भाई की साली से प्यार में क्या क्या किया- 1

लव सिंह1

13-09-2024

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लव लव स्टोरी में मेरी भाभी की बहन भाई भाभी के साथ रह कर पढ़ाई कर रही थी. मैं भी वहीं रहकर जॉब कर रहा था. हालात ऐसे बने कि मुझे भाभी की बहन से प्यार हो गया.


मेरा नाम अंशु है। मैं 24 साल का हूं और अपना बिजनेस करता हूं।


मेरे परिवार में 3 भाई 1 बहन और माता पिता हैं मेरी छोड़ सबकी शादी हो गई है। मैं सबसे छोटा हूं।


मेरे माता पिता मेरे बड़े भाई के साथ रहते हैं मुंबई में! मैं यहीं बिहार में अपने मंझले भाई भाभी के साथ रहता हूं।


मैंने और मंझले भाई ने, जिसका नाम सुमीत है, शहर में अभी नया नया एक 2 बी एच के मकान बनाया है।


सुमीत की शादी को 1 साल हो चुका है। उसकी शादी गांव में हुई है लेकिन भाभी पढ़ी लिखी है। वह काफी सुंदर हैं शर्मीली हैं उनका नेचर बहुत अच्छा है। भाभी का नाम अंजलि है।


हम इस घर में 6 महीने पहले ही आए हैं, यहां मैं भईया भाभी और उनकी बहन रुचिका रहती है। रुचिका भी अपनी बहन की तरह ही खूबसूरत है। वह यहीं से ग्रेजुएशन कर रही है अभी वह 1st ईयर में है।


रुचिका के रहने से भईया भाभी अपने कमरे में और रुचिका मेरे कमरे में अलग बेड पर सोती थी। जब भईया नहीं होते तो वह अपनी दीदी के साथ सो जाती है।


हम तीनों का काफी मजाक चलता रहता था और मेरा कोई गलत इंटेंशन नहीं था रुचि के प्रति! सब काफी घुल मिल कर रहते हैं।


यह लव लव स्टोरी मेरी और रुचिका की है.


एक दिन सुबह सुबह भाभी मेरे कमरे में आई। मैं सो रहा था। भाभी- सुनो, रुचिका का एक्सिडेंट हो गया है, उसका फोन आया है, उसे ले आओ।


मैंने रुचिका से बात की. वह रोती हुई बोली कि वह स्कूटी से गिर गई है फलाने रोड पर!


मैं अपनी गाड़ी ले उसे लाने चला गया.


उसके हाथ पैर छिल गये थे. यह घटना इतनी सुबह हुई थी कि उस समय ना कोई क्लिनिक खुला था ना कोई मैकेनिक।


मैं उसे घर ले आया और स्कूटी को पास के ही एक दुकानदार के घर खड़ा कर दिया।


दरअसल वह जॉगिंग के लिए पार्क जाती है. सुबह सुबह वहीं उसका योगा क्लास भी है तो स्कूटी से ही जाती है।


फिर घर आ भाभी ने देखा कि उसके दोनों हाथ पैर छिल गए थे, घुटने से खून आ रहा था।


भाभी ने उसका ट्राउजर खोल दिया. अब वह सिर्फ़ पैंटी और टी शर्ट में थी।


मैंने उसकी मोटी मोटी जांघें देखते हुए उसके तौलिया लपेट दिया। फिर भाभी उसके घुटनों की डेटॉल से सफाई करने लगी. उसे जलन होने लगी।


रुचि रोती हुई- मत लगाओ. बहुत जल रहा है। वह लगाने से मना करने लगी, काफी रोने लगी। भाभी उसे बेड पर सुलाते हुए- इसका हाथ पकड़िए. देखते हैं कैसे नहीं लगाती है।


मैंने सावधानी से उसका हाथ पकड़ लिया उसके सर के तरफ से! भाभी उसके पैरों को पकड़ उसके पैर साफ करने लगीं।


वह काफ़ी चिल्ला रही थी। मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया। उसने मेरा हाथ काट लिया।


मैं मजाक करते हुए बोला- शांति से लगवा लो चिलाओ नही, नहीं तो अब मुंह में कुछ डाल दूंगा। फिर मैं बात बदलते हुए बोला- कपड़ा डाल दूंगा.


