पड़ोस में आई नई भाभी की चुत चुदाई- 2

भास्कर दिवाकर

31-07-2024

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इंडियन सेक्स विद मैरिड वुमन में मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली एक सेक्सी भाभी को चोदा. मैंने उससे दोस्ती करके जाना कि उसके पति का बाहर चक्कर है और वो परेशान है.


दोस्तो, मैं भास्कर आपको अपनी पड़ोसन भाभी की चुदाई की कहानी को सुना रहा था. कहानी के पहले भाग पड़ोस में आई नई भाभी को नंगी देखा में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी पड़ोसन भाभी को चोदने की फिराक में था. कि तभी एक दिन वे खुद ही मेरे घर आ गईं और उन्होंने अपनी दुख भरी दास्तान सुनाते हुए रोना शुरू कर दिया कि उनके पति का किसी और महिला के साथ चक्कर चल रहा है.


अब आगे इंडियन सेक्स विद मैरिड वुमन:


मैंने पम्मी भाभी से कहा- भाभी, आप जैसी सुंदर पत्नी के होते किसी और औरत से चक्कर … ऐसा कैसे हो सकता है? पम्मी भाभी ने कहा- भास्कर, प्यार शक्ल और सूरत देख कर नहीं होता. दरअसल जिस लड़की से उनका चक्कर चल रहा है, वे उसे शादी से पहले से जानते हैं. और जब मेरे ब्वॉयफ्रेंड की खबर घर वालों को पता चली, तो उन्होंने जल्दबाजी में लड़के का बैकग्राउंड जाने बिना ही मेरी शादी कर दी. अगर लड़के का बैकग्राउंड पता भी होता, तो भी कोई कुछ नहीं कहता … क्योंकि हर किसी को लड़कियों में ही कमी दिखती है, लड़कों में नहीं!


इतना कहकर भाभी फूट फूट कर रोने लगी.


मैं बस भाभी के कंधे पर हाथ रखकर उसे चुप कराने और मनाने की कोशिश कर रहा था.


तभी भाभी मेरे पास को आई और मेरे गले लग कर मेरे सीने पर सिर रख कर रोने लगी. ऐसा देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए थे क्योंकि यह पहली बार था जब भाभी मुझसे गले लगी थी.


कुछ देर बाद भाभी चुप हो गई और बोली- पता नहीं भास्कर, मैं तुम्हारे साथ बहुत ही अच्छा महसूस करती हूँ और तुमसे बातें करके मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होता.


मैंने कहा- हां भाभी, एक लड़की की जिंदगी में एक लड़का और एक लड़के की जिंदगी में एक ऐसी लड़की होती है, जिनके साथ उनकी अच्छी जमती है!


फिर तभी न जाने क्या हुआ कि भाभी को सर्दी लगने लगी और वह कंपकंपाने लगी. मैंने भाभी से कहा- भाभी, आप बाथरूम में जाकर कपड़े बदल लो, वरना सर्दी हो जाएगी.


भाभी मान गई और मैंने उसको नीचे वाला बाथरूम दिखाया. वे कपड़े बदलने चली गई.


जब भाभी बाथरूम में थी तो मैं यही सब सोच रहा था कि भाभी मेरे सीने से लिपटकर रोई है … तो इसका मतलब वह मुझे चाहने लगी है. यही सोच सोच कर धीरे धीरे मेरा मूड बनने लगा और मेरा लंड फूल कर कड़क हो गया.


मुझे लगा कि हो सकता है भाभी तौलिया माँगे … तो मैंने तौलिया को उठाया और उसे अपने लंड पर रगड़ने लगा.


फिर जब भाभी ने तौलिया माँगी तो मैंने वही तौलिया भाभी को पकड़ा दी.


तौलिया लेते समय भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया था. यह एक इशारा था भाभी का … जिसे मैं समझ गया था.


भाभी ने बाथरूम के अन्दर से आवाज लगाई- भास्कर, मैं अपने कपड़े तो लाई नहीं और जो नाईटी मैं पहन कर आई थी, वह भी भीगी हुई है.


