गाँव वाली बुआ की गांड चुदाई का मजा

सत्यम 95

19-05-2024

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देसी बुआ गांड चुदाई का मजा मैंने लॉकडाउन के दिनों में गाँव में लिया. बुआ और मैं साथ साथ समय बिताते थे और काफी घुल मिल गए थे.


दोस्तो, मेरा नाम सत्यम है. मैं 19 साल का हूँ.


मेरी बुआ का नाम रेखा है. वे बहुत सेक्सी व हॉट हैं. उनका फिगर 34-32-38 का है.


बुआ फूफा जी के साथ दिल्ली में रहती हैं. जबकि मेरा गांव फ़ैज़ाबाद जिले में है. आज मैं अपनी देसी बुआ गांड चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ.


पिछले साल लॉकडाउन से पहले मैं गांव गया था, तभी लॉकडाउन लग गया था. उन दिनों मेरी बुआ भी गांव में ही थीं.


यह उस दिन की बात है, जब मेरी बुआ गांव आई थीं. मैंने ही उन्हें सबसे पहले देखा था.


उनके घर में आते ही मैंने उन्हें नमस्ते किया. बुआ ने मुझे अपने सीने से लगा लिया.


उनके सीने की नर्मी से कलेजा हिल गया; उनके ठोस दूध मेरे सीने में गड़ से गए. मुझे बेहद सुखद लगा और लंड में झनझनी सी आ गई.


एक दो पल के इस मीठे अहसास से मेरे जवान लंड ने एकदम से उठ कर बुआ की टांगों के बीच में फन मारा तो बुआ ने मुझे अलग कर दिया और मेरी आंखों में देखती हुई मुस्कुरा दीं.


मैं झेंप गया और बुआ का सामान लेकर अन्दर वाले कमरे में रखने लगा.


बुआ सबसे बातचीत करने लगीं. उसके बाद लॉकडाउन लग गया तो सब कुछ बदल गया. यूं ही दिन बीतते गए.


एक दिन घर पर कुछ कार्यक्रम था. गाँव का माहौल था तो लॉकडाउन में भी किसी तरह से आस पास के गांवों से सब रिश्तेदार आ गए थे.


मेरी बुआ की बहुत जमती थी. हम दोनों खूब मस्ती करने लगे थे.


उस रात सोने के लिए घर में जगह कम पड़ गई थी. मैं, बुआ, मेरी चाची की बेटी हम सब एक ही कमरे में सो गए.


बुआ और चचेरी बहन बगल में एक खाट पर सो गई थीं. मैं पलंग पर लेटा था.


मुझे उस दिन बुआ के मम्मों का अहसास करके लंड हिलाने का बहुत मन कर रहा था.


मैंने पॉर्न देख कर मुठ मारी और स्पर्म गद्दे पर गिरा दिया. गद्दे पर वीर्य के दाग पड़ गए.


सुबह हुई. बुआ ने गद्दे पर देखा और बोलीं- यह क्या है … किस चीज़ का दाग है.


मैं कुछ नहीं बोला. लेकिन बुआ शायद समझ गई थीं.


अब हम लोग टीवी देख रहे थे. बुआ लेटी थीं, उनके पैर बेड के नीचे लटक रहे थे.


मेरी बुआ उल्टी लेटी थीं. मैंने बुआ की गांड पर सर रख दिया. वे कुछ नहीं बोलीं.


इतना हम दोनों के बीच चलता था. मेरी बुआ हंस कर बोलीं- देखते रहना, कहीं गैस न निकल जाए!


मैं एक बार तो उठ गया और उनकी गांड पर हल्के से एक थप्पड़ मारा. मेरी बुआ उन्ह बोलीं और हंसने लगीं.


शाम को मैं और बुआ एक साथ बेड पर लेटे थे. मैं सोने का नाटक कर रहा था.


बुआ टीवी देख रही थीं. मैं करवट लेकर बुआ से सट गया. मेरा लंड बुआ की गांड की दरार में लग रहा था.


