अस्पताल में मिली भाभी की होटल में चुदाई

रिकी राजपूत

18-05-2024

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फ्री चुदाई Xxx कहानी में मैंने अस्पताल में भर्ती एक मरीज की जवान भाभी को चोदा. वह मरीज के साथ रुकी थी. मैं उसे चोदना चाहता था. मैंने उसके सामने लंड सहलाया तो वह भी तैयार हो गयी.


दोस्तो, मेरा नाम रिकी राजपूत है. मैं हरियाणा के कुरूक्षेत्र से हूँ.


मैं एक अस्पताल में नर्सिंग का काम करता हूँ. वहीं मैंने एक भाभी को पटा लिया था और उनकी जम कर चुदाई की थी.


इस फ्री चुदाई Xxx कहानी में आप भाभी की चुदाई का मजा लीजिए.


यह मेरी पहली सेक्स कहानी है तो गलती हो जाना स्वाभाविक है, प्लीज माफ कर दीजिएगा.


हुआ यूं कि कुछ समय पहले ही हमारे अस्पताल में एक लड़की को एडमिट किया गया था. उसकी तबियत कुछ ज्यादा ही खराब थी. इसलिए उसको कुछ दिन के लिए अस्पताल में ही रहना पड़ा.


उसके साथ उसका भाई और उसकी माँ आई हुई थी. इसी कारण से उस लड़की के पास किसी ना किसी को रहना पड़ता था.


पहला दिन और रात तो आराम से निकल गई. दिन में उसकी माँ साथ रहती, रात को उसका भाई.


दूसरे दिन उसकी माँ की भी अस्पताल में रहने के कारण तबियत खराब होने लगी और उसकी मां ने मना कर दिया कि मैं अस्पताल में नहीं रह सकती.


अब उसके भाई को ही दिन रात रहना पड़ा, जिस कारण उसको काम से छुट्टी लेनी पड़ी.


पर वह भी एक दिन से ज्यादा छुट्टी नहीं कर पाया तो उसने अपनी पत्नी को अस्पताल में रात को रहने के लिए बोल दिया.


उस वक्त मेरी भी नाइट ड्यूटी चल रही थी. पहले दिन जब मैंने भाभी को देखा तो देखता ही रह गया.


भाभी का नाम सोनिया था और वे क्या मस्त माल थीं, साला दूध गांड देखते ही लंड ने भाभी से नमस्ते करना शुरू कर दिया.


उस रात भाभी घर से नीले रंग की साड़ी पहन कर आई थीं और साथ में बैग में रात के लिए दूसरे कपड़े और खाना लाई थीं.


नीले रंग की शिफॉन की साड़ी में भाभी का पेट एकदम सफेद दूध की तरह दिख रहा था.


साड़ी की मैचिंग के ब्लाउज का गला बड़ा होने के कारण भाभी के बड़े बड़े चूचे बाहर आने को मचल रहे थे. मानो कह रहे हों कि हमें आजाद कर दो.


भाभी पैदल चलते समय अपनी मस्त मोटी उभरी हुई गांड मटका मटका कर चल रही थीं तो मेरे तो होश उड़ गए थे.


खाना पीना होने के बाद बर्तन साफ करके भाभी ने कपड़े चेंज कर लिए. अब उन्होंने लोअर टी-शर्ट पहन ली.


रात होने के कारण भाभी ने अपनी ब्रा भी उतार दी थी. उस वजह से टी-शर्ट के ऊपर से भाभी के चूचों का आकार और निप्पल साफ दिख रहे थे.


मेरी खुश नसीबी यह थी कि मुझे उस मरीज़ के साथ उसी वार्ड में दो और मरीजों को देखने को बोला गया था.


अब मैं भाभी की चुदाई करने के लिए प्लान बनाने लगा. मुझे बस यही डर था कि अगर कुछ उल्टा हुआ तो भारी लफड़ा हो जाएगा.


हो सकता है कि चूत के चक्कर में नौकरी से भी हाथ धोना पड़ जाए. लेकिन लंड को कौन समझाए.


उस वक्त 10 बज गए थे. उस लड़की को रात का इंजेक्शन देने का समय हो गया था.


बगल वाले बेड पर ही भाभी लेटी हुई थी और बड़ी ही हॉट माल लग रही थीं.


इंजेक्शन देते हुए मैं भाभी के निप्पल को बार बार देख रहा था और भाभी भी ये बात नोट कर रही थीं.


