पड़ोसन भाभी को मैंने दूध चूसकर चोदा

साहिल खान 4

14-09-2023

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देसी भाभी चूत चुदाई कहानी में मैंने लंड की प्यासी भाभी की जरूरत समझ कर उन्हें अहसास दिलाया कि मैं उनकी चूत को मजा दे सकता हूँ. बस उन्होंने मुझे अपने जिस्म का हिस्सेदार बना लिया.


दोस्तो, मैं अरमान हूँ. मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था जिसमें महमूद कुरैशी, उनकी बीवी आयशा और उनके अम्मी अब्बू यानि भाभी के सास ससुर थे.


भाभी के शौहर महमूद कुरैशी भाईजान कुवैत में काम करने चले गए थे. उनको उधर दो साल रहना था.


यह देसी भाभी चूत चुदाई कहानी मेरे और मेरी पड़ोस में रहने वाली आयशा भाभी के बीच की सेक्स कहानी है.


इधर महमूद भाईजान आयशा भाभीजान की गोद में एक साल भर का बेबी छोड़ गए थे और उन्हें अपनी अम्मी अब्बू के पास रहने के लिए छोड़ गए थे.


आयशा भाभी टीचर की जॉब करती थीं मगर जब से उनकी गोद में बेबी आया है, उन्होंने जॉब छोड़ दी थी. वे फिलहाल अपने सास ससुर के साथ ही रहती थीं.


आयशा भाभी की सास को पैरों में तकलीफ थी तो वे अधिकांश समय चारपाई पर ही लेटी रहती थीं और भाभी अपने पहली मंजिल वाले कमरे में अपने बेबी के साथ रहती थीं.


भाभी के ससुर किसी दफ्तर में बाबू थे तो वे सुबह निकल जाते थे और सीधे शाम को छह बजे आते थे. फिर सब मिल कर खाना आदि खाते व अपने अपने कमरों में जाकर सो जाते थे.


मैं आयशा भाभी के बाजू वाले मकान में रहता था और जब तब भाभी के काम करने के लिए उनके घर में आता जाता रहता था.


भाभी के ससुर को रात में देसी दारू पीने की आदत थी. तो वे ऑफिस से आते समय अपना पौवा साथ ले आते थे और घर के बाहर बने बरामदे में बैठ कर अपना पौवा चढ़ा लेते थे. उसके बाद उनका खाना होता था.


यह बात सभी को मालूम थी और उनसे इस बात को लेकर कोई कुछ नहीं कहता था. भाभी के ससुर भी पीने के बाद खाना खाकर सो जाते थे. वे एक बार सोए तो सीधे सुबह ही उठते थे.


ये सब मैंने अच्छी तरह से समझ लिया था कि चच्चा को दारू पीकर सोने के बाद कुछ होश नहीं रहता है.


मेरी नजरें दरअसल भाभी पर टिकी थीं. भाभी भी इस बात को समझ गई थीं कि मैं ही उनकी चूत की आग को बुझा सकता हूँ क्योंकि मेरे पास भाभी के ऊपरी मंजिल पर बने कमरे में जाने की अच्छी सहूलियत थी.


मैं अपनी छत से भाभी की छत पर जाकर बड़ी आसानी से जीने उतर कर उनके कमरे तक आ सकता था. चूंकि भाभी मुझे अपने काम के लिए अक्सर बुलाती रहती थीं और हम दोनों के बीच मजाक भी चलता रहता था.


अब ये लिखूँगा कि किस तरह से भाभी से मेरी सैटिंग हुई तो कहानी काफी लंबी हो जाएगी. इसलिए आप इतना समझ लीजिए कि फोन से भाभी से बात होते होते मुहब्बत पर आ गई और मैं आखिरकार उनके कमरे में आ गया.


आपको मैं आयशा भाभी के साथ सेक्स की एक एक बारीकी को सुनाना चाहता हूँ इसलिए सीधे उनकी चुदाई पर आता हूँ. उस दिन भाभी मुझसे हर तरह से सुख लेना चाहती थीं तो मैंने उन्हें नंगी कर दिया और उनकी मादक जवानी को भोगना शुरू कर दिया.