यह सुनकर मैंने कहा- भाभी, आप चाहें तो मैं आपके घर जाकर आपके कपड़े ले आता हूँ. भाभी बोली- नहीं नहीं, बाहर तेज बारिश है तुम भीग जाओगे … तुम बस एक काम काम करो कि तुम्हारी ही कोई शर्ट दे दो, मैं वही पहन लूँगी.


यह सुनकर मेरे मन में तो जैसे लड्डू फूट रहे थे. मैंने सोचा कि भाभी ने सिर्फ शर्ट ही क्यों मांगी, पैंट क्यों नहीं?


लेकिन मैं भीतर से इतना उत्तेजित हो गया था कि बिना ज्यादा सोचे ही अपनी शर्ट लेने चला गया.


वैसे तो मैं लार्ज साइज की शर्ट पहनता हूँ लेकिन कबर्ड से शर्ट निकालते वक्त मुझे मेरी एक पुरानी स्मॉल साइज की सफ़ेद शर्ट दिखी तो मैं उसे ही निकाल कर ले आया और मैंने भाभी को बाथरूम के बाहर से ही अपनी सफ़ेद रंग की शर्ट पकड़ा दी.


जब भाभी बाथरूम के बाहर निकली तो मेरी तो जैसे सिट्टी-पिट्टी ही गुम हो गई थी. भाभी ने उस छोटी सफ़ेद शर्ट में कयामत ढहा रही थी. उसकी चिकनी टांगों और नंगे कूल्हों का निचला हिस्सा खुला हुआ था.


उसे यूं देख कर मेरा लंड तन कर सख्त हो गया था. मैं तो बस भाभी को मुँह फाड़ कर देखता ही रह गया.


भाभी मेरे पास आई और बोली- भास्कर सॉरी, अगर तुम्हें बुरा न लगे, तो क्या मैं ऐसे ही रह सकती हूँ … क्योंकि मैं रात मैं हाफ शॉर्ट्स ही पहन कर सोती हूँ.


यह सुनकर भला मैं क्यों बुरा मानने वाला था. मैंने कहा- कोई बात नहीं भाभी, इसे अपना ही घर समझिए.


मेरी नजरें तो बार बार भाभी के नीचे गोरी गोरी जांघों और कूल्हों पर जा रही थीं.


मैंने भाभी से कहा- भाभी, आज आप यहीं रुक जाओ. बारिश के चलते बाहर लाईट भी नहीं है, तो आप यहां इन्वर्टर में आराम से सो जाइए.


भाभी ने हामी भर ही ली थी क्योंकि जिस तरह से भाभी ने सिर्फ मेरी शर्ट ही पहनी थी और नीचे से खुली थी उस हिसाब से भाभी ने आज रात मेरे घर रुकने का प्लान पहले ही बना रखा था.


फिर हम दोनों हॉल से मेरे कमरे में आ गए क्योंकि मेरे रूम के अलावा बाकी सब कमरे बंद ही पड़े रहते थे. मेरे रूम में आते ही भाभी मेरे बिस्तर पर लेट गई.


जिस तरह से भाभी चित पड़ी थी, उसे देख कर ऐसा लग रहा था … जैसे आज भाभी अपनी जिस्मानी भूख शान्त करके ही मानेगी.


फिर उसने अपने पैर पर पैर रख लिए, जिससे पम्मी भाभी की नंगी चूत और गांड साफ साफ दिखने लगी थी.


शर्ट के नीचे भाभी ने कुछ नहीं पहना था.


यह नजारा देख कर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि अपने पजामे के भीतर खड़े लंड की प्यास शांत करने के लिए बाथरूम की तरफ दौड़ा.


बाथरूम में जाकर मैंने अपने खड़े लंड पर मग से पानी डाला ताकि लंड को थोड़ा शांत कर सकूं. पर उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.


तभी मेरी नजर बाथरूम के कोने में हैंगर पर लटकी भाभी की गुलाबी रंग की गीली नाईटी और डार्क नीले रंग की ब्रा, चड्डी भी पड़ी थी.