उन्होंने मुझसे अपनी ननद के बारे में पूछना शुरू कर दिया. उनकी आवाज सुन कर मैं पागल हो गया और मेरा लंड भाभी के मुँह में जाने के लिए बगावत करने लगा.


रात की ड्यूटी में हम लोग भी हल्के कपड़े पहनते थे जिस कारण में लोअर में तंबू बन रहा था. भाभी ने ये बात भी नोट की कि मेरा लंड खड़ा हो रहा है.


लंड का आकार देख कर भाभी भी चुप हो गईं. उन्होंने आगे कुछ नहीं कहा.


मैं इंजेक्शन देकर आ गया.


थोड़ी देर बाद मेरे केबिन के बाजू में बना बाथरूम का दरवाजा खुला.


मैं दुबारा से वहां गया, तो भाभी बाथरूम के लिए गई थीं. उन्होंने मुझे देख कर अनदेखा कर दिया और बाथरूम में घुस गईं.


मैं बाहर ही खड़ा रहा और अपना लंड मसलता रहा. जब 5 मिनट तक भाभी बाथरूम में ही रहीं, तो मुझे कुछ गड़बड़ लगी.


तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और वे बाहर निकलने लगीं. बाहर आते समय भाभी ने मुझे हल्की सी स्माइल दी.


मैं बस भाभी के चूचों को ही घूर रहा था. मेरे दिमाग में भाभी की चुदाई के सिवा कुछ सूझ ही नहीं रहा था.


बस मन कर रहा था कि भाभी का लोअर फाड़ कर अपना 6 इंच का पूरा लंड एक बार में उनकी चूत में उतार दूँ. पर क्या करता, कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था.


रात 12 बजने के बाद मैं फिर से राउन्ड के लिए गया तो भाभी हिल रही थीं.


मैं समझ गया था कि भाभी अपनी चूत में उंगली कर रही हैं. मैंने थोड़ी आवाज की तो वे एकदम से सही हो गईं.


मैं उनके पास जाकर उनको देख रहा था और अपने लंड पर हाथ फेरे जा रहा था. भाभी चोरी चोरी यह सब देख रही थीं.


हम दोनों में से किसी की हिम्मत ना हुई कि शुरूआत कौन करे. मैं भी बाथरूम में जाकर भाभी के नाम की मुठ मार आया.


अब मैं आराम करने लगा. इस तरह से हम दोनों ही कुछ नहीं कर पाए.


सुबह जल्दी फिर से इंजेक्शन लगाना था तो मैं बिना भाभी की तरफ देखे आ गया.


चुपचाप इंजेक्शन देकर वापस आने लगा तो भाभी ने मुझसे मेरा फोन माँगा. वे बोलीं- मुझे अपने पति को कॉल करना है.


मैंने दे दिया और कहा- बात करके मुझे दे देना. उन्होंने मेरे फोन से पहले अपने फोन पर फोन किया, अपने पति को नहीं. ताकि मेरा नंबर उन्हें मिल जाए।


उस समय मुझे इस बात का पता नहीं चल सका था. थोड़ी देर बाद भाभी मुझे फोन देने आईं और स्वीट सी स्माइल के साथ थैंक्स बोलीं.


भाभी से फोन हाथ में लेते समय उनके हाथ से हाथ मिलाया, तो बहुत अच्छा लगा. ऐसा लगा मानो भाभी बोल रही हों कि पकड़ कर रखो ये हाथ!


वह कुछ बात करने की कोशिश भी करतीं मगर उधर अस्पताल का और भी स्टाफ आ गया था तो वे चली गईं.


थोड़ी देर बाद भाभी का पति आया और उनको ले गया.


मैं भी अपनी ड्यूटी ऑफ होने के बाद घर के लिए निकल ही रहा था कि मेरा फोन बजा.


मैंने बिना देखे फोन उठा कर तेज स्वर से हैलो बोला. रात की थकान के कारण मेरा मूड खराब था, इसलिए मुझसे सही से नहीं बोला गया.


इतने में फोन कट हो गया.


मैंने जब कोई अनजान नंबर देखा तो चैक किया. फोन का कॉल लॉग बता देता है कि पहले भी इसी नंबर पर कॉल हुई थी या नहीं हुई.


लॉग बुक बता रही थी कि इस नंबर पर बात हुई थी और मेरे फोन से फोन गया था. अब मैं सोचने लगा कि मैंने किसे फोन लगाया था. अभी और कुछ सोच पाता कि तभी फिर से कॉल आई.


उसकी हैलो की आवाज आई तो मैं तुरंत समझ गया कि यह वही भाभी है.