मैंने भाभी को नंगी करके चूमना शुरू कर दिया और जल्द ही मैंने उनकी नाक को भी अपनी जीभ से चोदना शुरू कर दिया.


भाभी के होंठ चूसते हुए मैं उनके गालों को भी चाटने लगा और धीरे से उनके कान के नीचे के हिस्से को मुँह में लेकर चूसने लगा. फिर उनकी आंखों को चूसने लगा और धीरे से उनकी नाक पर जीभ रगड़ने लगा.


सच में भाभी की नाक बहुत सेक्सी थी. वे नाक में एक नथ पहनती थीं, जिससे उनकी नाक और भी ज्यादा सेक्सी लगने लगती थी.


अब मैं उनकी नाक की नथ को जीभ से कुरेदने और चाटने लगा, उस पर जीभ घुमाने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.


वह भी सिसकारियां लेती हुई कह रही थीं- आह बेबी, बहुत अच्छा लग रहा है … आह … मेरी नथ को मुँह में लेकर चूसो … इसे तुम्हारे लिए ही तो पहनी है.


मैंने अपनी जीभ की नोक को सीधा किया और नाक के अन्दर जीभ डाल कर चाटने लगा.


भाभी ने भी अपनी नाक को कुछ फुला लिया जिससे मेरी जीभ की नोक आसानी से अन्दर चली जाए.


मैं नथ में और नाक के एक छेद में अन्दर तक जीभ घुसा कर निकाल रहा था.


भाभी को बार बार छींक जैसी आने को होती और रुक जाती क्योंकि मैं उसी पल अपनी जीभ की नोक को हटा लेता था.


इसी तरह से मैंने नाक के दोनों छेदों में ऐसे ही करते हुए नाक को बहुत देर तक चाटा.


उस वक्त ऐसी फीलिंग आ रही थी जैसे लंड चूत को चोदने से पहले सुपारे को चूत की फांकों में घुसेड़ कर निकाल लेता है. वैसे ही मैं जीभ की नोक से नाक की छेद को चोद रहा था.


उसके बाद मैंने भाभी की गर्दन को चूमते हुए चाटने लगा और गर्दन से खेलते हुए नीचे को आने लगा.


अब मैं उनके होंठों पर आ गया और हाथ से एक दूध को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा.


फिर अपने मुँह को नीचे मम्मों पर ले आया और मुँह से ही भाभी के ब्लाउज के बटन खोलने लगा. जो बटन आसानी से खुल सकता था, उसे मैंने अपने मुँह से खोला … और जो नहीं खुल सकता था, उसको मैंने दांतों से खींच कर तोड़ दिया.


फिर मैंने ब्लाउज को निकाल कर फेंक दिया. यह सब मैं मुँह से ही कर रहा था और भाभी मुझे किसी कुत्ते के जैसे अपने ब्लाउज से खेलता हुआ गर्म हो रही थीं.


भाभी ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, ब्लाउज हटते ही उनकी चूचियां आज़ाद हो गईं.


तब मैंने उनके एक निप्पल को अपने दांतों से पकड़ लिया और दूसरे पर प्यार से चमाट मारने लगा.


कभी एक निप्पल तो कभी दूसरा निप्पल … ऐसे ही दोनों अंगूरों के साथ मैंने मजा किया. उनका दूध मेरे मुँह में आता तो भाभी चिरौरी करतीं कि दूध को बेबी के लिए छोड़ दो.


मैं उनकी बात को मान भी जाता और दूध नहीं पीता.


अब भाभी ऐसे मचलने लगी थीं जैसे पानी से मछली बाहर निकाल दो. वे वैसे तड़पने लगीं और मेरी पीठ को अपने नाखूनों से नोंचने लगीं.


