दूध वाले गवाले से गांड मरवाई

रवि कामुक

04-12-2023

99,777

गांडू की गांड फटी पहली बार! उसे दूध वाले अंकल ने भूसे वाले कमरे में चारपाई पर लिटा कर उसकी कोरी गांड में लंड पेल दिया. लेकिन उसकी बीवी ने देख लिया तो …


मैं 19 साल का हो चुका था, जब पहली बार मेरी गांड की सील टूटी.


पहली बार मेरी गांड मारने वाला हमारा ही दूध वाला था. मैं उस उम्र में एकदम चिकना लौंडा लगता था और मेरी आदतें भी लड़कियों जैसी ही थीं.


मुझे अपनी हम उम्र लड़कों के साथ खेलने में मज़ा नहीं आता था बल्कि अपने से बड़ी उम्र के आदमियों के साथ ही मुझे अच्छा लगता था. बहुत से मर्द भी मुझमें इंटरेस्ट लेने लगे थे.


मैं अन्य लड़कों से कुछ अलग सा हूँ और गे हूँ, यह मुझे कुछ दिनों पहले ही पता चला था.


हमारे पड़ोस के घर में रहने वाला नौकर ओम, जिसको लोग ओमी ओमी कहते थे, वह करीब 40 साल का था और हमारे पड़ोसी अंकल की फैक्टरी में काम करता था.


वह उनके घर में ही छत पर बने कमरे में रहता था और उनके घर के छोटे-मोटे काम भी कर देता था.


उसकी बीवी बच्चे गांव में रहते थे और बीवी से दूर रह कर वह सेक्स से वंचित था. इसलिए हर उस मौके की ताक में रहता था, जिसमें उसके लंड को राहत मिल जाए.


उसकी नज़र मेरे चिकने बदन पर गड़ गयी थी और वह मुझे पटाने की कोशिश करता रहता था. वह अक्सर मौका लगते ही मेरे गालों को सहला देता, तो कभी चिकोटी काट लेता.


कई बार वह मुझको अपनी बांहों में जकड़ कर गालों पर पप्पी कर देता. हर बार वह ऐसे जताता, जैसे मज़ाक कर रहा हो.


मुझे उसके इस तरह से छेड़ने पर अजीब सा लगता और बदन में झुरझुरी होने लगती.


मैं समझता तो था कि वह मुझको चोदने के लिए ये सब जुगत कर रहा है पर मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई कि उसे आगे बढ़ने का मौका दूँ. हर बार मैं उसके चंगुल से बच कर निकल जाता था.


उधर हमारा दूधवाला सुमेरी लाल जो कोई पचास साल का आदमी था और मुझे ‘बेटा बेटा’ कह कर बुलाता था, वह भी मेरे चिकने बदन के मज़े लेना चाहता था.


जब भी वह मेरी मम्मी या पापा के सामने मिलता था तो मुझे ‘बेटा बेटा’ कहता था और अकेले में ‘सोनू, मेरा प्यारा सोनू’ कह कर बुलाता था.


उसके इरादों का भी मुझे आभास था, पर वह ओमी जैसा धैर्यवान नहीं था. वह मौका मिलने पर मुझे अपनी गोद में खींच लेता और हर बार मुझे उसके खड़े लंड का अहसास अपनी गांड पर होता.


एक बार वह मुझे दबोच कर मेरे होंठों को चूमने लगा और उसके हाथ मेरी जांघों को सहलाने लगे.


मैं उस दिन किसी तरह उसके चंगुल से छूट कर आया.


रात को जब बिस्तर पर लेटा, तो सब कुछ याद करके मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं सोचने लगा कि अगर मैं नहीं भागता तो वह क्या करता. मैं यही सब सोच सोच कर उस रात मुठ मारने लगा.


एक दिन मुझको दूध लेने जाना पड़ा. शाम हो रही थी और दिन छुपने वाला था.