मैंने कहा- हैलो भाभी जी. भाभी बोलीं- कैसे हो? बड़ी जल्दी समझ गए!


मैं बोला- आपके बिना बुरा हाल है. वे हंस कर बोलीं- तो मिल लो न … मना किसने किया है!


मैं- सच में? भाभी- हाँ, मैं थोड़ी देर में मार्केट की तरफ आ रही हूँ. मुझे रास्ते से पिक कर लेना. भाभी ने चौक पर आने को बोला.


मैं कॉल कट करके घर जाने की बजाए दो केले खाकर और कंडोम लेकर भाभी के बताए स्थान पर पहुंच गया.


कुछ मिनट बाद वे मेरे पीछे आकर खड़ी हो गईं. मैं समझ ही नहीं पाया कि वे धीरे से बोलीं- यहीं खड़े रहना है या कहीं चलना है!


मैंने एकदम से पीछे देखा तो भाभी ने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी. वे आसमान से उतरी अप्सरा सी लग रही थीं.


तब मैंने भाभी को बाइक पर बिठाया और पूछा- कहां चलना है? वे बोलीं- मंदिर.


मैं हैरान हुआ कि मंदिर क्यों जाना है? मैंने उनसे पूछा- मंदिर क्यों?


वे बोलीं- तुम पागल हो क्या, पूछने की क्या जरूरत है कि कहां चलना है, जल्दी से किसी होटल में चलो.


मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा और मैं भाभी को एक होटल में लेकर पहुंच गया. उधर मैंने एक रूम ले लिया.


फ्री चुदाई के लिए हम दोनों रूम में पहुंच गए और कमरे को लॉक करके एक दूसरे को खा जाने वाली नजरों से देखने लगे.


मैंने भाभी को अपनी तरफ खींचा और प्यार से उनके होंठों को चूसने चूमने लगा. साथ ही मैं भाभी के चूतड़ों को भी दबाने लगा.


वे मदहोश होने लगीं और बोलीं- ज्यादा समय नहीं है, जल्दी कुछ करो. मैं ओके बोल कर भाभी को अपनी गोद में उठा कर बेड पर ले गया.


सबसे पहले मैंने भाभी की साड़ी उतार दी और उनकी चूचियों को निहारने लगा. वे मेरी शर्ट उतारती हुई बोलीं- तू तो बड़ा मस्त दिखता है.


भाभी मेरे सीने पर किस करने लगीं.


हम दोनों ने एक दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए. वे बोलीं- मुझे चोदना चाहता था न!


मैंने कहा- बड़ी जल्दी बात समझ ली है आपने! इस पर भाभी बोलीं- तू किसी के चूचे और गांड देखेगा और उसको पता नहीं चलेगा क्या?


मैंने भी बोल दिया- किसी के लंड को देख कर अपनी चूत में उंगली करोगी, तो उसका भी किसी को पता नहीं होगा क्या? वे हंस कर बोलीं- कुत्ते, तूने सब देख लिया था तो उसी वक्त क्यों नहीं चढ़ गया … उसी समय आग बुझा देता न मेरी? मैं- आपको तड़फाना भी जरूरी था!


भाभी- चलो अब देर ना करो और मेरी आग बुझा दो प्लीज़!


मैं भाभी के बड़े बड़े चूचों को बारी बारी से चूस रहा था और अपने हाथ से दबा भी रहा था. वे मादक सिसकारियां लेने लगीं.


मैंने उनकी एक चूची के निप्पल को अपने दांतों में दबा कर काट भी लिया.


मुझे जन्नत मिल रही थी.


कुछ मिनट बाद मैंने भाभी के पूरे बदन को चूमते हुए उनकी चूत पर किस किया.


भाभी ने मचलते हुए अपनी मादक सिसकारियां तेज कर दीं.


फिर हम दोनों 69 में आ गए. वह ऊपर से मेरे लंड को हाथ से मसल मसल कर चूस रही थीं और ‘हम्म यम हम्म यम’ कर रही थीं.


मैं भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर अन्दर तक अपनी जीभ ले जा रहा था. उनको भी जन्नत मिल रही थी.


वे अपनी गांड हिला हिला कर मेरे मुँह पर अपनी चूत को तेजी से रगड़ रही थीं.


करीब दस मिनट बाद भाभी झड़ गईं. झड़ कर भाभी को थोड़ी राहत मिली.


उसके दो मिनट बाद मेरे लंड से भी उनके मुँह में ही पिचकारी निकल गई.