फिर भाभी ने उसके हाथ साफ किये और क्रीम लगा दी।


फिर भाभी ने उसे एक पेनकिलर खाने को दी. कुछ देर बाद उसका दर्द कम हो गया तो वह सो गई।


फिर भाभी तैयार हो किसी एनजीओ की मीटिंग अटेंड करने चली गई। भाभी जाते हुए बोली- रुचि को डॉक्टर के पास ले जाना और खाना खिला देना।


फिर 11 बजे वह उठी तो मैंने उसे खाना दिया।


उसके उंगलियां भी पीछे की तरफ छील गई थी तो मैंने उसे अपने हाथ से खाना खिलाया।


फिर मैंने उसके कमर पर स्कर्ट पहना दिया और गाड़ी में बिठा किसी क्लिनिक के लिए निकल पड़ा।


हमारा घर आउट एरिया में है तो वहाँ आस पास कोई क्लिनिक नहीं है. कुछ देर बाद हम जाम में फंस गए. बैठे बैठे हालात खराब हो गई, 2 बजने को थे।


रुचि रूआंसी सी आवाज में- चलो घर चले जाते हैं। मैं- क्या हुआ? रुचि- कुछ नहीं, घर चलो बस!


मैं- अब जाम है तो मैं क्या कर सकता हूं? कुछ दूर पर एक क्लिनिक है वहाँ दिखा लेते हैं। रुचि- नहीं चलो घर!


मैं- अरे … पर हुआ क्या? बताओ तो? रुचि शर्माती हुई- मेरे पीरियड्स हो गए और मैंने पैड भी नहीं लगाया है, स्कर्ट पर दाग लग गया होगा। मैं हंसने लगा।


रुचि मुझे मारती हुई- हंस क्यों रहे हो? मैं- रुको, अगर मैं पैड ला दूं तो चलेगा? रुचि- ठीक है।


फिर मैं गाड़ी साइड में लगा कर पैड, कुछ टिस्सु पेपर, एक पैंटी और एक स्कर्ट ले आया और उसे देते हुए- पीछे जाओ और साफ कर लो।


मैं बाहर खड़ा हो गया और सीट के तौलिये से शीशे ढक दिया। वह पीछे गयी. पर उसके हाथ पैर में चोट थी तो वह नहीं कर पाई।


कुछ देर बाहर इंतजार करने के बाद मैंने पूछा- हो गया क्या? रूचि रोते हुए- नहीं हो रहा है।


फिर मैं अन्दर गया- तो मैं कर दूं? रूचि- बकवास मत करो। मैं- अरे लाओ ना … मैं कर देता हूं. क्या हो जाएगा … प्रॉब्लम में फैमिली ही तो काम आती है।


रूचि- ठीक है पहना दो लेकिन आंख बंद रखना।


मैंने उसकी पेंटी उतारी, उसे थैली में डाला, एक भीगे तौलिये से बिना देखे उसकी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल उसकी चूत पौंछी. फिर मैंने नई पैन्टी पर पैड लगा दिया और उसे पहना दिया. पहनाते टाईम मेरे उंगलियां उसकी घनी झांटों से छू गई.


फिर मैंने उसके चूतड़ उठा उसकी स्कर्ट उतार उसे नई स्कर्ट पहना दी।


वह अपनी आंखें बन्द किए हुए थी।


मैं- देखो हो गया ना! रुचि शर्मा रही थी कुछ नहीं बोल रही थी।


मैं मजे लेते हुए- जंगल में जंगली जानवर रहते हैं या यूं ही वीरान जंगल है? रुचि- कौन से जंगल में? मैं हंसने लगा। कुछ देर बाद उसे समझ आया तो वह शर्मा गई।


फिर मैंने उसे डॉक्टर को दिखा दिया. डॉक्टर ने उसकी मरहम पट्टी कर दी उसके बाएं हाथ की उंगलियों में ज्यादा चोट थी तो उस हाथ में स्लिंग टांग दिया. फिर हम दवाई ले घर आ गए।


4 बज चुके थे भाभी घर पर नहीं थी। रुचि- मुझे बाथरूम जाना है। मैं- इंडियन सीट पर तुम्हें बैठने में नहीं बनेगा इसलिए मेरे कमरे के बाथरूम में चली जाओ।


रुचि चली गयी. काफी देर बाद भी वह बाहर नहीं निकली तो मैंने पूछा- क्या हुआ? रुचि- धोने में नहीं बन रहा। मैं- मेरी कुछ मदद चाहिए तो बोलो या दरवाजा खोलो। रुचि ने कुछ देर बाद दरवाजा खोला।


वह स्कर्ट पहन खड़ी थी उसकी पैंटी घुटनों में थी। फिर वह बैठ गयी और मैंने बिडे शावर से उसके पीछे कूल्हों के बीच में पानी डाला।


मैं मजाक में बोला- क्या क्या करना पड़ रहा है। रूचि शरमा गई।


मैं- लेकिन मजा भी बहुत आ रहा है। फिर मैंने उसके आहे चूत पर पानी डाला।


रुचि- क्या कर रहे हो? मैं- जंगल में पेड़ों को पानी दे रहा हूं। रुचि- तू देख क्यों रहा है? मैं हंसते हुए- ऐसे ही!