अब मैं समझ गया था कि भाभी ने शर्ट के नीचे चड्डी क्यों नहीं पहनी थी क्योंकि नाईटी के साथ साथ उसकी ब्रा, चड्डी भी बारिश में गीली हो गई थी.


मैं जल्दी से अपने कमरे में आ गया और बिस्तर के कोने में बैठ गया.


भाभी बोली- भास्कर, ऐसे क्यों बैठे हो, यहां लेट जाओ … पलंग बड़ा तो है, अगर हम दोनों इस पर सोएंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा.


मैं भाभी के बगल में लेट गया और हम बातें करने लगे.


बातों ही बातों में भाभी ने मुझे बताया कि वह इतना अकेलापन महसूस करती है कि वह जब तक नींद की गोलियां नहीं लेती, उसे नींद नहीं आती. भाभी आज अपनी नींद की गोलियां लाना भूल गई थी.


उसने कहा- उसे वे गोलियां जरूर चाहिए, नहीं तो वह सो नहीं पाएगी. मैंने भाभी से कहा- आप चिंता न करें, बारिश बंद हो गई है. मैं आपके घर जाकर दवाई ले आऊंगा.


भाभी ने मुझे अपने पर्स में से घर की चाबी निकालने की बात कही और बताया कि दवाइयों की डिब्बी उनके कमरे के दराज में होगी.


मैंने उसके पर्स से चाबियां ली और भाभी के घर पहुंचा. वहां भाभी के रूम में जाकर दराज को खोला और दवाई की डिब्बी ले ली.


मेरी नजर वहां कमरे के गेट के पीछे टँगे भाभी के कपड़ों पर जा पड़ी. मैंने भाभी के कपड़े लिए और उन्हें अपने जिस्म पर मलने लगा.


उन कपड़ों में भाभी की एक काले रंग की ब्रा और चड्डी भी थी.


ब्रा को मैंने अन्दर चूचियों वाले हिस्से से सूँघा और चड्डी को भी सूँघा. उसके बाद मैं जल्दी से भाभी का घर लॉक करके अपने घर आ गया.


मैंने भाभी को दवाइयां दीं और भाभी ने दवाई का सेवन किया.


सेवन करने के कुछ देर बाद भाभी नींद के आगोश में चली गई और उसी अर्धमूर्छित अवस्था में भाभी ने बड़बड़ाते हुए कहा- भास्कर आओ न, मुझसे चिपक जाओ … और जो भी करना है … कर लो!


लो जी … जिस दिन का मुझे हमेशा से बेसब्री से इंतजार था, आखिरकार वह पल आज आ ही गया था.


मैं भाभी से जा चिपका और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा. भाभी भी किस करने में मेरा भरपूर साथ दे रही थी.


कुछ ही देर में मैं गर्म हो गया और मैंने अपने कपड़े उतार दिए. अब मैं सिर्फ चड्डी में ही था.


भाभी ने मेरी चड्डी में हाथ डाल दिया और अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को पकड़कर दबाने लगी.


इसी बीच मैंने अपनी उस शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए जिसे भाभी ने पहन रखा था.


बटन के खुलते ही भाभी की गोरी गोरी गोल कसी हुई चूचियां शर्ट से बाहर निकल कर मेरी नजरों के सामने आ गईं.


यह देख कर तो जैसे मेरे दिल की धड़कने तेज हो गईं और मेरा लंड तो जैसे चड्डी फाड़ कर बाहर ही आने वाला था.


उसके बाद मैंने अपनी चड्डी भी उतार दी और भाभी ने अपने बदन से शर्ट निकाल कर पलंग के नीचे फेंक दी.


मैंने एक पल की भी देर नहीं लगाई और बजाए फोरप्ले के अपना लंड भाभी की गर्म चूत में पेल दिया. मैं अपने लंड को जोर जोर से भाभी की चूत के अन्दर बाहर करते हुए झटके देने लगा.