डेयरी में वह भैंस से दूध निकाल रहा था तो मैं पास पड़ी चारपाई पर बैठ गया.


वह कनखियों से मुझे मुस्कुरा मुस्कुरा कर देख रहा था और मैं उससे नजरें बचा रहा था.


जैसे ही वह दूध निकाल कर खड़ा हुआ, वैसे ही बारिश आनी शुरू हो गयी.


बारिश एकदम से तेज आने लगी तो वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे भूसे वाले कमरे में ले आया.


‘अब तो बारिश रुकने तक तुम्हें यहीं रुकना पड़ेगा.’ उसके चहरे पर एक धूर्त मुस्कान थी.


मैंने तेज बारिश देख कर हां में गर्दन हिला दी. डेयरी उस वक़्त बिल्कुल खाली थी, सिर्फ भैंसें, दूधवाला और मैं ही थे. इस बारिश में किसी और के आने की उम्मीद भी नहीं थी.


मेरा दिल तेज तेज धड़कने लगा.


मैं भूसे के स्टोर में बिछी खाट पर बैठ गया और वह मेरे बगल में बैठ कर मुझसे छेड़छाड़ करने लगा.


‘क्या बात है सोनू, तू तो अंकल के पास आता ही नहीं.’ ‘नहीं ऐसी बात नहीं है, बस कभी टाइम ही नहीं मिला.’ ‘अच्छा, कहीं तू उस दिन से तो नाराज़ नहीं है, जिस दिन मैंने तुझे पप्पी की थी?’ वह मेरी जांघ पर हाथ रखता हुआ बोला.


वह पक्का हरामी था और मौके का फायदा उठाने वालों में से था.


‘नहीं नहीं …’ मैं उठने की कोशिश करते हुए बोला. ‘अरे बारिश में कहां जाएगा?’ उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे खींच लिया और मैं उसकी गोद में जा गिरा.


‘इतना नखरा मत किया कर … और थोड़ी देर अंकल के पास भी बैठा कर.’ वह फुसफुसाया, उसकी गर्म गर्म सांसें मेरे गालों पर पड़ने लगीं. ‘अंकल छोड़ो, क्या करते हो!’


उसका एक हाथ मेरे हाफ पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाने लगा. उसकी इन हरकतों से मेरे बदन में सनसनी दौड़ने लगी.


मैं कसमसाता रहा और उसने मेरी हाफ पैंट खोल दी.


‘शशस्स … सोनू.’ उसने अपना हाथ मेरी टांगों के बीच डाल दिया और मेरे छोटे से लंड और गोलियों को अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगा.


‘अंकल … छोड़ो न, क्या करते हो!’ मैं कसमसाया.


‘प्यार कर रहा हूँ.’ इस बार वह कुछ सख्त आवाज में बोला और कहने लगा- सच सच बोल कि तुझको अच्छा नहीं लग रहा क्या?


उसके सख्त स्वर को सुन कर मैं थोड़ा घबरा गया और उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगा. पर वह लंबा चौड़ा मर्द मेरे ऊपर चढ़ गया और उसने मुझे बड़ी आसानी से खाट पर लिटा कर अपने नीचे दबोच लिया.


वह मेरे लंड को सहलाता रहा और मेरे गालों को किस करता रहा. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था और मुझे डर के साथ साथ अजीब तरह का रोमांच भी होने लगा था.


वह मेरे साथ हरकत करता रहा और मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा था.


‘अंकल अंकल, अहह … मत करो, क्या कर रहे हो!’ मैं न न करता रहा, पर अन्दर ही अन्दर मेरे बदन में सनसनी हो रही थी और मन कर रहा था कि वह मुझको मसल डाले.


‘लगता है तूने पहले कभी किसी मर्द के साथ मज़ा नहीं किया है!’ वह बोला और मेरे होंठों को चूमने लगा. मैं कुछ नहीं बोला.