बुआ की गांड कुछ कुछ हिलने लगी थी. उससे मेरा हथियार खड़ा होने लगा.


उसी वक्त मुझे बुआ के मम्मों की फिर से याद आ गई और मेरा लंड एकदम कड़क हो गया.


बुआ को मेरे कड़क लंड का अहसास होने लगा. उस वजह से बुआ थोड़ा आगे को हुईं तो मैं नाटक करते हुए फिर से बुआ से सट गया. वे कुछ नहीं बोलीं.


कुछ देर में ही हम दोनों अपने अपने सामान हिलाने लगे. बुआ गांड हिला रही थीं और उनके दोनों चूतड़ों के बीच में मेरा कड़क लंड चल रहा था.


अब जवान लंड था तो गर्मी जल्दी भड़क गई और मैं भी अपनी कमर चलाते हुए बुआ की गांड में कपड़ों के ऊपर से ही लंड पेलने लगा.


ऐसे करते करते मेरा पानी निकल गया. सारा पानी मेरी चड्डी और पजामे में निकला था, तब भी पानी की नमी का अहसास बुआ को अपनी गांड में हो गया था.


मैं सो गया. कुछ देर बाद मैं उठा, तो बुआ जा चुकी थीं.


मैंने कमरा बंद किया.


कपड़े उतारे और लंड को साफ किया, फिर बाहर गया.


दूसरे दिन फूफा जी आ गए थे. रात को फूफा जी भी कमरे में थे.


मैं बुआ और चचेरी बहन खाट पर लेटी थीं. फूफा जी पलंग पर थे.


रात के एक बजे का समय हुआ था. मैं जग रहा था.


बुआ खाट से उठीं और फूफा जी के पास आ गईं. कुछ देर बाद दोनों में चुदाई चलने लगी.


बुआ के मुँह से धीरे धीरे ‘आ आ उः उः उः.’ निकल रहा था. मुझे सब सुनाई दे रहा था.


मैं गर्म हो गया. लाइट ऑफ होने की वजह से मैं सारा खेल थोड़ा थोड़ा ही देख पा रहा था.


मेरा मन तो कर रहा था कि अभी बुआ को चोद दूँ, पर नहीं कर सकता था. रात को चुदाई के बाद सब सन्नाटा छा गया. हम सब सो गए.


सुबह हुई. मैं जल्दी 6 बजे ही उठ गया.


तब बुआ सोई हुई थीं. फूफा जी बाहर चले गए थे.


मैंने बुआ की गांड को ऊपर से सूँघा, तो मस्त महक आ रही थी. बुआ ने लैगी पहनी थी. मैं बस हाथ फेर कर बाहर आ गया.


दोपहर में फूफा जी वापस चले गए थे. मैं, बुआ और चचेरी बहन लूडो खेल रहे थे.


रात हुई, तो बुआ बोलीं- सत्यम तुम पलंग बाहर कर दो और खाट पर ही आ जाओ. सब मिल कर लूडो खेलते है. फिर तीनों लोग यहीं सो जाएंगे. मैंने कहा- ठीक है.


हम सबने लूडो खेला, फिर सोने की बारी आई. मैं बुआ के बगल में लेट गया था.


सब सो गए. मैं बुआ की गांड पर हाथ फेर रहा था.


मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने अपना लंड लोवर के अन्दर से ही बुआ की गांड पर सटा दिया और उनसे चिपक गया. मैं उनकी पीठ को भी चूम रहा था.


सुबह हुई, बुआ छत पर थीं.


चचेरी बहन स्कूल गई थी. मैं दूसरे रूम में गया, जिसमें बुआ का बैग रखा था.


मैंने उनका बैग खोला और पैंटी निकाल कर सूंघने लगा.


आह क्या मस्त महक आ रही थी. मैंने एक हाथ से पैंटी नाक से लगाई और दूसरे हाथ से लंड की मुठ मारी. रस झाड़ कर मैं दूसरे कमरे में आ गया.