भाभी भी जोर जोर से सिसकने लगी और आह्ह आह्ह की कामुक आवाजें निकालने लगी.


तकरीबन पांच मिनट बाद मैं झड़ गया और मैंने अपने लंड का सारा पानी पम्मी भाभी की चूत में ही छोड़ दिया. अब हम दोनों एक दूसरे से अलग अलग हो गए और बिस्तर पर ही लेटे रहे.


भाभी पर अब नींद की दवाओं का असर होने लगा था और वह नींद की गोद में जाने लगी.


कुछ समय बाद फिर से मेरा मूड बन गया और मैंने पक्का करने के लिए भाभी को हिलाया तो भाभी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.


अब यह स्पष्ट हो चुका था कि भाभी पूरी तरह बेहोश होकर सो गई है और नग्न हालत में मेरे कमरे में मेरे साथ मेरे बिस्तर पर पड़ी है.


जिस भाभी को कुछ दिन पहले देख कर मैं उन पर मोहित हो गया था और चोदने के ख्वाब बुन रहा था, वह आज मुझसे चुदकर मेरे सामने इस हालत में अपनी इच्छा से पड़ी थी.


मेरा मन मचला जा रहा था.


मैंने बिस्तर में नंगी पड़ी भाभी को अपनी बांहों में जकड़ लिया और अपने हाथों को भाभी के जिस्म पर चलाने लगा.


भाभी पूरी तरह बेहोश थी.


पहले तो मैं भाभी की जांघों पर हाथ मल रहा था, फिर मैंने भाभी की मस्त घुमावदार गांड पर हाथ मलना शुरू कर दिया.


कुछ देर बाद मैंने भाभी की चूत पर हाथ मला और भाभी की चूत में उंगली करने लगा. उस समय मुझे जो असीम सुख मिल रहा था, उसे मैं बता नहीं सकता.


उसके बाद मैंने भाभी की चूचियों को दबाना शुरू किया और चूचियों को चूसने लगा.


फिर मैंने सोचा कि अपना लंड भाभी की चूत में पेल दूँ, पर उस समय मुझे ये करना ठीक नहीं लगा. क्योंकि यह सच था कि भाभी ने मुझे खुली छूट दे दी थी लेकिन वास्तविक सेक्स तो भाभी के साथ उसकी मर्जी से ही करना चाहता था.


इसी तरह मैं देर रात तक भाभी के जिस्म से ऊपरी मजे लेता रहा और भाभी को पहले ही तरह शर्ट पहना कर सो गया.


फिर सुबह करीब 5:30 बजे भाभी के फोन का अलार्म बजा, जिसकी आवाज से मैं और भाभी दोनों उठ गए.


सुबह के हल्के अंधेरे में भाभी बाथरूम में लटके अपने गीले कपड़े पहन कर अपने घर चली गई. उसी दिन दोपहर को भाभी के पति आ गए.


मेरा भाभी से मिलना जुलना नहीं हो पा रहा था.


करीब 5 दिन बाद भाभी के पति फिर से बाहर चले गए. तो मुझे फिर से भाभी से मिलने का मौका मिल गया.


कॉलेज से आकर मैं भाभी के घर जाकर अपना ज्यादातर टाइम भाभी के साथ ही गुजारता था.


भाभी भी मुझे पसंद करती थी और बातें करते समय वह मेरी जांघों, छाती इत्यादि पर हाथ रख लेती थी.


एक रात मेरे मोबाईल पर भाभी का फोन आया. भाभी ने मुझे अपने घर बुला लिया.


जब मैं घर पहुंचा तो भाभी मदमस्त मूड में नजर आ रही थी. भाभी ने सफ़ेद रंग की नाईट ड्रेस पहनी हुई थी, जिसके कसे हुए पजामे में भाभी के मस्त घुमावदार कूल्हों को साफ साफ उभरा हुआ देखा जा सकता था.


भाभी के बिना लिपिस्टिक के गुलाबी होंठ और रबड़ से बँधे हुए सिल्की बाल उसके आकर्षण को और बढ़ा रहे थे.