‘चुपचाप लेटा रह, आज तुझको असली लौंडा बना दूँगा.’


उसकी बातें सुनकर मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गयी.


वह अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल कर पसर सा गया.


तब वह मेरी शर्ट खोलते हुए बोला- तेरा बदन तो बिल्कुल लड़कियों जैसा चिकना है. कितने दिनों से तुझको चोदने का प्लान बना रहा था … आज हाथ लगा है.


धीरे धीरे करके उसने मेरे सारे कपड़े उतार फेंके. उस वक़्त तक अंधेरा भी होने लगा था और लाइट भी नहीं आ रही थी.


‘अहह अंकल … अहह … अई.. ऊह नहीं.’ मैं तब कराह उठा जब उसके दांत मेरी छाती पर गड़ने लगे.


‘तेरी जैसी बॉडी को संभालने के लिए मेरे जैसा मर्द चाहिए.’ उसने अपना खेल शुरू कर दिया और मेरे गालों और होंठों पर किस करते हुए अपने मन की करता रहा. वह मेरे सारे शरीर को रगड़ने लगा.


मुझे एक अजीब सा सुख भी मिलने लगा था. मैं किसी लड़की की तरह ही कराहने लगा ‘अहह अंकल … अहह … अई ऊह.’


‘चल किस कर.’ वह बोला.


तो मैं चुपचाप उसके गालों को चूमने लगा. पर वह इससे संतुष्ट नहीं हुआ और मेरे होंठों को अपने होंठों में जकड़ कर चूसने लगा.


उसकी जीभ मेरे मुँह में घुस गयी और वह मेरा रस चूसने लगा.


उसने कब अपने कपड़े उतार दिए, मुझे पता ही नहीं चला. पता तो तब चला जब उसने अपना मोटा काला लंड मेरे हाथ में थमा दिया.


‘हाय मम्मी, ये तो कितना लंबा और मोटा है!’ मेरे मुँह से निकल गया तो वह मुस्कुराने लगा.


मैंने आज तक कभी किसी मर्द का लंड अपने हाथ में नहीं लिया था.


‘यही तो असली चीज है, इसे तू जितना प्यार करेगा, उतना ही मज़ा आएगा.’


मैं अपने आप उसके लंड को सहलाने लगा और वह मुझे किसी लड़की की तरह ही मसलने कुचलने लगा.


वह मेरे दोनों चूचुकों को अपने दांतों से चुभलाते हुए चूसने लगा और मैं उसके लंड और गोलियों को प्यार से सहलाने लगा.


‘सोनू, तुझे अंकल के साथ अच्छा लग रहा है न!’ वह फुसफुसाया, तो मैं शर्मा गया.


‘बोल न!’ ‘हां.’ मैं शर्माते हुए बोला.


‘गुड ब्वॉय, तो रोज़ दूध लेने आना … समझे … और मैं रोज तुझे प्यार करूंगा!’ ‘हूँ.’ ‘क्या हूँ … बोल आएगा न!’ ‘हां अंकल.’


‘शाबाश, मेरा प्यारा लौंडा. आज मैं तेरी गांड का उद्घाटन करूंगा.’


ये सुनते ही मुझे घबराहट होने लगी, मुझे पता था कि गांड मरवाने में बड़ा दर्द होता है- नहीं नहीं, अंकल, दर्द होगा. ‘घबरा मत, मैं बहुत प्यार से बहुत धीरे धीरे से अन्दर डालूँगा … मेरा सोनू … पुच पुच …’


मैं भी उसे पुच पुच करने लगा.


‘थोड़ा दर्द तो होगा, पर तुझको अंकल के लिए थोड़ा दर्द तो सहना होगा.’ ये कहकर उसने मुझको उल्टा लिटा दिया.


मेरा दिल बहुत तेज तेज धड़कने लगा और बदन में जैसे चींटियां सी रेंगने लगीं.


‘चूतड़ खोल अपने!’ वह फुसफुसाया. मैंने देखा कि उसके हाथ में तेल की शीशी थी.