बुआ नहाने जा रही थीं. मैंने देखा कि बुआ आज पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि उनके हाथ में पैंटी थी ही नहीं.


उन्होंने ब्रा भी नहीं ली थी. बस लोवर और टी-शर्ट ली थी.


जब वे नहा कर सिर्फ लोअर और टी-शर्ट पहन कर निकलीं तो क्या मस्त गांड दिख रही थी. मेरा मन कर रहा था कि दौड़ कर जाऊं और बुआ की गांड को मसल दूँ.


कुछ देर बाद दोपहर हुई तो बुआ फूफा जी से वीडियो कॉल पर बात कर रही थीं. मैं उस वक्त उनके पीछे लेटा था.


मैं अपना फोन चला रहा था. बुआ का मुँह दूसरी तरफ था.


बुआ को वीडियो में देखने के बहाने से मैं बार बार अपना लंड बुआ की गांड को टच करा रहा था. इससे बुआ को भी शायद मज़ा आ रहा था. उन्होंने अपनी गांड और पीछे को कर ली.


अब मैं बुआ से सटा हुआ था. काफी देर तक लंड की रगड़ का मजा लेने के बाद बुआ सो गईं और मैं बाथरूम में जाकर लंड हिला आया.


उसी रात को हम लोग साथ में सोने लगे. मैं सो गया था.


अचानक रात को मुझे महसूस हुआ कि मेरा लंड कोई छू रहा है. मैं समझ गया कि ये बुआ हैं. क्योंकि दिन में लंड की गर्मी से बुआ भी गर्म हो गई थीं.


मैं चुपचाप लेटा रहा. मैंने कुछ भी अहसास नहीं दिलाया कि मैं जाग रहा हूँ. मैं बस मज़े ले रहा था.


बुआ कुछ देर बाद सो गईं, पर मैं गर्म हो गया था. तब रात के एक बजे का समय हो रहा था.


मैंने बुआ की चूचियों पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे उनके दूध सहलाने लगा. बुआ मेरे हाथ के स्पर्श से शायद जाग गई थीं, पर उन्होंने कुछ नहीं बोला. मैं समझ गया कि बुआ भी मजा लेना चाहती हैं.


तब मैं बुआ से सट गया और अपना लोवर नीचे सरका कर उतार दिया. अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में ही था.


मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर बुआ की गांड से सटा दिया और कड़क हो चुके लौड़े को बुआ की गांड की दरार में घिसने लगा.


बुआ को कड़क लंड से अपनी गांड रगड़वाने में मज़ा आ रहा था. मैंने अपना हाथ बुआ की चूचियों से हटाया और उनके लोवर के पास ले गया.


मैंने बुआ का लोअर उतारने की कोशिश की. बुआ कुछ नहीं बोलीं तो मैंने एक झटके में लोवर नीचे सरका दिया.


बुआ ने आज पैंटी नहीं पहनी थी तो सीधे गांड की दरार का मखमली अहसास हुआ.


मैंने अपना लंड बुआ की गांड में दरार में कुछ अन्दर को पेला और उनकी गांड के छेद पर रगड़ने का मजा लेने लगा था.


बुआ अभी भी सोने का नाटक कर रही थीं.


उसी समय बुआ थोड़ा और पीछे को हुईं भी, जिससे मैं बुआ की गांड का छेद महसूस करने लगा था. उनके छेद की गर्मी लंड के सुपारे को भकभकाने लगी थी.


मैंने थोड़ी ताक़त लगाई और लंड को गांड के छेद पर रख कर ठेला. गांड टाइट होने की वजह से लंड अन्दर नहीं गया.


मैंने लौड़े के टोपे पर थूक लगाया और दुबारा पेलने की कोशिश की.


इस बार बुआ ने भी अपनी टांगों को कुछ फैला कर छेद खोल दिया था, तो लंड का टोपा बुआ की गांड में घुस गया. बुआ के मुँह से उहह की आवाज़ आई.


तब मैं समझ गया कि देसी बुआ गांड चुदाई की शौकीन हैं. लंड के घुस जाने के बाद भी बुआ कुछ नहीं बोल रही थीं.