वे मुझे अपने कमरे में ले गई जहां उसने मेरी शर्ट के बटन खोल कर मुझे अपने बिस्तर पर धकेल दिया और मेरी जींस का बटन और चेन खोल मेरे खड़े लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.


भाभी फूल मूड में थी और मेरी तो जैसे लॉटरी निकल पड़ी थी.


उसके बाद भाभी ने अपने कपड़े उतार कर दरवाजे के पास पटक दिए.


भाभी ने जालीदार ब्रा और चड्डी पहन रखी थी जिसमें भाभी एक मॉडल की तरह सेक्सी हुस्न की मालकिन लग रही थी. मैंने अपनी खुली हुई जींस और टी-शर्ट उतार कर वहीं दरवाजे के पास फेंक दिए.


अब भाभी मेरे ऊपर आई और चिपक कर लेट गई. मेरी छाती से भाभी की गोल गोल चूचियां और मेरी चड्डी के भीतर फूले हुए लंड से भाभी की चड्डी के भीतर छिपी हुई चूत टकरा रही थी.


हम दोनों कुछ देर तक इसी तरह एक दूसरे के होंठों पर चूमते रहे और एक दूसरे के जिस्म पर हाथ मलते रहे.


मैं तो सेक्स के नशे में इतना डूबा था कि भाभी की गांड को मसलते हुए मैंने अपना दायां हाथ भाभी की चड्डी के अन्दर डाल कर चूत में उंगली करने लगा.


अब हम दोनों ही पूरी तरह गर्म हो चुके थे और हमारे भीतर की वासना भयंकर रूप ले चुकी थी.


मेरा लंड फूल कर इस तरह खड़ा था मानो अगर उसे बाहर नहीं निकाला तो वह चड्डी फाड़ कर ही बाहर आ धमकेगा.


भाभी ने मेरी चड्डी खींच कर नीचे खिसकाई और मेरे लंड को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.


मैंने भाभी के बाल पकड़े और जोर जोर से उसके सिर को पीछे से दबाकर अपने लंड को भाभी के मुँह में पेले जा रहा था.


कुछ मिनटों बाद मैं झड़ गया और मेरे वीर्य को मैंने भाभी के मुँह में ही छोड़ दिया.


जैसे ही मेरे लंड से निकला वीर्य भाभी के मुँह में आया, भाभी ने झटके से अपना सिर पीछे करके मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया.


भाभी का जी खराब हो गया, उसको उल्टी करने का मन करने लगा.


अपने मुँह में भरा पूरा वीर्य भाभी ने बाहर पलंग की नीचे थूक दिया.


यह देखकर मुझे बहुत अजीब लगा और मैंने सोचा कि शायद झड़ने से पहले मुझे भाभी को बता देना चाहिए था.


झड़ने के बाद मेरा लंडा बाहर मुरझाया हुआ पड़ा था और मैं भी बिस्तर पर चित लेटा हुआ था.


भाभी की चूत की गर्मी अभी बरकरार थी. भाभी मेरे पेट पर बैठ गई और मैं भाभी की ब्रा उतारने लगा.


जैसे ही मैंने भाभी की ब्रा उतारी, भाभी की गोल कसी हुई चूचियां बाहर निकल आईं. उन्हें मैं अपने दोनों हाथों से दबाने लगा.


भाभी वासना भरी आवाजें निकाल रही थी.


इसी तरह मैं एक बार फिर से सेक्स के मूड में आ गया और नीचे खिसकी हुई चड्डी के बाहर खुला हुआ मेरा लंड एक बार फिर से फूल कर खड़ा हो गया. मेरे ऊपर बैठी भाभी की गांड को टच करने लगा.


मैं जितना भाभी की चूचियों को दबाता और उनसे खेलता, उतना ही मेरा लंड फूल कर कड़क होकर तन कर खड़ा हो जाता.


फिर मैंने भाभी को उठाकर बिस्तर पर चित लेटा दिया और अपनी चड्डी उतारने के बाद मैंने अपने हाथों से भाभी की चड्डी को खींच कर उतार दिया.