‘शाबाश … घबरा मत पुच पुच … चल टांगें खोल न … थोड़ा तेल लगा दूँ तो बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा.’


मैंने अपने दोनों हाथों से अपने चूतड़ों को फैला दिया और दूधवाले ने मेरी गांड के छेद में उंगली घुसा घुसा कर तेल लगाना चालू कर दिया.


मेरी गांड में उसकी उंगली घुसी तो मैं मीठे दर्द से कराहने लगा.


‘कितना नाज़ुक है तू … अभी तो सिर्फ उंगली घुसी है और तू हाय हाय कर रहा है.’ यह बोलता हुआ ही वह मेरे ऊपर चढ़ गया.


वह धीरे धीरे अपने लंड को मेरी गांड पर घिसने लगा तो मेरे बदन में सनसनी दौड़ने लगी और आनन्द में मेरी आंखें मुँदने लगीं.


‘मस्त गांड है तेरी!’ उसकी भर्राई हुई आवाज मेरे कानों में पड़ी. ‘आह कितनी चिकनी गांड है!’ वह वासना में बड़बड़ाने लगा और उसने मुझे कसके जकड़ लिया.


उसका मोटा लंड मेरी गांड पर अड़ने लगा. बाहर जोरों की बारिश हो रही थी और बिजली की गड़गड़ाहट कानों के पर्दे फाड़ रही थी.


उसी वक्त उसके लौड़े ने मेरी गांड फाड़ दी. उसी शोर में मेरे चीखने की आवाज गुम हो गयी.


दूध वाले ने मुझे कस कर दबोचा हुआ था और उसका लंड मेरी गांड में घुसने लगा.


‘अहह नहीं … अंकल नहीं … छोड़ो मुझे नहीं … नहीं.’ मैं छटपटाने लगा- निकालो प्लीज … निकाल लो.


न मेरी मिन्नतों का उस पर कोई असर हुआ … और न ही मेरी कोमल सी गांड उसके मूसल से लंड को रोक पायी. मेरी चीखों के बीच लंड अन्दर घुसने लगा.


‘बस हो गया … बस बस … पुच पुच.’ वह मुझको पुचकारने लगा.


‘आई नहीं … निकालो अंकल … बहुत दर्द हो रहा है.’ मैं रूआंसा हो गया- हाय मम्मी, अहह मम्मी, मैं मर गया. मेरी सारी मस्ती हवा हो गयी.


‘अब घुस गया पूरा … अब दर्द नहीं होगा.’ वह मुझको फुसलाने लगा.


मैं दर्द में छटपटाता रहा और उसने मेरी गांड में अपना लंड फिट कर दिया.


उसके वजन के नीचे मैं हिल भी नहीं पा रहा था, बस चिल्ला चिल्ला कर उसको हटने को बोल रहा था.


‘पुच पुच … बस हो गया अब तो!’ वह मुझको बहलाने लगा.


‘नहीं नहीं छोड़ो.’ मैं छटपटाता रहा.


‘थोड़ी देर में छोड़ दूँगा … बस थोड़ी देर और गांड में दर्द होगा, फिर ठीक हो जाएगा.’


मेरे चीखने का उस पर कोई असर नहीं हुआ. वह पूरा गर्म हो चुका था.


‘हाय मम्मी … मैं मर जाऊंगा … छोड़ दो … प्लीज अंकल … आई मम्मी.’


मैं उस वक्त और तेज बिलबिला गया जब उसने लंड को पीछे खींच कर फिर से अन्दर पेल दिया.


दर्द के मारे मैं रो पड़ा- नहीं अंकल … नहीं अंकल … छोड़ दो अंकल … नहीं अंकल प्लीज, प्लीज. मेरे आंसू निकल रहे थे.


वह अब मेरे ऊपर लेट चुका था और उसके हांफने की आवाज मेरे कानों में आ रही थी.


