं हैरान था कि उसका रस अब तक निकला क्यों नहीं!


थोड़ी देर बाद उसने अपना रस मेरी गांड के बाहर निकाल दिया.


देर तक न झड़ने का कारण पूछने पर पता चला कि उसने काम शक्ति बढ़ाने वाली दवा ली हुई थी इसी लिए वह ज़्यादा वक़्त तक टिका रहा.


हम दोनों ने कपड़े पहने और वहां से चले आए.


मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था, तो मैंने ऑफिस के ही फर्स्टएड बॉक्स से एक पेन किलर दवा ले ली.


कुछ देर बाद मुझे दर्द खत्म हो गया.


अब मैं महसूस कर रहा था कि मेरी गांड में कुलबुली सी हो रही है और एक अनजानी सी इच्छा हो रही थी कि मेरी गांड में कुछ घुस जाए.


मैं बस बार बार अपनी गांड को अपनी कुर्सी पर रगड़ कर अपनी खुजली को कम करने का प्रयास कर रहा था.


करीब दो घंटा बाद वह मेरे सामने दिखाई दिया. मैं उसे देख कर एकदम से मचल सा उठा.


उसने भी मुझे देखा और इशारे से अपने पास बुलाया. मैं इधर उधर देखते हुए उठ कर चल दिया.


हम दोनों ऑफिस के पीछे बने वॉशरूम में चले गए.


इस एरिया के वॉशरूम में कोई नहीं आता जाता था क्योंकि ये बहुत दूर था.


उसने मुझे टॉयलेट में चलने को कहा. मैं आ गया.


उधर उसने अपने पैंट और चड्डी उतार दी और टॉयलेट सीट पर बैठ गया.


मैंने भी अपनी पैंट और चड्डी उतार दी. हम दोनों ने सिर्फ़ शर्ट टी-शर्ट पहने थे और नीचे से नंगे हो गए थे. मैं उसके लंड पर जाकर बैठ गया.


मेरा मुँह उसके सीने की ओर था और मैं उसके सीने से लिपट गया. फिर रवि ने धीरे से अपना लंड मेरी गांड के छेद में सैट किया और एक झटके आधा अन्दर ठूंस दिया.


मैं दांतों को भींच कर दर्द सहन करने लगा.


तभी उसने दूसरे झटके में अपना पूरा लंड मेरी गांड में उतार दिया.


इस बार हमारा मुँह एक दूसरे की तरफ था इसलिए मौका मिलते ही मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों रख दिए. हमारे होंठ एक दूसरे के होंठ से मिल गए. उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया और होंठों का सारे रस पी गया.


मैंने भी उसका साथ दिया और उसके होंठों को चूमता रहा.


कब हमारी लिप किस फ्रेंच किस में बदल गयी, कुछ पता ही नहीं चला. वहीं दूसरी तरफ नीचे से रवि मेरी गांड मारे जा रहा था.


सच में इस बार गांड चुदाई का मजा ही कुछ अलग था. दर्द का नामोनिशान नहीं था, सिर्फ आनन्द ही आनन्द था.


कुछ देर बाद जब वह थक गया, तो मैंने उसके लंड पर जंप मारना शुरू किया.


अब मैं अपनी मर्ज़ी से अपनी ही गांड मरवा रहा था. मुझे गांड मराने में बहुत मज़ा आ रहा था.


ऐसे ही 20-25 मिनट तक Xxx गे गे सेक्स करने के बाद वह झड़ने वाला था.


मैंने कहा- मेरे अन्दर ही सब कुछ निकाल दो. उसने अपना सारा वीर्य मेरी गांड में ही निकाल दिया.


चुदाई के बाद पहले मैंने धीरे से उसका लंड अपनी गांड से बाहर निकाला और बाथरूम में रखे टिश्यू पेपर से अपनी गांड और उसका लंड साफ किया. उसके बाद मैंने उसके लंड को चूस कर फिर से झाड़ा और वापस रस पी लिया.


अब हम दोनों एक दूसरे के बिना रह ही नहीं पाते थे. हर दूसरे दिन हम दोनों चुदाई करते हैं और हर रोज वक़्त निकाल कर हम दोनों एक दूसरे के लंड को चूसते भी हैं.


छुट्टी के दिन बाहर ओयो रूम में, स्वीमिंग पूल में या ऐसे ही अकेली जगह में मिल कर अपनी प्यास बुझा लेते हैं.


अब रवि को मेरी गांड मारने में जितना मज़ा आता है, उतना ही मज़ा मुझे अपनी गांड मरवाने में आता है.


मैं उछल उछल कर अपनी गांड रवि से मरवाता हूँ.


यह Xxx गे गे सेक्स कहानी काल्पनिक है. अगर आपको अच्छी लगी हो, तो मैं आपके लिए ऐसी ही हॉर्नी सेक्स कहानियां लाता रहूँगा. [email protected]


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