अब मेरे सामने भाभी बिल्कुल नंगी पड़ी थी. भाभी की चूत पर हल्के हल्के बाल थे. शायद भाभी ने पिछले 5-6 दिनों से अपनी चूत के बालों पर उस्तरा नहीं चलाया था. भाभी की चूत के वह बाल चूत को और आकर्षक बना रहे थे.


पहले तो मैंने अपने हाथ की उंगली को भाभी की चूत के बालों पर रगड़ने लगा और मैंने अपनी उंगलियों में भाभी की चूत से बालों को पकड़कर खींच लिया.


भाभी आह्ह करती हुई बोली- क्या भास्कर … तुम क्या सिर्फ मेरी चूत से खेलते रहोगे … या मेरी प्यास भी बुझाओगे? ‘हां भाभी!’ मैंने भाभी की चूत पर अपना लंड रखते हुए कहा … और भाभी की चूत में अपना लंड पेल दिया.


भाभी हल्के स्वर में चीख उठी.


मैंने धीरे धीरे अपना लंड भाभी की चूत के अन्दर बाहर करते हुए चोदना शुरू कर दिया. भाभी मदहोश पड़ी सिसकारियां ले रही थी.


मुझे बहुत मजा आ रहा था. ऐसा लग रहा था मानो जन्नत नसीब हो गई हो.


फिर मैंने भाभी को चोदते चोदते अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से लंड चूत के अन्दर बाहर करता रहा.


भाभी ने जोर जोर से ‘आह्ह आह्ह’ की आवाजें निकालना शुरू कर दिया.


उस समय भाभी को तेज मीठा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन उसको उस दर्द का मजा भी बहुत आ रहा था इसलिए भाभी ने मुझसे लंड बाहर निकालने की गुजारिश नहीं की थी.


भाभी ने मादक सिसकारियां लेते हुए कहा- भास्कर, झड़ते समय अपना सफेद पानी बाहर छोड़ना, अन्दर नहीं! मैंने भी दबी हुई आवाज में कहा- जी भाभी!


कुछ समय बाद मैं झड़ने की स्थिति में आ गया और भाभी के कहने पर मैंने झड़ने से कुछ सेकण्ड पहले ही अपना लंड भाभी की चूत के बाहर निकाल कर हिलाने लगा.


मैंने अपने लंड का पूरा सफेद पानी भाभी की चूत के बाहरी बालों पर उड़ेल दिया.


मेरे वीर्य (सफेद पानी) की मोटी गाढ़ी बूँदें भाभी की चूत के छोटे बालों में फँसी पड़ी थीं.


भाभी भी मेरे झड़ने के समय पर ही झड़ गई थी जिससे भाभी की चूत के भीतर का सफेद पानी बाहर रिसने लगा जो बिस्तर की चादर पर टपक पड़ा.


हम दोनों ही झड़ चुके थे.


भाभी ने अपनी चड्डी उठाई और चादर पर फैले पड़े चूत के पानी को उसी चड्डी से पौंछ दिया.


फिर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर पड़े रहे.


भाभी अपने हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी तो वहीं मैं भाभी की गांड मस्त गांड मसल रहा था.


उस रात हमने दो बार और सेक्स किया. भाभी के पति के बाहर होने का फयदा उठा कर इसी तरह हम दोनों अपनी जिस्मानी हवस को मिटा लिया करते थे.


पढ़ाई पूरी होते ही मैं नौकरी के लिए दिल्ली आ गया हूँ. वहीं भाभी के पति की नौकरी ग्वालियर में शिफ्ट हो गई.


उसके बाद से हम दोनों कभी नहीं मिले.


तो दोस्तो, ये थी मेरी इंडियन सेक्स विद मैरिड वुमन, आपको कैसे लगी? उम्मीद करता हूँ, आपको बहुत पसंद आई होगी. पढ़ने के लिए धन्यवाद. अपने विचार जरूर बताएं. [email protected]


Bhabhi Sex

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