‘पहली बार दर्द होता ही है, फिर मजा आता है.’ वह फुसफुसाया और लंड अन्दर बाहर करने लगा.


‘नहीं नहीं छोड़ो, मम्मी …’


तभी उसने इतनी ज़ोर से धक्का मारा कि मेरी आंखों के सामने तारे नाच गए. उसने अपना लंड जड़ तक पेल दिया था और मैं उनके बोझ के नीच दब कर हिल भी नहीं पाया.


‘पुच पुच … बस अभी हो जाएगा.’ वह हांफते हुए बोला.


‘मैं मर जाऊंगा … मम्मी नहीं … निकाल लो.’


‘मस्त टाईट गांड है अहम्म … अहह … मुन्ने … मजा आ गया … तुझको तो आराम आराम से चोदने में मजा है.’


वह धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा. इधर मेरे मुँह से लगातार कराहें निकलने लगीं और वह धीरे धीरे अन्दर बाहर करने में लगा रहा.


जब वह लंड बाहर की तरफ खींचता तो मुझे लगता कि मेरी गुदा भी खिंची चली जा रही है. पर जब वह अन्दर घुसाता, तो थोड़ी राहत मिलती.


‘गांड को दबाने की कोशिश मत कर, ढीली छोड़ दे.’ वह फुसफुसाया. तो मैंने किसी तरह गांड को ढीला छोड़ा.


गांड ढीली करते ही लंड आसानी से फिसलने लगा.


‘शाबाश सोनू.’ वह मेरे होंठों को चूमने लगा और कभी धीरे तो कभी तेज धक्कों से मेरी गांड मारने लगा.


मेरा दर्द भी अब पहले जैसा तेज नहीं हो रहा था और अजीब तरह का मज़ा दर्द में भी आने लगा था.


मैं धीमे धीमे कराहते हुए गांड मरवाने लगा. दूध वाले का लंड अब एक लय में अन्दर बाहर हो रहा था.


‘मज़ा आ रहा है न सोनू … कहा था न कि पहले पहले दर्द होता है, फिर मज़ा आता है. कल से और मज़ा आएगा.’


‘मैं अब कभी भी आपके पास नहीं आऊंगा.’ मैं बोला. तो मुझे उसके हंसने की आवाज आयी.


‘पुच पुच सोनू अब तू मेरा लौंडा बन गया है. कल नहीं तो परसों आएगा … पर तू आएगा पक्का.’


तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी तो उसने तुरंत मेरा मुँह अपनी हथेली से दबा दिया ‘चुप.’


बाहर उसकी बीवी थी. “क्या कर रहे हो … कहां हो?” वह चिल्लायी.


‘अन्दर बैठा हूँ.’ वह ज़ोर से बोला और फिर मुझसे धीरे से कहने लगा, ‘आवाज नहीं निकालना, चुपचाप लेटा रह!’


‘अरे सोनू आया था दूध लेने, वह गया क्या?’ ‘हां चला गया … बहुत देर पहले.’


‘दरवाजा तो खोलो, बंद करके क्या कर रहे हो … और ये सोनू बारिश में क्यों चला गया!’ ‘साली हर वक़्त तांक-झाक करती रहती है, पीछे पड़ी रहती है!’ दूध वाला गुर्राया.


तब तक उसकी बीवी कई बार दरवाजा ठोक चुकी थी. उसके ज़ोर ज़ोर से खड़खड़ाने से चिटकनी फिसल गयी और वह दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई.


मुझे काटो तो खून नहीं, हम दोनों बिल्कुल नंग धड़ंग थे. दूधवाला अभी भी अपना लंड मेरी गांड में डाले हुए था.


‘ओह, ये सब चल रहा है … मैं सोच रही थी कि कुछ तो गड़बड़ है!’ मैं डर गया था.