फिर हम हंसने लगे।


फिर भईया भाभी आ गए।


कुछ दिन ऐसे ही चला. जब भाभी घर पर होती तो भाभी उसकी देखभाल करती. नहीं तो मैं तो घर पर ही रहता था क्यूंकि मैं घर से ही काम करता था।


18-20 दिन बाद वह ठीक हो गई।


एक रात को हम दोनों सोने के लिए अपने अपने बेड पर लेट गए थे कि अचानक उसने मुझे किस कर दिया।


मैं- ये क्या था? रुचि- तुमने जो मेरी इतनी सेवा की … उसका ईनाम! मैं हंसते हुए- इतना कम ईनाम लूंगा मैं?


रुचि- तो और क्या चाहिए? मैं- मैं तो जंगल में जाना चाहता हूं। रुचि- उधर जाने की सोचना भी मत! उधर सिर्फ खास लोग जाते हैं। मैं- तो मैं खास नहीं हूं? रुचि- हो … पर उतने भी नहीं!


मैं- तो उतना खास बनने के लिए अब मुझे क्या करना होगा? रुचि- शादी। मैं मजाक करते हुए- मेरी शादी तो नहीं हुई है, मेरे भाई की शादी हो चुकी है तो क्या वह आपके जंगल में गया है? रुचि मेरी तरफ तकिया फेंक कर बोली- कुछ भी मत बोलो।


मैं- अच्छा तुम जंगल की सफाई क्यूं नहीं करती हो? रुचि- अब तो तुमसे ही करवाऊंगी।


मैं- अब मैं कुछ नहीं करूंगा, तुम वह अपने खास से करवा लेना। रुचि- तो तुम ही बन जाओ खास!


मैं- एक सेकंड … क्या तुम मुझे इन डायरेक्टली प्रपोज कर रही हो? रुचि- जो तुम समझो।


मैं- साफ साफ बोलो तब तो मैं समझूं! रुचि मेरे बेड पर आते हुए- सच बोलूं तो पहले तुम मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं थे. लेकिन अब मैं तुम्हें पसन्द करने लगी हूं। मैं हंसते हुए- हाय दईया … मैं तो मर ही जाऊंगा। ऐसा मजाक नहीं करो। रुचि- मैं मजाक नहीं कर रही! सच में मैं तुम्हें प्यार करने लगी हूँ।


कुछ देर मैं खामोश रहा।


फिर मैं बोला- देखो, हम एक ही घर में रहते हैं, हमारा इतना अच्छा रिश्ता है, इतने घुलमिल कर हंसी खुशी रहते हैं। अगर प्यार व्यार करेंगे तो हमारा इतना अच्छा रिश्ता बर्बाद हो जाएगा। फिर आपके घर वालों को लगेगा कि मैंने आपका फायदा उठाया है।


रुचि उठ कर अपने बेड पर चली गई- मैं समझ गई आपको। फिर वह चुपचाप सो गई। मैं कुछ बोला तो उसने जवाब नहीं दिया।


फिर कुछ दिन उसने मुझसे बात नहीं की।


एक रात हम सोने गए तो मैं बोला- देखा यह लव लव प्यार व्यार कितना खतरनाक होता है. हम कितने खुश रहते थे पहले! अब 4 दिन से तुम मुझसे नाराज हो। रुचि कुछ देर चुप रहने के बाद- लेकिन मैं क्या करूं … तुमने मेरा इतना ख्याल रखा कि मुझे तुमसे प्यार हो गया।


मैं उसके बेड पर लेट गया और उसकी बाजू पर हाथ रख कर बोला- मुझे सोचने दो. एक लड़की जिसके 32 B के स्तन हैं, 28 की कमर, 34 के हिप्स, जो थोड़ी हेल्दी है, काफी गोरी है, सुंदर है, थोड़ी नखरीली है, गुस्सा नाक पर रहता है, उस लड़की को मुझसे प्यार है। अगर मैं भी उससे प्यार करने लगूं तो मुझे क्या मिलेगा? रूचि थोड़ी खुश होती हुई- वह सब कुछ जो मेरे खास को मिलना चाहिए।


फिर मैं उसकी कमर में हाथ डाल उसके पीठ से चिपक गया।


रुचि- छोड़ो मुझे … क्या कर रहे हो? पहले बोलो कि तुम मुझसे प्यार करते हो। मैं- ठीक है, आई लव यू। रुचि मेरे गले लगती हुई- आई लव यू टू!