भाभी अपने बूब्स को हाथ से उठा कर मेरे मुँह में पूरा घुसेड़ने की कोशिश करने लगीं.


मैं भी जितना मुँह में घुसा सकता था, उतना ही उनके दूध घुसा ले रहा था.


ऐसे मैं भाभी के दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा और दबाने लगा.


इस बार मैंने उनकी चूचियों से निकलने वाले दूध को भी नहीं छोड़ा और उनके दोनों थन खाली कर दिए.


फिर मैं धीरे से नीचे आ गया और नाभि को जीभ से चाटने लगा. उसके बाद भाभी की कमर से नीचे आते हुए मैंने उनकी चूत की झांटों के बालों को सूंघा और अपना मुँह चूत की झांटों से रगड़ने लगा. मैं अपने मुँह से उनकी बड़ी बड़ी झांटों के बालों को जोर से खींचता और छोड़ देता.


भाभी एक पतली सी सिल्की पैंटी पहनी थीं. मैं उनकी पैंटी को हाथों की सहायता से ही धीरे धीरे उतारने लगा.


अब भाभी ने मुझे रोक दिया और कहने लगीं- हर चीज़ मुँह से की है, तो इसमें हाथ क्यों लगा रहे हो बेबी … इसको भी अपने मुँह से ही उतारो ना जान!


तब मैं भाभी बात सुन कर और भी ज्यादा जोश में आ गया और अपने मुँह से ही पैंटी को धीरे धीरे उतारने लगा. हालांकि भाभी की पैंटी टाइट थी, फिर भी खींच कर उतारने लगा.


उसके बाद मैंने भाभी की टांगों को फैला दिया. उनकी फूली हुई चूत और बड़ी बड़ी झांटों के आस पास मैं हर जगह अपना मुँह रगड़ने लगा.


उनकी चूत की महक को अपने नथुनों से सूंघने लगा. बड़ी मादक महक थी वह … मन मस्त हो गया.


फिर मैंने एक बीच वाली उंगली भाभी की चूत में डाल दी और जोर जोर से रगड़ने लगा; उंगली को आगे पीछे करते हुए हिलाने लगा.


भाभी मचल रही थीं और चिल्ला रही थीं- आह अरमान, मेरी चूत को फाड़ दोगे क्या … कुत्ते कमीने! ऐसा बोल बोल कर वे बड़बड़ाने लगीं.


कुछ ही देर में मैं इतनी जोर जोर से उंगली चलाने लगा कि वे झड़ने लगीं और उनकी पेशाब छूट गई.


जब उनकी पूरी पेशाब व चूत की मलाई निकल गई, तब मैंने जीभ की नोक को सीधा करके उनकी चूत के अन्दर डाल दिया और जीभ से चूत को चाटने लगा.


मैं चूत में लगा हुआ उसका रस और मूत्र के अंश को चूसने लगा. बड़ा ही मस्त और नमकीन टेस्ट आ रहा था.


अब मैंने उनको उल्टा घूमने को कहा.


वे मुस्कुराती हुई औंधी हो गईं. मैं अपनी जीभ से भाभी की पूरी पीठ को चाटने लगा और उनकी गांड के दोनों फूले हुए गोलों पर चांटे मारते हुए उनको दबाने लगा.


कभी मैं एक चूतड़ को किस करता, तो दूसरे को चांटा मारता. कभी भाभी की गांड को खोल कर उसे जीभ से कुरेद देता.


वे भी मज़े से लेटी रहीं और मेरी जुबान से अपने तन की मसाज का सुख लेती रहीं.


अब मैंने अपने दोनों हाथों से भाभी की गांड को खोल दिया और उनकी गांड के छेद को सूंघने लगा. मस्त महक आ रही थी.


मैंने जोर से दोनों चूतड़ों को दोनों तरफ खींचा और गांड के छेद को अपनी जीभ से टटोला. फिर जीभ को ज्यादा से ज्यादा बाहर निकाल कर भाभी की गांड के द्वार में डाल दिया. जहां तक जीभ जा सकती थी, वहां तक पेलकर जीभ घुमा घुमा कर गांड को चाटने लगा और गांड के अन्दर बाहर करने लगा.