‘अरे ये तो लुच्चा है, पर तू तो अच्छे घर का है. तुझे गांड मरवाने का शौक है?’ वह ऐसा बोली तो मैं शर्म से मर ही गया.


‘बड़ी मुश्किल से लड़का सैट हुआ है और तू सब चौपट कर रही है.’ दूधवाला झुंझुलाते हुए बोला.


मैं सोच रहा था कि ये अभी दूधवाले को बुरा भला कहेगी. पर वह मुँह पर हाथ रख कर हंसने लगी.


‘कितना हरामी है तू.’ वह हंसती हुई बोली.


‘चल दरवाजा बंद कर दे, कहीं कोई और न आ जाए.’


दूध वाला बोला तो उसने दरवाजा बंद कर दिया.


‘साली बीच में आ गयी, फिर से मूड बनाना पड़ेगा.’


वह मेरे निप्पलों को मसलता हुआ बोला.


‘अहह अंकल छोड़ो न … आंटी देख रही हैं.’ मैं शर्म के मारे मरा जा रहा था.


‘देखने दे, तू तो आंखें बंद करके अपनी गांड में सिर्फ मेरा लंड महसूस कर.’


‘अंकल!’ मैं कसमसाया.


‘चुप साले … काम तो पूरा होने दे.’ वह भर्राई हुई आवाज में बोला और मेरे होंठों को चूसने लगा.


तभी आंटी मेरे पास आ गयी और मुझे पुचकारते हुए बोली- गांडू की गांड फटी … चिंता मत कर और आराम से लेटा रह. जब शुरू किया है तो ये हरामी छोड़ने वाला तो नहीं है. पूरा चोद कर ही मानेगा.


‘अहह … हुम्म …’ दूधवाले की सांसें मेरे कानों और गालों पर पड़ने लगीं. ‘तेरी गांड तो तेरी इस आंटी से भी ज्यादा टाइट है.’ वह मस्त होकर बुदबुदाया.


उसके सख्त हाथ मेरे सारे शरीर पर पड़ने लगे और जगह जगह मसलने लगे.


‘अहह … आह अंकल …’


मेरी चूचियों को पकड़ कर वह निचोड़ने लगा और उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. वह मेरे रस भरे होंठों का रस चूसने लगा और पूरे इत्मीनान से मेरे शरीर का मर्दन करने लगा.


मेरे पूरे बदन में फिर से दर्द भरी मीठी सनसनी दौड़ने लगी थी.


मेरी धीमी धीमी कराहें कमरे में गूँजती रहीं और उसका लंड मेरी गांड में करीब बीस मिनट तक पिस्टन की तरह चलता रहा.


‘अहह … उम्म … अहह … सोनू … तेरी गांड भर दूँगा मैं!’ वह मेरे चूतड़ों के बीच में ही अपना माल गिराने लगा.


उसके ऊपर से हटने के बाद भी मैं काफी देर तक उठ नहीं पाया. फिर किसी तरह से उठा और अपने कपड़े ढूंढ कर पहनने लगा.


उस दिन गांड चुदवाने के बाद मैंने फिर कभी न चुदने की कसम खा ली थी, पर मेरी कसम बहुत दिनों तक नहीं चली.


दूधवाले ने फिर से मेरी गांड मार ली और धीरे धीरे मैं गांड मरवाने का इतना आदी हो गया कि मैं खुद भी उसके पास जाने लगा.


उसके तबेले में उसकी बीवी भी गर्म हो जाती, तो वह भी नंगी हो जाती और मुझसे अपने दूध चुसवाती. एक बार मैंने उसकी बीवी को भी चोदा था. वह सेक्स कहानी मैं फिर कभी लिखूँगा.


गांड मरवाने में मुझे इतना मजा आने लगा था कि अब तो मैं ओमी से भी अपनी गांड चुदवाने लगा.


ये मेरी गांडू की गांड फटी कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें. [email protected]


Gay Sex Stories In Hindi

ऐसी ही कुछ और कहानियाँ