मैंने भाभी के मुँह को दबा कर रखा, जिसकी वजह से उनको सारा माल पीना पड़ गया. उन्होंने मेरे लंड को चूस कर अच्छे से साफ भी कर दिया.


मुझे लगा था कि भाभी कुछ गुस्सा होंगी कि मुँह में वीर्य क्यों निकाल दिया. लेकिन उनको लंड चूसने में मास्टरी थी. वे लंड रस खाना पसंद करती थीं.


थोड़ी देर तक चूमा चाटी के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.


मैंने कंडोम इस्तेमाल नहीं किया और ऐसे ही उनकी चूत के पास अपना लंड घुमाने लगा.


भाभी तड़फ रही थीं. वे बोलीं- बहुत दिनों से नहीं चुदी, प्लीज़ जल्दी से पेलो और आज इसको फाड़ दो.


मैं उनकी चूत के मुँह में लंड का सुपारा घिसता रहा. वे बोलीं- मेरे पति को अपने काम से प्यार है, मुझे से नहीं. साला दिन रात काम के पीछे लगा रहता है.


मैं अपने लंड का सुपारा चूत के अन्दर डालता और बाहर निकाल लेता … फिर से डालता और निकाल लेता.


इससे भाभी की तड़फ का बांध टूट गया और वे हाथ जोड़ कर बोलीं- डाल दे मादरचोद … क्यों तड़फा रहा है.


उन्होंने मेरे पीछे हाथ करके मुझे अपनी तरफ खींचा और गांड उठाने लगीं. उसी वक्त मैंने भी एक झटका मारा और मेरा आधा से ज्यादा लंड भाभी की चूत में समा गया.


वे चीख पड़ीं और बोलीं- मार डालेगा क्या … बहन के लौड़े ने फाड़ दी आह! मैं कुछ नहीं बोला.


भाभी- साले, मैं अब तक उंगली से काम चला रही थी, आराम आराम से कर!


मैं धक्के मारता रहा और वे ‘आआह आआह’ कर रही थीं.


उनकी आह आह से मुझमें और एनर्जी आ रही थी. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेजी से भाभी की चूत चुदाई करने लगा.


दस मिनट की चुदाई के बाद मैं डॉगी स्टाइल में उनको चोदने लगा. डॉगी स्टाइल में लंड फुल मस्ती से भाभी की ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा था.


भाभी का शरीर अकड़ रहा था. मैंने अपनी स्पीड और तेज की और दो मिनट में ही ‘ऊउ अह आह …’ करती हुई भाभी ने अपनी चूत झाड़ दी.


मेरा अभी नहीं हुआ था. मैंने उनकी एक टांग अपने कंधे पर रखी और लंड पेला. मेरा लंड भाभी की बच्चेदानी तक पहुंचने लगा था.


मैं जैसे ही धक्का मारता, उनके मुँह से आआह निकलती. मेरा लंड आग की तरह तप रहा था जैसे उस पर 108 डिग्री का बुखार चढ़ गया हो.


मैं बिना रुके टपाटप Xxx चुदाई करता रहा. उनके झड़ जाने से लंड को बिना टोल टैक्स पर रुके फ्री एंट्री मिल रही थी.


करीब 15 मिनट की घमासान Xxx चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला हो गया था. मैंने भाभी से बिना पूछे ही उनकी चूत के अन्दर रस झाड़ दिया. उनकी चूत को ठंडक मिल गई.


वे मुझे किस करती हुई बोलीं- तू बहुत मस्त चुदाई करता है मेरी जान … मुझे हमेशा के लिए अपना बना ले! मैंने कहा- आप जब भी बन्दे को याद करोगी, तो ये बंदा हाजिर हो जाएगा.


फ्री चुदाई के बाद हम दोनों दस मिनट तक यूं ही लेटे रहे. उसके बाद बाथरूम जाने लगे तो मैंने देखा कि भाभी की चाल में फर्क पड़ गया था.


हम दोनों एक दूसरे को साफ करके बाहर आ गए और कपड़े पहनने लगे.


तभी हम दोनों आपस में चूमा चाटी करने लगे.


अब मैंने भाभी को दो गोलियां दीं, एक पेनकिलर और दूसरी अवांछित गर्भ रोकने की. फिर भाभी को उनके घर से थोड़ा पहले ड्रॉप करके आ गया.


तो दोस्तो, आपको मेरी फ्री चुदाई Xxx कहानी कैसी लगी, कमेन्ट में जरूर बताना. आपका प्रिय दोस्त हरियाणा का राजपूत [email protected]


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