मैं बुआ के ऊपर चढ़ने की कोशिश करता हुआ उनकी गांड मारने लगा. बुआ भी सही से औंधी हो गईं.


अब मैं बुआ के ऊपर चढ़ गया और उनकी गांड में पूरा लंड पेल कर चोट मार रहा था. अब बुआ बोलीं- आराम से चोद भोसड़ी के … कहीं भाग नहीं रही हूँ.


मैं हंसने लगा और मैंने स्पीड बढ़ा दी.


बुआ चीख नहीं सकती थीं क्योंकि मेरी चचेरी बहन भी बगल की खाट पर लेटी थी. मैंने बुआ के मुँह को दाब दिया और धकापेल गांड मारते हुए झड़ने वाला था.


मैं धीरे से बोला- पानी किधर टपकाऊं! बुआ बोलीं- गांड में ही निकाल दे.


मैंने सारा माल बुआ की गांड में निकाल दिया और सीधा लेट गया. कुछ देर बाद हम दोनों सो गए.


सुबह हुई, तो बुआ थोड़ा मटक कर चल रही थीं. मैंने पूछा- क्या हुआ?


बुआ हंस कर बोलीं- मादरचोद ने गांड मार ली और पूछ रहा है कि क्या हुआ? मैं हंसने लगा- मेरा कैसा लगा?


बुआ बोलीं- तुम्हारा तो फूफा से भी बड़ा है. मैंने कहा- सच?


उन्होंने कहा- हां. मैंने कहा- आज चूत चोदूंगा.


बुआ मुस्कुरा कर चली गईं.


फिर जब बुआ नहाने जा रही थीं, तब मैंने बुआ के कान में कहा- बुआ आज नई वाली पैंटी पहनो, मज़ा आएगा. बुआ बोलीं- मेरे पास नई नहीं है.


मैं बोला- है, नेट वाली पहनो न! बुआ बोलीं- साले तुम्हें कैसे पता! मैं मुस्कुरा दिया. वे बोलीं- ठीक है.


उसी दिन दुपहर में सब अपने अपने कमरे में सो रहे थे. मैं और बुआ छत पर थे.


छत पर एक किचन है, जो अभी नया बना है. उसमें अभी खाना नहीं बनता है.


मैं और बुआ धूप की वजह से उसी में लेटे थे. मैंने बुआ से कहा- बुआ मुँह में लो ना! बहुत मन कर रहा है.


बुआ बोलीं- भक … मैं मुँह में नहीं लूँगी. मैंने अपना लंड निकला और बुआ के होंठों के पास ले गया.


मैं ज़बरदस्ती बुआ के मुँह में अपना लंड देने की कोशिश करने लगा. वे मुँह हटाने लगीं.


मैंने उनका मुँह पकड़ा और अन्दर दे दिया. बुआ घूँ घूँ करके लंड चूसने लगीं.


लंड चूसने में वे पुरानी रांड जैसी थीं. एक बार चूसना शुरू किया तो दस मिनट तक लंड चूसती ही रहीं.


अब मैं झड़ने वाला था पर मैंने बताया नहीं और जैसे ही झड़ने वाला हुआ कि तभी मैंने अपना लंड निकाला और उनके मुँह पर रस झाड़ दिया. सारा माल बुआ के गालों पर टपक गया.


वे छी छी करके गाली देने लगीं- मादरचोद हरामी साले … फर्श पर टपका देता! मैं बोला- चाट लो बुआ, देसी घी है.


वे बोलीं- हट साले … चल अब मेरा मुँह पौंछ! मैंने बुआ की टी-शर्ट से ही उनका मुँह पौंछ दिया.


उसके बाद चुदाई शुरू हुई.


मैंने बुआ को नंगी करके खूब चोदा. वह सब विस्तार से बताऊंगा. आप बताएं कि यह देसी बुआ गांड चुदाई कहानी आपको कैसी लगी. [email protected]


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