फिर मैं उसके कूल्हे दबाते हुए बोला- अब तो अपना जंगल दिखा दो, मुझे गुफा में जाना है। रुचि- नहीं मैं वह सब शादी के बाद ही करूंगी। शादी करोगे ना … मुझे धोखा तो नहीं दोगे?


मैं उसके सर पर हाथ रखते हुए- कसम खाता हूं कि शादी करुंगा तो तुमसे ही करूंगा, नहीं तो नहीं करुंगा। बोलो तो अभी बात कर लूं शादी की तुम्हारे घर वालों से? रुचि- नहीं, अभी नहीं … कुछ दिन बाद। पहले मैं अपनी दीदी से बात कर लूं. तब तुम जीजा जी से बात कर लेना।


मैं- ओहो, शायद तुम भूल रही हो कि तुम्हारी दीदी अब मेरे घर की मेंबर हैं. तो मैं अपनी भाभी से पूछ लूंगा, तुम अपने मम्मी पापा से पूछ लेना। रुचि- ठीक है. पहले तुम पूछ लेना।


मैं- अब तो जंगल दिखा दो। रुचि- देख तो तुम पहले ही चुके हो।


मैं- अरे अच्छे से कहा देखा था. अब अच्छे से दिखा दो। रुचि- अभी नहीं, दिन में जिस दिन दीदी घर पर नहीं होगी, उस दिन अच्छे से देख लेना और जंगल की सफाई भी कर देना। इतना बोल कर वह शर्मा गयी.


मैं उसके चूचे छूते हुए- तो इन संतरों का रस ही पिला दो। रुचि- क्या कर रहे हो? छोड़ो!


फिर मैं उसके होंठों पर उंगलियों से सहलाने लगा। रुचि कांपती हुई- क्या कर रहे हो? मैं- मैं तुम्हारे अधरों का रस पीना चाहता हूं। इजाजत दे दो।


रुचि मुस्कुराती हुई- हम्म!


मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने लेटे हुए मेरे गले में बाहें डाल दी.


मेरे हाथ उसकी कमर पर थे. हम दोनों काफी चिपक गए थे. उसने एक जांघ मेरी कमर पर रख दी.


हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे।


अब उसकी सांसें तेज हो गई थी, वह हांफने लगी तो मैंने उसके होंठों से होंठ हटा लिये।


मैं- कैसा लगा? रुचि ने शरमा कर मेरे सीने में अपना मुंह छुपा लिया।


मैं उसके पीठ सहलाने लगा।


कुछ देर बाद मैंने उसका चेहरा उठाकर उसके माथे पर किस किया, फिर उसकी आंखें चूमी, उसके गाल चूमें, उसकी गर्दन और गले पर चुम्बन किया. फिर मैंने उसके सीने पर उसके बूब्स पर मैंने कपड़े के ऊपर से चूम लिया।


उसकी सिसकारी निकल गई।


फिर मैं अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा। वह आह आह करने लगी।


अब मैंने सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ रख दिया।


रुचि- आह … सुनो ना … मैं ये सब शादी के बाद करना चाहती हूं। मैं- क्या सब? रुचि- सेक्स, मैं अपनी सुहागरात पर ही करना चाहती हूं।


मैं- मैं वादा करता हूं तुम पहली बार सेक्स सुहागरात पर ही करोगी। यह कहते हुए मैं उसकी चूत सहलाने लगा.


रुचि- तो वहाँ से हाथ हटा लो ना … मुझे कुछ हो रहा है। मैं- मुझ पर भरोसा है? रुचि- अपनी जान से भी ज्यादा। मैं- तो जो मैं कर रहा हूं करने दो और मजे लो।


हम दोनों किस करने लगे.


मैं अब भी उसकी चूत सहला रहा था. वह आह आह करे जा रही थी.


उसने अपनी जांघों को जोड़ से भींच लिया और कुछ देर बाद झड़ गई।


मैंने पूछा- कैसा लगा? उसने अपना चेहरा फिर से मेरे सीने में छिपा लिया।


कुछ देर यों ही बात करते हुए हम सो गए।


मेरे प्रिय पाठको, यह लव लव स्टोरी चार भागों में चलेगी. अभी तक की कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं. [email protected]


लव लव स्टोरी का अगला भाग:


Teenage Girl

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