ऐसा मैंने कुछ मिनट तक किया और भाभी को वापस सीधा कर दिया.


अब मैं उनके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उनके पूरे चेहरे पर रगड़ने लगा.


कभी मैं लौड़े को भाभी की आंखों में रगड़ता, तो कभी उनके गालों को लंड से चमाट मारता, उनकी नाक की नथ पर रगड़ता.


मैं लंड से भाभी की नथ को हिलाने लगा और नाक के दोनों छेदों में में घुसेड़ने की कोशिश करता.


फिर मैं भाभी के होंठों पर लौड़े को फेरने लगा. और जैसे ही भाभी ने मुँह खोला, मैंने अपना लंड उनके मुँह में दे दिया.


वे भी मस्ती से लंड चूसने लगीं और पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगीं.


कभी वे लौड़े को हल्का सा काट भी लेती थीं तो मैं उनके निप्पल को खींच कर मरोड़ देता था. तब वे आह उई करतीं और मेरा लंड उनकी पकड़ से छूट जाता.


उनकी उई आह की आवाज़ से मेरे लंड में और ज्यादा तनाव आ जाता.


फिर मैंने लंड को उनके दोनों निप्पलों पर रगड़ा और मम्मों पर घिसने लगा.


उन्होंने लंड को हाथ से पकड़ कर अपने दोनों चूचों के बीच की लाइन में दबा लिया और दोनों चूचियों को हाथ से टाइट करके बूब्स फकिंग का मजा देने लगीं.


कुछ देर बाद भाभी के नीचे को आते हुए मैंने उनकी चूत में लंड सैट कर दिया और भाभी को पूरी तरह से दबा कर लंड उनकी चूत में एक ही झटके में पेल दिया.


“आआ मर गई आह अरमान आई लव यू बेबी … चोद साले हरामी इतना मोटा और लंबा लंड चूत को मिल गया … आह आज तो मेरे नसीब ही खुल गए. चोद दे फाड़ दे चूत को मेरी … पूरा निचोड़ दे मुझे आज … आह चोद साले … मेरा दूध पीते हुए चोद कमीने … तुझे और ज्यादा शक्ति आ जाएगी हरामी लौड़े … और जोर से चोद लेगा तू मुझे … ले पी मेरा दूध!” ऐसा बोलती हुई भाभी अपनी एक चूची को मेरे मुँह में घुसाने लगीं. मैं भी दूध को मुँह में लेकर चूसते हुए और दूसरे को दबाते हुए भाभी को चोदने लगा.


सच में बड़ा मज़ा आ रहा था देसी भाभी चूत चुदाई में!


मैं भाभी को चोदते हुए उनके बूब्स को दबा रहा था, निप्पलों को निचोड़ रहा था और होंठों को चूसे जा रहा था.


कुछ ही देर बाद भाभी की टांगें हवा में उठ गईं और वे भी लंड से लोहा लेने लगीं. बल्कि यूं कहें कि भाभी अपनी चूत में लोहे सा लंड लेने लगी थीं.


करीब बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं भाभी की चूत में ढह गया और उन्हीं के ऊपर ढेर हो गया.


इस दौरान भाभी भी एक बार झड़ चुकी थी. जब मैं झड़ा तो भाभी भी फिर से झड़ गईं और मेरे साथ ही निढाल होकर लंबी लंबी सांसें लेने लगीं.


उस दिन रात को मैंने भाभी को दो बार चोदा और अपने कमरे में चला गया. उसके बाद भाभी फोन करके मुझे अपने कमरे में बुला लेती थीं और हम दोनों अपनी जिस्मानी प्यास को बुझा लेते थे.


दोस्तो, यदि आपका प्यार मिला तो अगली कहानी में मैं आपको भाभी की कुंवारी गांड की चुदाई भी लिखूंगा.


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